रविवार, 21 नवंबर 2010

हायजीन नियम...


मौसम के बदलते रुख के साथ सामान्य सर्दी-जुकाम की समस्या का जन्म लेना कोई असमान्य बात नहीं है। यदि आप चाहते है कि घर के अन्य सदस्यों को सामान्य सर्दी की समस्या न हो तो आपको हायजीन के कुछ नियमों का पालन करना बहुत जरुरी है। आइये कुछ ऐसे ही सामान्य से नियमों को जानते है :


  • हाथों को साफ़ रखे। सबसे पुराना मगर सबसे कारगर नियम। यदि आपके हाथ कीटाणु रहित होंगे तो आप सर्दी और जुकाम के फैलने का चक्र को रोकने में कामयाब हो पाएंगे। सबसे पहले हमेशा अपने हाथो को एंटीसैप्टिक हैण्ड वाश का प्रयोग करें। आप चाहे तो आप हैण्ड सैनिटाईज़र का प्रयोग कर सकते है। अपने बैग या सीट पर हमेशा एक छोटी बोतल एंटीसैप्टिक हैण्ड वाश या हैण्ड सैनिटाईज़र की रख सकते है।
  • रुमाल आदि का प्रयोग करने से बेहतर है कि आप टिशु पेपर का प्रयोग करें।
  • घर के सभी चीजों को छूए नहीं। यह कीटाणुओ को फैलने से रोकते है।
  • घर की सभी सामान्य चीजों व कमरों को साफ़ रखे।
  • सामान्य सर्दी हो तो डॉक्टर से मिले। यह न सोचे की आपकी सर्दी सात दिन बाद अपने आप ठीक हो जाएगी।

मंगलवार, 12 अक्तूबर 2010

माइग्रेन : महत्वपूर्ण बातें

माइग्रेन की समस्या धीरे धीरे आम बनती जा रही है। आईये जानने का प्रयास करते है कि माइग्रेन रोगी को किन बातों का ध्यान रखना है।
  1. माइग्रेन रोगी नियमित रूप से डॉक्टर द्वारा दी गयी दवाइयों का सेवन करें।
  2. अचानक से तापमान बदलाव के संपर्क में न आयें।
  3. वैकल्पिक चिकित्सा की मदद लेना बंद करें।
  4. समय समय पर डॉक्टर की सलाह लेते रहें।
  5. हर रोज करीब छ: से आठ घंटे की नींद ले।
  6. योग, ध्यान और मार्निग वॉक ऐसे कुछ तरीके है जो आपको स्वस्थ रखने में मदद करते है।
  7. खराब जीवनशैली भी आपको माइग्रेन का शिकार बना सकती है (विशेष रूप से खाना न खाने या समय पर न खाना न खाना)। माइग्रेन रोगी को व्रत करने और फैट्स युक्त भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए।
  8. तेज गंध वाले परफ्यूम आदि का प्रयोग न करें।
  9. स्ट्रेस माइग्रेन को बढ़ता है इसलिए खुश रहने का प्रयास करें और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाएं।
  10. तेज धूप के संपर्क में आने से बचें। जब भी बहार जाएँ सनग्लासिस और छतरी का प्रयोग करें।
  11. पैन किलर दवाइयों का लम्बे समय तक प्रयोग करने से बचें।
  12. जैसे ही दर्द के लक्षण दिखे पैरासिटामोल या एस्प्रिन का सेवन कर सकते है। यह दोनों ही दवाइयां बहुत प्रभावी है। ध्यान दे कि सोलह साल से कम उम्र में एस्प्रिन का सेवन न करें।

माइग्रेन केवल वंशानुगत कारणों से नही होता है इसलिए जीवनशैली को दुरुस्त रखने का प्रयास करें।

(डॉ प्रवीण गुप्ता, कंसल्टेंट न्यूरोलोजी, आर्टिमिस हेल्थ इंस्टिट्यूट, गुडगाँव)

बुधवार, 25 अगस्त 2010

नैबुलाइज़र

नैबुलाइज़र, एक ऐसा डिवाइस है जिसमें रोगी के फेफड़ों तक साँस के माध्यम से दवाई पहुँचाने के लिए इन्हेलर के तौर पर प्रयोग में लाया जाता है। इसका प्रयोग सामान्य तौर पर अस्थमा और अन्य श्वास सम्बन्धी समस्याओं के रोगियों द्वारा किया जाता है।

कितना है उपयोगी :
डॉ सुशीला कटारिया, इंटरनल कंसलटेंट, पारस अस्पताल, गुडगाँव ने इस गैजेट के बारें में जानकारी देते हुए बताया कि, "नैबुलाइज़र अस्थमा में होने वाली खांसी की समस्या में आराम देता है। यह दवाई का असर सीधे प्रभावित हिस्से पर करता है मगर इसका प्रयोग करने की तकनीक पहले अपने डॉक्टर से अवश्य पूछ ले।"

नैबुलाइज़र का प्रयोग करने के बाद उसे तुरंत साफ करना जरुरी है। अगर आप ऐसा नही करते है तो उसमें बैक्टीरिया का जन्म हो सकता है।

मार्केट में कीमत :
नैबुलाइज़र की कीमत मार्केट में 2000से 3000 के बीच में है।

सोमवार, 23 अगस्त 2010

हीटिंग पैड्स

आज भी हम सभी के घर में सिकाई के लिए वाटर बैग का ही प्रयोग किया जाता है। मगर समय के साथ बहुत सी चीजे बदलती है। अब धीरे धीरे लोग हीटिंग पैड्स का प्रयोग हॉट वाटर बैग की जगह करने लगे है। अब सिकाई करना एकदम आसन हो गया है। बस आपको इसकी वायर को पॉवर प्लग में लगाकर स्विच ऑन करना है और सिकाई का आनंद उठाना है। आपको सिकाई के लिए गर्म पानी की थैलियों को तैयार करने में जितनी मेहनत करनी पड़ती थी अब आप उसे केवल एक स्विच भर ऑन करने से प्राप्त कर सकते है।

कितना है उपयोगी :
"वैसे तो यह हीटिंग पैड्स बहुत ही उपयोगी है मगर यदि आप गर्भवती है तो पेट के निचले हिस्से में इसका प्रयोग करने से बचें। गर्भावस्था के शुरुआती 12 सप्ताह से पहले गर्भवती महिला के शारीर का तापमान 39 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा नहीं होना चाहिए इसलिए इनका प्रयोग उनके लिए हानिकारक साबित हो सकता है। मगर आप गर्भावस्था के दौरान होने वाले जांघों और पीठ दर्द में इसकी मदद ले सकते है।" ऐसा कहना है डॉ कौशिकी द्विवेदी, कंसल्टेंट गायनोकॉलोजिस्ट, मैक्स अस्पताल का।

क्या कहता का मार्केट :
हीटिंग पैड्स के लिए आपको अपनी जेब से ज्यादा पैसे खर्च करने की जरुरत नहीं है। आप केवल 350 से 700 रूपये में इसे खरीद सकते है।

बुधवार, 18 अगस्त 2010

ग्लूकोमीटर

ख़राब जीवन शैली से बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं का जन्म हो रहा है। इन्हीं समस्याओं में से एक समस्या डायब्टिज है। इसी को देखते हुए बाज़ार में एडवांस बायोसेंसर टैक्नोलोजी युक्त ग्लूकोमीटर आ गए है जोकि बस चंद सैकंड में ही आपको आपके शुगर का लेवल बता देते है। हालांकि डायब्टिज का पता पहले नही लग पता है मगर यदि आप नियमित रूप से अपने शुगर को चैक करते रहे तो आप इस समानस्य के बढ़ने से पहले इस पर नियंत्रण स्थापित कर सकते है।

ग्लूकोमीटर :
मैक्स हैल्थकेयर के कंसल्टेंट एंडोक्रिनोलोजिस्ट डॉ सुजीत झा ने बताया है कि "कोई भी व्यक्ति इस गैजेट का प्रयोग की मदद से घर बैठे बैठे हे अपने ब्लड ग्लूकोज के बारें में पता लगा सकता है। साथ ही यह एक अच्छा गाइड बनकर आपको इस बात की भी जानकारी देता है कि आप अपने डायब्टिज को कंट्रोल करने में कितने सफल रहे है।"


कितना है उपयोगी :

ग्लूकोमीटर पर निकले नतीजो पर आप यकीन कर सकते है। हाँ, यह सत्य है कि यह नतीजे लैब में कराये जाने वाले ब्लड शुगर टेस्ट की रिपोर्ट की तरह एकदम सटीक नही होते है फिर भी इनके द्वारा निकला गया परिणाम सही ही मन जा सकता है। सामान्यतौर पर लैब और ग्लूकोमीटर के परिणामों में कुछ ज्यादा अंतर नही होता है।

सीनियर कंसल्टेंट एंडोक्रिनोलोजिस्ट डॉ अम्बरीश मित्थल के अनुसार, "बाज़ार में आ रहें नए ग्लूकोमीटर में आपको कोडिंग करने की भी कोई जरुरी नहीं होती है और उससे मिलने वाले परिणाम को समझना भी आसान होता है।"

मार्केट में कीमत :

बाज़ार में ग्लूकोमीटर के बहुत के बहुत से ब्रांड मौजूद है। आप अपने डॉक्टर से परामर्श लेकर सही ब्रांड का चुनाव कर सकते है। इस ग्लूकोमीटर को खरीदने में आपको 1000 से 3000 रूपये खर्च करने होंगे।

सोमवार, 16 अगस्त 2010

डिजिटल बीपी मशीन

वे दिन अब लद गए जब हमारे घरों में हेल्थ उपकरण यदि हेल्थ गैजेट के नए पर केवल थर्मामीटर और वजन मापने की मशीन हुआ करती थी। जैसे जैसे तकनीकी विकास बढ़ता जा रहा है, वैसे वैसे बाजार में उपयोगी हेल्थ गैजेट भी उतारते जा रहे है। आईये एक ऐसे ही हेल्थ गैजेट डिजिटल बीपी मशीन की बात करते है।

डिजिटल बीपी मशीन :


आपने डॉक्टर साहब के यहा बीपी मोनिटर करने वाली मशीन तो देखी ही होगी, जिसमे पारे के माध्यम से बीपी मापा जाता है। मगर यह डिजिटल बीपी मशीन मैनुअल बीपी मशीन से अलग होती है। यह पूरी तरह से ऑटोमैटिक होते है और आप इन्हें बड़ी ही आसानी से घर में प्रयोग कर सकते है। आपको इसके अलग अलग प्रकार मिल जाएंगे (जैसे - बाजू में लगाकर चैक करने वाले या कलाई पर लगाने वाले)। इसके प्रयोग भी बहुत आसन है बस इसे कलाई पर बंधे और बटन दबाकर आप निश्चिन्त होकर बैठ जाये। आपका बीपी मशीन एक बीप की आवाज के साथ ही आपको मोनिटर किये गए ब्लड प्रेशर का पूरा परिणाम सरल भाषा में स्क्रीन पर दे देता है।


कितना है उपयोगी :


डॉ हंसा गुप्ता, कंसल्टेंट कार्डियोलोजिस्ट के अनुसार, " यह गैजेट आपको बाजार में सही कीमत पर मिल जाते है और यह बहुत ही प्रभावी ढंग से बीपी के उतार-चढाव को चैक करने में मदद कर सकते है। इलैक्ट्रोनिक बीपी मशीन का प्रयोग करना भी आसन है और इसमें बीपी के साथ-साथ आपके पल्स रेट का भी रिकार्ड आ जाता है।"


इस गैजेट के बारें में और जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि " यदि आपके पास ऑटोमैटिक बीपी मशीन है, तब भी पारे वाली बीपी मशीन पर अपनी रीडिंग को चैक करते रहे। अगर विश्वसनीयता की बात करें तो पारे वाली मशीन ज्यादा विश्वसनीय होती है। मगर इसमें सिस्टोलिक और डायस्टोलिक बीपी को कैसे रिकॉर्ड किया जाता है यह आपको अच्छे से आना बहुत जरुरी है।"


मार्केट में कीमत :


आपको यह ऑटोमैटिक बीपी मशीन बाजार में आसानी से मिल जाएंगी। इस मशीन को खरीदने के लिए आपको 2500 से 4500 तक रूपये खर्च करने पड़ सकते है।

रविवार, 15 अगस्त 2010

सफाया करें तनाव का

क्या आप जानते है कि आपके घर में पड़ी चीजें आपको बीमार कर सकती है? आपके घर के भीतर पड़ी बेकार की चीजे आपको मानसिक रूप से अस्वस्थ बनती है और आपके स्वास्थ्य को नुकसान पंहुचा सकती है। घर से कबाड़ को दूर करने की इस प्रक्रिया को डिक्लटर कहते है और यह तनाव कम करने की एक कारगर प्रक्रिया है। आईये जानते है कि कैसे आप अपने घर के कबाड़े यानि क्लटर से बच सकते है।

जब भी मैं परेशान होती हूँ, मैं अपने टेबल, अलमारी की सफाई करती हूँ । सच मानिये ऐसी साफ़ सफाई करना आपके लिए कमाल का काम करेगी। ऐसा करने पर आप बेहतर और शांत अप्नुभाव करते है। ऐसा कहना है अनुषा वर्मा का जोकि एक मीडिया कंसल्टेंट का।

हम सभी हर बार किसी न किसी बेकार की फालतू चीज़ को इसलिए बहार नही फैंकते है क्योंकि हमें हरदम यही लगया है कि शायद वो चीज भविष्य में काम आ सकती है। साइकाइट्रिस्ट और साईकोथेरेपिस्ट डॉ दीपक रहेजा ने विस्तार में बताया है कि "जब कबाड़ या बेकार की चीजे नियंत्रण से बाहर हो जाती है तब लोग होर्डिंग सिंड्रोम का शिकार हो जाते है। इस सिंड्रोम में लोग उन चीजो को भी संभाल कर रखने लगते है जोकि अन्य सामान्य लोगो की दृष्टि में बेकार की होती है। इस डिसआर्डर से बचने के लिए आपको साईकोलोगिस्ट की मदद लेनी चाहिए।"

फेंगशुई एक्सपर्ट ईशा गुप्ता के अनुसार, "फेंगशुई में अस्वस्थ और अव्यवस्थित मानसिक, शारीरिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक जीवन का मुख्य कारण घर में जमा फालतू की चीजे होती है। "

कैसे निकाले कबाड़ा :



घर में जमा इस कूड़े कबाड़े को साफ़ करना इतना भी मुश्किल काम नही है, जितना की आप सोच रहे है। अगर आप अपने प्लान पर बने रहे तो आप आसानी से इस दूर कर सकते है। आईये जानते है कैसे :
  • फालतू चीज बाहर का नियम अपनाये। जो चीज घर में कई सालो से है और जिसका इस्तेमाल नही है, उन्हें निकाले। संजना के पति इंडियन आर्मी में काम करते है। हर तीन साल में एक शहर से दूसरे शहर शिफ्ट होते रहते है। संजना पुरानी चीजो को अपने साथ लिए लिए नही घुमती है। किचन के पुराने कप और बर्तन, पुराने कपडे आदि वह अपने स्टाफ को दे देती है जिससे वे खुश भी हो जाते है और नयी चीजो को घर में रखने की स्पेस भी मिल जाती है।
  • एक खरीदो, दो निकालो नियम। जब भी कोई नयी चीज ख़रीदे दो पुरानी चीजो को अपने घर से बहार निकाले। शरुआत अखबार से करे। अगर आप नये जूते लाते है तो या तो पुराने जूते फैक दे या उन्हें किसी को दे दे।
  • अलग वर्गों में बाटें। सप्ताह, पंद्रह दिन या महीने में एक बार अपने घर की चीजो को व्यवस्थित करे। हर रोज दस मिनट का समय निकले। यदि आप हर रोज दस मिनट चीजो को व्यवस्थित करने में बिताते है तो आपको बाद में ज्यादा परेशान नही होना पड़ेगा। बच्चो के ख़राब खिलौनों और कपड़ों को किसी को दान में दे दे। जो दवाइयां एक्सपायर हो गयी है उन्हें नष्ट कर दे।
  • क्रमवार सफाई करें। आपको हमेशा एक कोने से शुरुआत करनी है और फिर उससे आगे बढ़ना है। अगर आप एक जगह की सफाई को आधा छोड़ दूसरी जगह की सफाई करते है तो आप कभी भी ठीक से सफाई नही कर पाएंगे।
  • स्टोर रूम को कम जगह दे। आप अपने घर में स्टोर रूम को जितनी कम जगह देंगे, फालतू की चीजे आपके घर में कम स्टोर होगी और आपके घर में बेकार की चीजो को छिपाकर रखने की जगह कम हो जाएगी।
कुछ महत्वपूर्ण बातें :-


ईशा गुप्ता के कुछ सुझाव -

  • ध्यान दे कि आपके घर में कों से कमरे में सभी लोग जयादा रहना पसंद करते है। उन कमरों में सुधार करने का प्रयास करें। रंग, संगीत, लाईट, पानी, आदि में स्ट्रोंग एनर्जी होती है जोकि हर कमरे में होनी चाहिए। यदि आपे घर में कोई ऐसा कमरा है जिसमे कोई जाना पसंद नही करता है तो अपने कमरे को नये रंग से रंगे और फिर देखें कि क्या आपको अपनी शारीरिक उर्जा में कोई फर्क देखने को मिलता है।
  • पौधे जीवन का प्रतीक कराते है और कमरे में जान रंग डाल देते है।
  • घर के सभी गंदे कपड़ों को एक बैग में रखे। साफ़ और गंदे कपड़ों को मिलकर न रखे।
  • अपने बैद के नीचे, पीछे की तरफ कबाड़ इकट्ठा न होने दे।
  • खिडकियों के आसपास भीडभाड कर उसे ब्लाक न करें। खिडकियों को खुला रखे और शुद्ध हवा को भीतर आने दे।
  • घर के कोरिडोर से एनर्जी एक कमरे से दूसरे कमरे में जाती है। सीढियाँ हमेशा खुली रखे और कबाड़ से परे होनी चाहिए। इससे न केवल सुरक्षा बढती है बल्कि फेंगशुई की कोस्मिक एनर्जी "ची" का बहाव भी बढाती है।
  • यह बहुत जरुरी है कि आप टेबल की सफाई नियमित रूप से करें।
  • उस कमरे से शुरुआत करें जो आपको सबसे जयादा परेशान करता है। वह कमरा जिसमे कबाड़ भरा हो या जिसमे आपका जाने का मन बिलकुल भी न करता हो उस कमरे को सबसे पहले साफ़ करें। ऐसे कमरे आपको मानसिक और शारीरिक तनाव का शिकार बना सकते है।

बेकार की चीजे घर से बहार करने से घर में स्पेस बढती है साथ ही आपका तनाव भी कम होता है। आप चाहे तो आप बहुत सी बेकार चीजो को डोनेट भी कर सकते है। हो सकता है की आपके द्वारा डोनेट किया गया बेकार सामान, किसी और की जरुरत को पूरा कर पाए।

बुधवार, 21 जुलाई 2010

सराहना करना सीखें

अरे वाह, आज तो तुमने टाइम से पहले ही अपना होम वर्क पूरा कर लिया! कहने को केवल एक वाक्य भर है, मगर इन चंद शब्दों का जादू कुछ ऐसा होता है कि आप और भी बेहतर करने की कोशिश करते है। हम सभी के लिए तारीफ एक टोनिक की तरह काम करती है, जो हमें और भी बेहतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करती है। मगर फिर भी हम अक्सर बच्चो की तारीफ करने में पता नही क्यों कंजूसी कर देते है। हमें हमेशा उनकी गलतियाँ ज्यादा और खूबियाँ कम दिखाई देती है। जबकि वास्तविकता यह है कि बच्चो के लिए भी तारीफ उतनी ही जरुरी है जितनी हम बड़ों के लिए।

क्यों जरुरी है सराहना करना :

बच्चो का दिल बहुत कोमल होता है। आपका जरा सा प्यार और दुलार भले ही आपके लिए बहुत छोटी बात हो मगर उनके लिए बहुमूल्य होता है। सराहना या तारीफ, एक तरह का प्यार है जिसे हर बच्चा चाहता है इसलिए इसमें किसी प्रकार
की कटौती करना ठीक बात नही है। हाँ, यह सही है कि ज्यादा तारीफ और लाड-प्यार आपके बच्चे को बिगाड़ सकता है। मगर बात-बात पर पड़ने वाली दांत फटकार भी उसे सुधारने की बजाय बिगाड़ने में मदद करती है। आईये जानते है की कैसे थोड़ी सी तारीफ आपके बच्चे के पूरे स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती है।

मानसिक स्वास्थ्य :

तारीफ के दो बोल आपके बच्चे को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करता है। आपको यकीं नही होगा मगर यह सच है। बार की
डांट और फटकार बच्चे के मनन में यह भाव पैदा कर देती है की वह कोई काम ठीक से नही कर सकता है। इस भाव के जन्म लेते ही बच्चा किसी भी नये काम को करने से डरने लगता है और धीरे धीरे उसके मन में किसी भी काम को करने की इच्छा भी ख़त्म होने लगती है। यही डर उसके मानसिक विकास में बाधा डाल सकती है।

भावनात्मक स्वास्थ्य :


बार-बार की डांट-फटकार भावनात्मक चोट जरुर पहुचती है। सबके सामने की गयी निंदा उसके आत्म विश्वास को गिराने लगती है और उसके अन्दर ही ही भावना धीरे-धीरे जन्म लेने लगती है। वाही दूसरी और तारीफ के दो बोल बच्चे को प्रोत्साहित करता है कि अपना काम और भी बेहतर ढंग से करें।

व्यक्तित्व पर प्रभाव :

जिस उम्र में बच्चो के व्यक्तित्व की नीव पड़ती है ऐसी उम्र में यदि आपके बच्चे का आत्मविश्वास ऊँचा रहे तो आपके बच्चे का विकास तेजी से होता है। मगर यदि आपके बच्चे का आत्मविश्वास कम होता चला जाये तो दब्बू बनता चला जायेगा।

क्या करें :
  • आपकी दिनचर्या कितनी भी बिजी क्यों न हो अपने बच्चे को समय दे।
  • अगर आपका बच्चा अच्छा काम करे तो उसकी तारीफ सबके सामने करें और उससे कोई काम गलत हो जाये तो उसे सबके सामने डाटने की बजाय प्यार से समझाएं।
  • उसे प्यार से बताये कि उसकी गलती कहाँ पर हुई है।
  • पूरी इमानदारी से तारीफ करें।
  • आप चाहे तो आप अपने बच्चे को अच्छे काम करने पर कोई स्टार भी दे सकते है।
  • अच्छा काम करने पर अपने बच्चे कि किसी छोटी सी इच्छा को पूरा कर सकते है।
  • आपका बच्चा आपको अपना रोल मॉडल समझता है इसलिए आपको सबसे पहले अपनी गलतियों को सुधारना बहुत जरुरी है।

क्या न करें :

  • बार-बार सबके सामने न डांटे क्योंकि ऐसा करने पर आपका बच्चा गलत चीजो को करना शुरू कर देगा। उसे इस बात का अहसास हओ जायेगा कि व आपका ध्यान गलत हरकते कर अपनी ओर खिंच सकता है। जिसकी वजह से उसकी गलत आदतें और भी बढ़ जाती है।
  • तारीफ करते हुए ऐसा भाव न दे कि जिससे इस बात का अहसास हो कि आप अपने बच्चे का मजाक बना रहें है।

बेफिक्री से भरी इस उम्र से अपने बच्चे की ऊँची उड़ान भरने में मदद करें ताकि उसका आत्मविश्वास भी शिखर पर पहुँच सकें।

(डॉ जितेन्द्र नागपाल से बातचीत पर आधारित)

लगाए विराम बढ़ते वजन पर

वजन बढ़ रहा है। मैं इतना कम खाती हूँ फिर भी मेरा वजन बढ़ रहा है। कुछ भी कर लू फिर भी बढ़ता ही जा रहा है। हम सभी के मन में कुछ ऐसे ही सवाल जवाब चलते रहते है। हम सभी अपने बढ़ते वजन से बहुत परेशान है मगर वजन है कि रुकने के बजाय उम्र के साथ बढ़ता ही चला जा रहा है। आइये बढ़ते वजन पर निगरानी रखने के लिए कुछ टिप्स पर चर्चा करते है।
  1. सबसे पहले अपने आपको एक्टिव बनाएं। आलस न करें। जब भी मौका लगे अपनी सीट से उठे और इधर-उधर घूमे। इससे आपकी मांसपेशियां एक्टिव रहेगी और आप स्वस्थ महसूस करेंगे।
  2. खाने के बाद अफ़सोस करने से बेहतर है कि आप खाने को सोच समझ खाएं। अक्सर हम खाने के बाद ज्यादा खा लेने की शिकायत करते है। मगर यदि आप अपने दिल पर थोडा सा काबू रखे तो आप अपने आपको फिट रखने में और अधिक कैलोरी के सेवन से बच सकते है।
  3. पानी पिए। जब भी आपको भूख लगे थोडा सा पानी पियें। अगर आप ज्यादा पानी नही पीते है तो परेशान न हो। हर २० से २५ मिनट बाद थोडा सा पानी पीने का नियम बना ले। ताकि आपके शरीर में पानी की कमी न हो।
  4. व्यायाम करें। आप क्या कह रहे है कि आप व्यायाम नही कर सकते है। अगर आप व्यायाम नह कर सकते है तो कम से कम अपने घर या अपने कमरे का काम करें। अपने कपडे खुद धोये। अपने रूम की सफाई , किचन के बर्तन आदि से आप न केवल काम के मदद करते में बल्कि एक्स्ट्रा कैलोरी भी जलने में सफल होंगे।
  5. सबसे महत्वपूर्ण बात टीवी कम देखे। हर दम टीवी के सामने बैठने से आप अपने वजन को बढ़ा रहे है और कुछ नही। अगर आपको टीवी देखने का शौक है तो टीवी का रिमोट हाथ में रखने की बजाय टीवी के पास रखे ताकि जब भी चैनल बदलना हो आप थोडा तो अपने शरीर को हिलाएंगे।
  6. मोबाइल फोन, इन्टरनेट, टीवी आदि टाइम बाइटर होते है। यानी समय को खाने वाले। यदि आप अपने आपको फिट चाहते है तो इन सबका प्रयोग घर में कम से कम करें। समय पर सोयें और समय पर उठे। यदि आपकी नींद पूरी न हो तब भी वजन बढ़ सकता है इसलिए अपनी नींद अवश्य पूरी करें।

बुधवार, 14 जुलाई 2010

किचन - दि हीलिंग सेंटर

क्या आप यह जानते है की हमारे किचन में कितने हर्ब्स मौजूद है! अगर नही, तो फिर चलिए मिलकर जानते है उन हर्ब्स के बारें में जिनका प्रयोग हम सभी मसालों के तौर पर हर रोज करते है।

हल्दी :
हल्दी के बिना खाना बिन रंग और स्वाद का होता है। हमारे किचन के हीलिंग सेंटर में हल्दी सबसे पहले नंबर पर आता है। ऐसा माना जाता है कि हल्दी सबसे शक्तिशाली हर्ब होता है। इसमें प्राकृतिक रूप से मिलने वाला एंटी सैप्टिक और एंटी बैक्टीरियल एजेंट होता है। सरल भाषा में यह इन्फैक्शन से लड़ने में सफल है। तभी तो अक्सर चोटिल होने पर आज भी जख्म पर हल्दी लगाई जाती है या फिर हल्दी वाला दूध पिया जाता है। वैसे सुन्दर और खिली खिली स्किन पाने के लिए भी हल्दी का प्रयोग किया जाता है।

जीरा :

जीरे में भी एंटी बैक्टीरियल विशेषताएं पाई जाती है। वैसे जीरे की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इससे खाने से गैस, अपच जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है। कई लोग जीरे की इसी विशेषता के कारण जीरे का प्रयोग रोटियों या परांठों में भी करते है।

दालचीनी :

क्या आप जानते है कि दालचीनी ब्लड शुगर के स्तर को कम करती है। ऐसे बहुत से अध्ययन किये गए है जो इस बात का प्रमाण देते है कि इसका सेवन टाइप टू के डायब्टिक रोगी के लिए बहुत लाभकारी है।

अजवायन :

अजवायन को किसी से कम न समझे! अजवायन गैस या एसिडिटी की समस्या में बहुत की असरदार होता है। अगर आपको बहुत अधिक एसिडिटी हो तो आप थोड़े से गुनगुने पानी के साथ अजवायन को ले सकते है। मगर इसका ज्यादा सेवान करने से पेट में जलन हो सकती है।

अदरक :

आईये थोडा मसाले की थाली से बाहर निकलते है और अदरक की बात करते है। इसकी अरोमैटिक खुशबु और स्वाद इसे स्पेशल बनता है। अदरक का प्रयोग सामान्य रूप से पाचन सम्बन्धी और सामान्य सर्दी जुकाम से किया जाता है। अगर आपको अदरक की चाय पसंद है तो आप इससे एक अच्छा स्ट्रेस बस्टर मान सकते है।

रविवार, 11 जुलाई 2010

फुट टॉक


बारिश के मौसम में हाथ में छाता लिए पानी में छई-छप-छई करना सभी को भाता है। मगर इस छई-छप-छई में तरह-तरह के फंगल इन्फेक्शन और स्किन रैशेज पैरों की बैंड बजा देते है। बारिश में अपने पैरों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। आईये जानते है कि कैसे आप मानसून में अपने पैरों को स्वस्थ रखे।
  1. सबसे पहले, बारिश के इस मौसम में बंद जूते पहनने से बचे। अक्सर बंद जूते एक बार भीगने के बाद सूखने में टाइम लेते है। और अगर आप उन्ही गीले जूतों को घंटों तक पहन कर बैठते है तो अपने पैर बहुत से फंगल इन्फेक्शन का शिकार हो सकते है। इसलिए खुली सैंडल का ही प्रयोग करें। यदि इनमे सड़क का जमा गन्दा पानी घुस भी जांए तो भी अन्दर टिकता नही है और आपके पैर थोड़ी देर में सूख जाते है। इसलिए आज से यह सोचना बंद करे कि बंद जूतों में आपके पैर ज्यादा सुरक्षित है।
  2. अगर संभव हो तो अपने ऑफिस में एक जोड़ी सैंडल का जरुर रखे।
  3. बारिश में भीग कर आने के बाद या गंदे पानी में से आने के बाद अपने पैरो को अच्छे से साबुन और पानी से साफ़ करें। आप चाहे तो आप पानी में एंटी सैप्टिक लिक्विड भी डाल सकते है।
  4. पैरों को अच्छे से तौलिये से पोछ कर सूखा ले। पैरों को जितना संभव हो सूखा रखने का प्रयास करें।
  5. किसी प्रकार के तैलीय लोशन आदि का प्रयोग उँगलियों के बीच में न करें।
  6. यदि आपकी सैंडल गीली है तो उन्हें धूप में अच्छे से सूखा ले। साथ ही अपनी उन्ही सैंडल का दुबारा से प्रयोग करने से पहले कपडे से साफ़ अवश्य कर ले।
  7. किसी प्रकार के फंगल इन्फेक्शन होने पर तुरंत डॉक्टर से जाकर मिले।
  8. हर रोज अपने पैरों को अच्छे से साफ़ अवश्य करे।

गुरुवार, 8 जुलाई 2010

मानसून में रहे स्वस्थ

मानसून का सभी को बेसब्री से इन्तजार था। जैसे तैसे मानसून की पहली फुहार ने दस्तक तो दी, मगर इसी दस्तक से शुरू हो गयी मानसून में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का दौर। मानसून के इस मौसम में कैसे आप अपने और अपने परिवार के सदस्यों की सुरक्षा करें। आइयें जानते है इस लेख में।
डॉ सुशीला कटारिया, इन्टरनल कन्सलटेंट, पारस अस्पताल के अनुसार, " इस मौसम में सबसे सामान्य परेशानियाँ खाने, पीने और मचरों के काटने से सम्बंधित होती है। इन्ही कुछ सामान्य स्वास्थ्य परेशानियों में है - दस्त लगाना, उलटी आना, बुखार, स्किन रेशैज, आदि।" अर्थात यदि आप गलत खानपान, संक्रमित पानी और मचरों से अपना बचाव करते है तो आप आसानी से मानसून की इन सब समस्याओं से बच सकते है।
क्या कहता है आयुर्वेद :
आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ प्रीति छाबरा के अनुसार, " गर्मियों के मौसम में शरीर में पानी का स्तर कम हो जाता है मगर मानसून के आते ही पानी का स्तर शरीर में बढ़ने लगता है। इस मौसम में विशेष रूप से पाचन प्रक्रिया सुस्त हो जाती है जिसके परिणाम स्वरुप भूख कम लगती है। पेट सम्बन्धी समस्याएँ, जी मिचलाना, अपच, पेट का दर्द, मरोड़े, आदि सामान्य परेशानी जन्म लेती है। मलेरिया, टायफायड, डेंगू, डायरिया, आँखों का आना, स्किन परेशानिया, यूरेनरी इन्फेक्शन, पेट में कीड़े, वायरल आदि इस मौसम में होने वाली कुछ अन्य समस्याएँ है। इन सभी के अलावा कई बार कुछ लोगो के जोड़ों में दर्द की परेशानी भी बढ़ जाती है।
डॉ छाबरा के अनुसार, " यह सभी स्वास्थ्य समस्यां पित्त दोष के कारण जन्म लेती है। इन परेशानियों से बचने के लिए आपको स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने के साथ-साथ खानपान की अच्छी आदतों को अपनाना भी बहुत जरुरी है।

क्या खाएं इस मौसम में :

आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ छाबरा के अनुसार, इस मौसम में कडवे और नमकीन स्वाद वाली चीजों का सेवन ज्यादा करना चाहिए। आप इस मौसम में अनाज, चावल, जौ, छाछ, पतली दही, दूध, राबड़ी, मेथी, कद्दू, बैगन, करेला, जीरा, अदरक, लहसुन और कच्चे प्याज का सेवन कर सकते है। इस मौसम में शहद का सेवन खाने और पानी में किया जाना चाहिए। अदरक और नमक का सेवन खाने से पहले करना बहुत असरदार होता है और यह पाचन प्रक्रिया को दुरुस्त करने में भी मदद करता है। साथ ही आप दालचीनी, सूखा अदरक, इलायची, काली मिर्च, गुनगुने पानी के साथ ले सकते है। अधिक मात्रा कोल्ड ड्रिंक, एल्कोहल का सेवन, धूप में देर तक रहना, अपने शरीर को बहुत थकाना, आदि बिलकुल न करें।

इन सब बातों के अलावा डॉ छाबरा ने एक और सुझाव दिया है की इस मौसम में दिन के समय न सोये। साथ ही तापमान के उठते- गिरते पारे में शारीर के दर्द से बचने के लिए मसाज की मदद ली जा सकती है। नहाते समय के पानी में अरोमा आयल या किसी प्रकार की सुगंधी का प्रयोग करें यह आपको तरोताजा रखता है और आपके एनर्जी के स्तर को बढाता है। साथ में इस मौसम में हल्के साफ़ कपडे ही पहने।

किन दवाइयों का करें सेवन :

डॉ कटारिया के अनुसार, "बीमारी के होने के बाद इलाज कराने से बेहतर है कि आप पहले ही सावधानी बरते। इसलिए साफ़ पानी पीये, स्वछता के नियमों का पालन करें ताकि आप बीमारियों का शिकार होने से बच जाएँ। यदि आपकी तबियत खराब हो तो आप ओआरएस, एंटाएसिड, पेन किलर जैसे पैरासिटामोल आदि का सेवन कर सकते है। यदि आप डायब्टीज, हार्ट डिजीज, किडनी रोगी है और इनका सेवन करने के बाद भी आपकी स्तिथि में कोई सुधार नही आता है तो आपको तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना जरुरी है।"

"वैसे तो मेरे द्वारा बताई गयी दवाइयां और रिहैड्रेशन सल्यूशन हर आयु के व्यक्ति के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। मगर यदि आपको इन दवाइयों से किसी प्रकार की एलर्जी है या इन दवाइयों का सेवन करने के बाद कुछ समय न हो तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य ले।"

यह मौसम फुहारों और खुशियों का है। इस मौसम में बीमार होकर इस मौसम का लुत्फ़ उठाने का मौका आप चूक जाये इसलिए "सावधानी ही बचाव है" अपनाये और अपने शरीर को स्वस्थ बनाये।

बुधवार, 23 जून 2010

क्या आप भी बन रहे है अपने डॉक्टर!!

बुखार है तो बुखार की गोली खा लें। कान में अचानक से दर्द हो रहा है तो गर्म सरसों का तेल डाल ले। हम अपने आप ही हर समस्या का इलाज खुद से करना ज्यादा बेहतर विकल्प समझते हैं. पर कितना सुरक्षित है अपना इलाज खुद करना. कहीं ऐसा तो नही कि डॉक्टर बन किसी नयी मुसीबत को न्योता दे रहे है. आएये डालते है एक नजर : -

क्या एसी गलतियाँ है जो हम खुद के डॉक्टर बन करते है : -
  • बिना सलाह के दवाई का सेवन - यह गलती अक्सर हम सभी करते है। जरा सा दर्द नहीं होता है कि हम झट से दवाई खा लेते है. किस उम्र के लिए कितनी डोज ठीक है या वह दवाई बच्चों को देनी है या नहीं, हम इस विषय में सोचते ही नहीं है. जबकि यह खतरनाक भी साबित हो सकता है इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई का सेवन न करें।
  • कान में दर्द होने पर तेल डालना - यह दादी माँ का सबसे पुराना नुस्खा है. अक्सर कान में दर्द होने पर हम कान में सरसों का गर्म तेल डालकर रुई लगा लेते है. मगर यदि आप किसी भी ईएनटी स्पेशलिस्ट की माने तो कान के भीतर कभी भी कोई चिपचिपी चीज नही डालनी चाहिए. अगर जरूरत हो तो आप इयर ड्रॉप का प्रयोग निर्देशानुसार क्र सकते है।
  • बच्चों को टोनिक देते समय मात्रा का ध्यान न देना - अक्सर कोई भी लिक्विड दवाई को देते समय हम उसकी मात्रा को ध्यान में नहीं रखते है। उसमें मेजरमेंट टॉप देने पर भी हम अक्सर किचन की किसी भी चम्मच से उसे टोनिक पिला देते है जोकि सुरक्षित नहीं है. इससे ओवर डोज होने कि आशंकाए भी हो सकती है।
  • किसी भी स्किन क्रीम प्रयोग करना - आप विज्ञापन में किसी प्रकार की स्किन परेशानी के बारें में देखते है और उसमे प्रयोग में लायी जाने क्रीम को बिना सलाह के ही प्रयोग कर लेते है। कई बार ऐसे ही बिना चेक किये, ब्यूटी उत्पाद के प्रयोग के कारण आपकी स्किन को भारी नुक्सान उठाना पड़ सकता है।
  • आई एंड नोस ड्रॉप का प्रयोग करना - क्या आप जानते है कि बिना डॉक्टर के प्रिस्क्राइब किये ही आई एंड नोस ड्रॉप का प्रयोग करना खतरनाक साबित हो सकता है ?
  • किसी की भी प्रिस्क्रिपशन के आधार पर स्वयं दवाई खरीदना - आपके मित्र के दूर के रिश्ते की बहन को कुछ-कुछ वेसी ही समस्या है जेसी आपको है। ऐसा सभी कहते है। आप भी बिना सोचे समझे उसकी प्रिस्क्रिपशन मंगा कर उनकी दवाइयों का सेवन करने लगते है। जबकि वास्तविकता यह है की हजारों ऐसी बीमारियाँ है जिनके लक्षण एक जेसे ही होते है. पर इसका यह अर्थ बिलकुल भी नही की आप भी उन दवाइयों का सेवन शुरू कर दें।
  • डॉक्टर के पास खुद न जाकर किसी अन्य व्यक्ति को भेजना -आप जा नही सकते है इसलिए अपने घर के किसी भी सदस्य को डॉक्टर के पास भेज कर अपना इलाज करा लेते है। पर आपको लगता है कि डॉक्टर बिना रोगी को चेक किये दवाई दे पाते होंगे. रोगी यदि स्वयं डॉक्टर के पास न जाये तो हो सकता है कि डॉक्टर आपकी परेशानी को पूरी तरह से समझ न पाए और आपका इलाज न कर पाए।
  • हर व्यक्ति की सलाह पर दवाइयों का सेवन करना - एक काम करें की आप यह नही बल्कि फलां दवाई का सेवन करें। आपको किसी ने यह सुझाव दिया और आपने भी बिना सोचे समझे उस दवाई का सेवन कर लिया. आपकी जरा सी नासमझी की वजह आपको बहुत बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए ऐसी बचकानी बातें करना बंद करें।
याद रहें कि डॉक्टर इसलिए होते है ताकि वे स्वाथ्य समस्याओं का इलाज कर सकें. खुद को डॉक्टर समझने कि गलती बिलकुल न करें, वर्ना आपको भविष्य में बहुत बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है.

रविवार, 13 जून 2010

ब्लड कोलेस्ट्रोल को कम करें -

कोलेस्ट्रोल, एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या जो अब आम बनती जा रही है। आईये, कोलेस्ट्रोल को कम करने के कुछ घरेलू नुस्खो पर एक नजर डालते है।
  • अपने नाश्ते में ओट्स को शामिल करें। ओट्स में पायें जाने वाले फायबर आसानी से पचते है। इन्हें बीटा ग्लुकन कहा जाता है और ये एलडीएल कोलेस्ट्रोल को कम करता है।
  • जब भी स्नैक खाने का मन करें तब एक गिलास पानी पियें।
  • खाली पेट पीसे लहसुन की फांक खाएं। लहसुन में एंटी ओक्सिडेंट होते है जोकि आपके एलडीएल अर्थात खराब कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करता है। अगर आप लहसुन को ऐसे नही खा सकते है तो आप उसकी जगह बाजार में मिलने वाले लहसुन के कैप्सूल का सेवन भी कर सकते है।
  • वैसे तो सभी फल कोलेस्ट्रोल को कम करने में सहायक होते है मगर इसमें सेब बहुत ही लाभकारी साबित होता है।
  • स्नैकिंग करना चाहते है तो बादाम को अपना विकल्प चुने। बादाम ख़राब कोलेस्ट्रोल को कम करता है।
  • ऐसा माना जाता है कि काली मिर्च कि नियमित सेवन करने से भी कोलेस्ट्रोल का स्तर कम होता है।

सोमवार, 10 मई 2010

अपनी काया को दे नया जीवन

खुबसूरत स्किन केवल बाहरी दिखावे से नहीं बनती है बल्कि इसके लिए स्किन शरीर को भीतर से स्वस्थ होना बहुत जरुरी है। एलोविरा एक ऐसा प्रसिद्ध हर्ब है जो आपकी स्किन को भीतर से स्वस्थ बनाने के साथ-साथ आपके शरीर को भी स्वस्थ बनता है। इसकी अदभुत हीलिंग प्रोपर्टीज अर्थात स्वस्थ करने का गुण इसे अन्य हर्बस से अलग करता है।

एलोविरा
में एंटी बेक्टिरियल और एंटी वायरल विशेषताएँ है। सरल भाषा में कहें तो एलोविरा बैक्टेरिया और वायरल दोनों से बचाव करने में समर्थ है। बहुत से अध्ययन भी इस बात का प्रमाण देते है कि एलोवेरा शारीरिक समस्याओं और सौन्दर्य सम्बन्धी समस्याओं के लिए बहुत लाभकारी है। इसकी यहीं विशेषताओं पर फ़िदा हो कर इसका प्रयोग बहुत से ब्यूटी व हैल्थ प्रोडक्ट्स में होने लगा है। कई सालों से आयुर्वेद में प्रयोग होने वाले इस हर्ब की चर्चा इतनी अधिक है कि अब एलोविरा जैल, क्रीम, लोशन, टैबलेट और जूस आदि के रूप में भी उपलब्ध होने लगा है।

दिखे खुबसूरत एलोविरा के साथ : -
एलोविरा जूस की एंटी बेक्टिरियल विशेषता आपकी स्किन को नया जीवन देने में मदद करता है। एलोविरा शरीर को भीतर से डिटॉक्स करता है और स्किन की नमी को बनाए रखने से मदद करता है जिससे आपकी स्किन स्वस्थ बनता है। नियमित रूप से एलोविरा का सेवन करने पर आपकी स्किन भीतर से खुबसूरत बनती है। इस जूस से न केवल आपकी स्किन को नया जीवन मिलता है बल्कि इससे बढती उम्र का स्किन पर पड़ने वाला कुप्रभाव भी कम होता है। एलोविरा जूस झुर्रियों का इलाज करता है। यह स्किन में कोलाजन और लचीलेपन को बढ़ा कर आपकी स्किन को जवान और खुबसूरत बनाता है। साथ हे यह ब्लैक हैड्स को भी साफ़ करता है।
पायें स्वस्थ काया : -
एलोविरा जूस की रोग प्रतिरक्षात्मक क्षमता को मजबूत करता है जोकि इन्फैक्शन से बचने में मदद करता है। ये शरीर के स्टार एनर्जी स्तर को भी बढ़ता है। साथ ही एलोविरा जूस वजन कम करने में भी मदद करता है।
एलोविरा जूस की सभी विशेषताओ को प्राप्त करने का एक आसान और सरल विकल्प है। बस हर रोज एलोविरा जूस का सेवन करें और अपनी स्किन व शरीर को दे नया जीवन।

मंगलवार, 4 मई 2010

चुटकी में करें स्किन केयर

"मैं तो बस केवल ब्रांडेड प्रोडक्ट्स ही लगती हूँ।" हम सभी इस बात को बड़े ही गर्व के साथ कहते है। मगर यदि आप ब्रांडेड या महंगा प्रोडक्ट का प्रयोग कर उसे रात में हटाना भूल जाये तो शायद लोकल प्रोडक्ट की तरह यह प्रोडक्ट भी आपकी स्किन को नुकसान पहुंचा सकते है। आइये जानते है कुछ ऐसी ही छोटी छोटी बातें जो आपकी स्किन को गर्मी के इस मौसम में भी स्वस्थ रखने में मदद कर सकते है।

  1. हर रोज सनस्क्रीन अवश्य लगायें। तब भी इसका प्रयोग करें जब आपने पूरी बांह के कपडे क्योंन पहने हो।
  2. हर रात अपनी स्किन को अच्छे से साफ़ कर अपने मेकअप को अवश्य हटाये। क्लींजिंग करना हर प्रकार की स्किन के लिए बहुत जरुरी है।
  3. रात में सोने से पहले मोशचराइजर अवश्य लगायें। यदि आपकी स्किन तैलीय है तो आयल फ्री या जैल बेस्ड मोशचराइजर लगाये।
  4. अपनी स्किन के टाइप के अनुसार ही साबुन या फेस वाश का चुनाव करें।
  5. सप्ताह में एक बार अपने चेहरे को स्क्रब अवश्य करें। साथ ही आप पन्द्रह दिन में एक बार बॉडी स्क्रब का प्रयोग भी करें। ये आपके शरीर से डेड स्किन और जमी गंदगी को दूर करेगा।
  6. यदि आपके चेहरे पर मुहांसे है तो उसे दबा कर फोड़े नही।
  7. हर दूसरे दिन चेहरे पर फेस पैक लगाये।
  8. खूब पानी पिए और पौष्टिक भोजन का सेवन करें। साथ ही नींद पूरी लें वरना आँखों के नीचे काले घेरे बढ़ सकते है।
  9. किसी के भी बातों में आकर कोई भी स्किन प्रोडक्ट का प्रयोग अपने चेहरे पर न करें।
  10. अपने मेकअप को दूसरों के साथ बिलकुल भी शेयर न करें।

रविवार, 2 मई 2010

सर्फ करें, स्वस्थ रहें


इन्टरनेट हम सभी के जीवन का हिस्सा बन गया है। इन्टरनेट के माध्यम से आप हर विषय पर बहुत सारी जानकारी पा सकते है। जानकारी का भण्डार इन्टरनेट पर सर्फिंग करना आपकी सेहत को भी लाभ देता है। अगर आपको यकीन नहीं होता है तो आईये जानते है इस लेख में।

आज दुनिया एक कंप्यूटर के भीतर समा कर रह गयी है। कंप्यूटर के प्रयोग का यह हल है की अब कंप्यूटर ऑफिस और साइबर कैफे से घर के बेडरूम तक आ गया है। हाई टेक मोबाइल फोन ने तो इन्टरनेट को मोबाइल के फंक्शन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया है। इन्टरनेट न सिर्फ आपको अपने दूर दूर बैठे दोस्तों से जुड़े रहने में मदद करता है बल्कि यह आपको बहुत सी जानकारियाँ भी उपलब्ध करता है। खेल, फैशन, बॉलीवुड, आदि किसी भी विषय की सर्फ़ सर्फ़ करने हो तो आप उसे आसानी से बिना मेहनत के सर्च की जाने वाली जानकारी को लिखना है और एंटर कर जाना है। बस उसके baad आपके पास बहुत सारी इन्फोर्मेशन एक साथ एक ही पेज पर मिल जाती है।

वैसे इन्टरनेट सर्फिंग आपके स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालता है। आपको यकीन नहीं हो रहा है न, मगर यह sach है। आईये जानते है कैसे : -
दिमाग को दुरुस्त बनाता है :-
यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया में किये गए एक अध्ययन से पता चला है कि इन्टरनेट सर्फ करने से दिमाग दुरुस्त रहता है। यह आपके दिमाग को एक्टिव बनाता है। साथ ही सर्फिंग के दौरान दिमाग में निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। इसलिए मिडल एज और बढ़ती उम्र में इन्टरनेट सर्फ करने से दिमाग स्वस्थ बनता है और बढ़ती उम्र का प्रभाव दिमाग पर कम पड़ता है।

स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता :-
इन्टरनेट सर्फिंग करने से आपको ताजा जानकारी मिलती रहती है। यह ताजा जानकारी आपके ज्ञान को अपडेट करती रहती है। वैसे इन्टरनेट पर सर्फ की जाने वाली ज्यादातर जानकारियों में से हैल्थ यानि स्वास्थ्य के बारें में लोगो को सर्फ करना बहुत पसंद होता है। एक तरह से देखे तो यह सर्फिंग आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करती है। आपको इस बात का पता चलता रहता है कि यदि आप अपने स्वास्थ्य के लक्षणों को अनदेखा करते है तो उसका प्रभाव आपके स्वास्थ्य को झेलना पड़ सकता है।
ज्ञान का विकास : -
जाहिर तौर पर यदि आपके घर पर इन्टरनेट है तो आप देश भर की जानकारियों को प्राप्त करते रहते है। न केवल समाचार बल्कि अलग- अलग विषयों पर जानकारी आपके ज्ञान का विकास करने में मदद करती है।

ख़ुशी देती है : -

आप सोच रहे होंगे भला इन्टरनेट आपको कैसे ख़ुशी दे सकता है? मगर इन्टरनेट आपकी ख़ुशी का एक महत्वपूर्ण कारण बन सकता है। इन्टरनेट पर खोले गए आपके पर्सनल अकाउंट, ऑरकुट, फेसबुक, ट्विटर जैसी कम्युनिटी चैटिंग साईट में आप अपने दोस्तों से बार्चित कर ख़ुशी पा सकते है। वैसे आप इनके माध्यम से नए दोस्त भी बना सकते है। अपनो के साथ चैटिंग करना या उनसे मेल के जरिये बातचीत आपको ख़ुशी देती है और आपको अपने दोस्तों से जुड़े रहने में मदद करती है।

किन बातों का ध्यान रखे :-

जिस तरह हर सिक्के के दो पहलू होते है ठीक उसी तरह से इन्टरनेट के भी दो पहलू है। जहाँ एक पहली यह बताता है कि इन्टरनेट खराब भी है।
  • इन्टरनेट का प्रयोग सावधानी के साथ करना चाहिए, विशेष तौर पर जब आपके घर पर बच्चे या टीनएजर हो तो आपको इसके प्रयोग पर ध्यान बहुत जरुरी है।
  • सबसे पहले कंप्यूटर जिसमे इन्टरनेट लगा हो उसे बच्चे के कमरें में न रखे। कई बार बच्चे अपनी उम्र से ज्यादा की चीजो को समझने के लिए गलत साईट सर्फ कर सकते है। यह उन बच्चो के लिए गलत साईट सर्फ कर सकते है। ये उन बच्चों के मानसिक विकास को प्रभावित कर सकता है। इस समस्या से बचने के लिए इन्टरनेट ऐसे कमरें में लगाये जहाँ ये देखा जा सकें कि बच्चे नैट पर क्या सर्फ कर रहे है।
  • एडल्ट साईट को ब्लाक कर दे।
  • यदि आपको कोई अनजान व्यक्ति लगातार मेल लिखकर या चैट कर परेशान करें तो उसकी सूचना पुलिस को दें। अनजान व्यक्ति से चैटिंग आपको परेशानी में डाल सकती है।
  • किसी भी कम्युनिटी साईट पर अपनी असल फोटो या व्यक्तिगत जानकारी विस्तार में न दें। इन्टरनेट क्राइम बहुत बढ़ रहा है इसलिए आपको इसके प्रयोग में सावधानी बरतना बहुत जरुरी है।
  • याद रहें कि इन्टरनेट में हर विषय पर बहुत सी सूचनाएं उपलब्ध होती है मगर उसमें दी गयी हर सूचना पूरी तरह से ठीक हो यह जरुरी नही है। कई बार कुछ साईट पर दी गयी जानकारी ठीक नहीं होती है। इसलिए यदि आप स्वस्थ्य सम्बन्धी कोई जानकारी को सर्फ कर रहें है तो हर जानकारी को सही मानने की गलती न करें।

इन्टरनेट के माध्यम से आप बहुत सी जानकारी प्राप्त कर अपने ज्ञान को बढ़ा सकते है, मगर इसका प्रयोग सावधानी पूर्वक ही करें।

मंगलवार, 27 अप्रैल 2010

हायपरटेंशन : क्या करें, क्या न करें

हायपरटेंशन, बहुत आम सी बात बन कर रह गयी है। हर तीसरा व्यक्ति इससे ग्रस्त मिलता है। मगर सच तो यह है कि इतनी सामान्य लगने वाली यह स्वास्थ्य समस्या उतनी आम या सामान्य नहीं जितना आप सोच रहें है। मूलचंद हार्ट अस्पताल के सीनियर कंसलटेंट, कार्डियोलोजिस्ट, डॉ एच के चोपड़ा हमें बता रहें है कि हायपरटेंशन में क्या करना चाहिए और क्या नहीं?

क्या करें : -
  1. नियमित रूप से हर रोज कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करें।
  2. हर रोज योग और ध्यान की प्रैक्टिस कम से कम 15 मिनट तक करें।
  3. हर रोज छह से आठ घंटे की नींद ले।
  4. खूब सारी हरी सब्जियां, फल और मेवों का सेवन करें।
  5. हर रोज प्रचुर मात्रा में पानी पिएं। एक दिन में कम से कम डेढ़ से दो लीटर तक पानी पिएं।
  6. मछली का सेवन करें क्योंकि उसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है जोकि हृदय को स्वस्थ बनाने में मदद करता है।
  7. रिलैक्स करने की तकनीक जैसे म्यूजिक थेरेपी, अरोमा थेरेपी आदि की मदद ले सकते है।
  8. अनाव को मैनेज करने के लिए आप आध्यात्मिक तकनीकों का प्रयोग कर सकते है।
  9. अपने वजन का ध्यान रखें। पुरुषों की कमर का माप 90 सेंटीमीटर से ज्यादा और महिलाओं में 80 टीमीटर सेंटीमीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
  10. अपने अच्छे कोलेस्ट्रोल को बढ़ने का प्रयास करें। एचडीएल पुरुषों में 40 एमजी प्रतिशत से ज्यादा और महिलाओं में ५० एमजी प्रतिशत होना चाहियें।
  11. अपने ब्लड शुगर को नियंत्रित रखे। ब्लड शुगर फास्टिंग 110 से कम होनी चाहिए।

क्या न करें :-

  1. तम्बाकू का सेवन किसी भी रूप में।
  2. ट्रांसफैट्स का सेवन।
  3. अपनी जीवनशैली को ख़राब।
  4. ज्यादा नमक का सेवन। टमाटर सॉस, आलो के चिप्स, तले खाद्य पदार्थ, अचार, आदि में नमक बहुत ज्यादा होता है इसलिए इनका सेवन करने से बचे।
  5. वजन का बढ़ाना या मोटापे का शिकार होना।
  6. ज्यादा मात्रा में एल्कोहल का सेवन।
  7. बहुत तेज ठन्डे मौसम में घूमना।
  8. फैट से भरपूर डायट जैसे जंक फ़ूड, मिठाई आदि।
  9. रेड मीट और अंडे का पीला भाग का सेवन।
  10. डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी नैजल ड्रॉप यानि नाक में डालने वाले ड्रॉप का सेवन न करें।
  11. वेट लिफ्टिंग या पुश-अप न करें, यह आपके ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकते है।

सोमवार, 26 अप्रैल 2010

अब स्नैकिंग से डर कैसा ?


सुबह का नाश्ता कर लिया था और दिन के खाने में अभी बहुत टाइम है, ऐसे में भूख लग जाये तब क्या करें? अब भूख लगी है तो उसे दूर तो करना ही है। क्यों न चिप्स या बिस्किट खा लिया जाये। इससे भूख कुछ देर के लिए शांत भी होगी और मजेदार स्वाद का आनंद भी मिलेगा।

हालांकि ऐसा करने से पेट को राहत तो मिल जाती है मगर आपके शरीर को बिना बात के बहुत सी कैलरी और फैट्स से दो-दो हाथ करने पड़ जाते है। जबकि हम सभी स्नैकिंग के इन अनहैल्दी विकल्पों की जगह बड़ी ही आसानी से हैल्दी विकल्पों को स्थान दे सकते है।

स्नैक्स न केवल पेट की भूख को दूर करता है बल्कि यह शरीर के गिरे हुए शक्ति के स्तर को भी बढ़ाने में मदद करता है। आइये कुछ हैल्दी स्नैक्स के बारें में जानते है।

मिक्स नट्स :-

मिक्स नट्स, हैल्दी स्नैक्स के लिए सबसे अच्छे विकल्प है। मिक्स नट्स में आप बादाम, किशमिश, काजू, अखरोट आदि को मिला सकते है। इससे शरीर में शक्ति का भी संचार होगा और इसका सेवन करने के बाद पेट को इसे पचाने में समय लगता है जिस कारण आपको पेट के भरे होने का अहसास भी रहता है।

पॉप कोर्न :-

पॉप कोर्न जैसा कोई स्नैक्स हो ही नहीं sakta है। पॉप कोर्न में फायबर होता है और इसमें कैलरी फैट्स बहुत कम होता है। इन्हीं विशेषताओं के कारण यह डायटिंग करने वालों द्वारा बहुत पसंद किया जाता है। इसका सेवन कर आपको पेट भरे होने का अहसास रहता है और इसे स्नैक्स के तौर पर खाना भी लाभकारी है। मगर पॉप कोर्न की कैलरी इस बात पर निर्भर करती है कि आपे उसमें किन पदार्थों को मिलाया है। यदि आप उसमें बटर मिलाएं है तो इसकी कैलोरी बढ़ना लाजमी है।

सेब :-

सेब एक ऐसा फल है जिसे आप कहीं भी बैठकर खा सकते है। फिर चाहे जगह आपका ऑफिस हो या फॉर बस। इसके अलावा हर रोज एक सेब को खाने से आप आसानी से डॉक्टर को दूर भगा सकते है। स्नैक्स के तौर पर सेब को खाने से न केवल बेसमय लगी भूख को दूर किया जा सकता है बल्कि आप दिनभर पांच बार फलों के खाने के नियम को भी आसानी से पूरा कर सकते है।

केला :-

केले में ९० प्रतिशत से ज्यादा पानी होता है। इसमें पोटेशियम भी होता है जो हाई ब्लड प्रेशर के रोगी के लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकता है।

दही :-

गर्मियों के इस मौसम में दही से बेहतर कोई स्नैक्स हो ही नही सकता है। दही से आपको कैल्शियम के अलावा अन्य पौष्टिक तत्वों की भी प्राप्ति होगी। साथ ही इसका रिफ्रेशिंग स्वाद आपके शरीर को तरोताजा करने में मदद करेंगे। आप चाहे तो आप इसमें फलों को काट कर मिलाकर भी चने और मटर सकते है।

अंडे :-

उबले अंडे काले थोड़ी सी चने मिर्च और नमक डालकर खाया जा सकता है। इससे आपको प्रोटीन मिलेगा, जिसकी मदद इंक आपके शरीर में शक्ति का हो होगा।

चने और मटर : -

काले भुने चने और हरे सूखे मटर भी हैल्दी स्नैकिंग में मदद कर सकते है। इनका स्वाद भी अच्छा होता है और यह पौष्टिक भी होते है। इन्हें आप पौष्टिक क्रेकर्स के तौर पर खा सकते है।

उबला आलू : -

कहते है आलू मोटापे को बढ़ता है। मगर उबला आलू आपको मोटापे की समस्या को दूर कर सकता है। बस उबले आलू में थोड़ी सी काली मिर्च का पाउडर डाले और थोडा सा नींबू का रस। नींबू का रस डालने के बाद उबले आलू का पाचन धीमा हो जाता है। जिसके कारण आपको बार-बार लगने वाली भूख से बचा जा सकता है।

खाने के बीच के अंतरालों में भूख लगना सामान्य है इसलिए स्नैकिंग करना भी सामान्य है। मगर स्नैकिंग करने से पहले एक बार इस बात पर भी गौर कर लें कि आपको लगी भूख वाकई में भूख है या फिर केवल आपके मन में स्वादिष्ट भोजन खाने की भूख है।

रविवार, 25 अप्रैल 2010

दोस्त बनकर रहें

उम्र के साथ-साथ शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्तर पर बहुत से बदलाव आते है। यह सभी बदलावों का होना सामान्य है। पर कई बार किशोरावस्था में होने वाले बदलावों को कुछ बच्चे अपनाने के लिए तैयार नही हो पाते है। कई बार तो वे इन बदलावों से इतना परेशान हो जाते है कि धीरे धीरे वे डिप्रैशन का शिकार होने लगते है। आइये जानते है इस लेख में कि कैसे आप अपने बच्चे को उम्र के इस पड़ाव में आ रहें परिवर्तनों के साथ बहना सिखा सकें।

परिवर्तन प्रकृति का नियम है। पर बालमन इस सच्चई को कितनी जल्दी अपनायेही इस विषय में कुछ भी कह पाना आसान काम नहीं है। तेरह साल
की स्तुति उन दिनों न तो किसी से मिलना पसंद करती है और न ही स्कूल जाना। कारण पूछो तो केवल एक ही बात कहती है कि मेरा मन बहुत खराब होता है और नहीं चाहती कि मेरे दोस्तों को पता चलें कि मेरी क्या पेशानी है। हैरानी की बात है मगर स्तुति को लगता है की यह बदलाव केवल उसी के साथ हो रहे है जबकि वास्तविकता यह है कि उसकी उम्र की सभी लड़कियों में यह बदलाव आ रहें है।


बारह साल का
यासिर भी कुछ ऐसे ही बदलावों से परेशान है। उसे लगता है कि अचानक से उसकी मूंछे आने लगी है जबकि उसकी उम्र से बाकी लड़कों में ऐसा बदलाव उसने नहीं देखा है। सभी उसे अंकल कहकर चिढ़ाते है जिसके कारण उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुचती है। उसे लगता है कि शायद वह अपनी उम्र के लड़कों से जल्दी बढ़ा हो रहा है।

उम्र के बढ़ने के साथ इन बदलावों का आना सामान्य है। लड़कियों में शरीर में आकार में
बदलाव, मासिक धर्म से परिचय, मानसिकता में बदलाव आदि कुछ सामान्य बदलाव है। वहीं दूसरी ओर लड़कों के शरीर में बालों का बढना, आवाज में भारीपन आना, मूंछों का आना, विपरीत लिंग में रूचि पैदा होना आदि कुछ बदलाव है। पर इन परिवर्तनों को अपनाना हर बच्चे के लिए आसान नहीं होता है। कई बार कुछ बच्चे इन् बदलावों के कारण तनाव डिप्रैशन तक का शिकार हो जाते है। अभिभावक होने के नाते आपको अपने बच्चे को इस समस्या से बाहर निकालने का काम करना है। आईये जानते है कि कैसे आप अपने बाचे को इन मुश्किल की घड़ी में साथ दें।

चर्चा करें : -
सबसे पहले जब बच्चे बड़े होने लगते है तो उनके माता-पिता बन्ने से बेहतर है
कि आप उनके दोस्त बनें। सर गंगाराम अस्पताल की कंसलटेंट साइकोलोजिस्ट डॉ आरती आनंद के अनुसार, उम्र के इस दौर में अपने बच्चे से उसका दोस्त बनकर बात करें। उससे चर्चा करें कि आपका बच्चा कौन सी समस्या से गुजर रहा है। जब तक आप दोस्त बनकर अपने बच्चे से उसकी समस्याओं पर चर्चा नहीं करेंगे तब तक आपका बच्चा परेशान ही रहेगा।


सभी एक से नही होते : -
कई बार बच्चो को लगता है
की उसके साथ हो रहें शारीरिक व मानसिक बदलाव केवल उन्हीं के साथ हो रहें है क्योंकि उनके बेस्ट फ्रेंड तो पहले की ही तरह है। वे यह बात नही समझ पाते है की जब हमारी शक्ले, खानपान सब कुछ दूसरे से अलग है तो फिर उम्र के साथ होने वाले बदलाव क्यों नहीं। डॉ आनंद के अनुसार, अपने बच्चे को समझाए कि हमारे सभी के शरीर के हार्मोन्स दूसरे से अलग होते है इसलिए बदलाव किसी बच्चे में जल्दी तो किसी में देर से देखने को मिलते है।


समझाएं : -
कई बार बच्चे बदलाव क्यों हो रहे है यह तो समझ लेते है मगर इन्हें अपनाने के लिए तैयार नहीं होते है। ऐसा विशेष रूप से किशोरियों के साथ मासिक धर्म के शुरुआत के दौरान होता है। ऐसी परिस्थिति में अपने बच्चे को समझाएं कि बदलाव हर व्यक्ति के भीतर हर उम्र में होते है। उसे किसी शिशु, बुजुर्ग या अपना उदाहरण दें। उसे इन बदलावों
की महत्ता के बारें में भी बताएं। उसे समझाएं कि यदि यह शारीरिक बदलाव उम्र के इस पड़ाव पर न हो तब आपको परेशान होने कि जरुरत है। ऐसा कहना है डॉ आनंद का।

उसे बताएं कि जब आप किशोरावस्था में थी तब आपने कैसे इस बदलाव को अपनाया था।
और अगर समस्या बेटे की है तो पिता को उसे समझाने की जिम्मेदारी को उठाना चाहिए। इससे आपका बच्चा अपने समस्या को ज्यादा अच्छे ढंग से बता सकता है। समझाते हुए एक बात का ध्यान रखे कि आप अपना अनुभव बताते हुए झूठ न बोले या यह जताने का प्रयास न करें कि आप कितने महान थे और आपने बिना डरे या घबराएं ही इस परेशानी से तारतम्य बिठा लिया था।

रुढ़िवादी विचारधारा को त्यागे : -

अक्सर हम मॉर्डन विचारधारा के होने के बाद भी कुछ रुढ़िवादी विचारों को लादे नहीं। अभिभावकों को पुरानी या घटिया रुढ़िवादी विचारधारा को त्यागना बहुत जरुरी है। आज जिस तरह खुली विचारधारा में बच्चे जी रहे है यदि आप उन पर होने वाले बदलावों पर बार बार टोकते है तो आप उन्हें परेशान कर रहें है। आपको खुली विचारधारा को अपनाना होगा।

इस उम्र में सेक्स के प्रति बढती रूचि और मन में उठती जिज्ञासाओं को भी समझने का प्रयास करें। अक्सर इस उम्र के लड़कों का रुझान इस ओर कुछ ज्यादा बढ़ जाता है। यदि आपका बच्चा किसी विषय पर कुछ जानना चाहता है तो उसे बेशर्म कहकर उसकी बात को काटकर उसे चुप न कराएँ बल्कि उसके सवालों का उत्तर देने का प्रयास करें।

डॉ आनंद ने अभिभावकों को यह सुझाव दिया है कि इस विषय पर बहार या अपने दोस्तों से गलत सूचनाएं प्राप्त करने से बेहतर है कि आप उन्हें सही जानकारी दें। यदि आप चाहते है कि किसी गलत स्रोत से गलत जानकारी पाकर आपका बच्चा गुमराह न हो तो आप उसे सही जानकारी दें।

अपने शरीर की देखभाल अच्छे से करें :-

यदि आप अपने शरीर की देखभाल अच्छे से करते है तो आप शायद इन परिवर्तनों को अपनाने में ज्यादा बच सकते है। इस बात को अपने बच्चे को समझने का प्रयास करें। पौष्टिक भोजन और व्यायाम आपके बच्चे को स्वस्थ रखने में मदद करेगी और उसके तनाव से लड़ने में भी मदद करेगा।

परेशान न हो : -

अभिभावक को यह समझना जरुरी है कि आपका बच्चा उम्र के ऐसे पड़ाव के साथ गुजर रहा है जहाँ बहुत कुछ हो रहा है। इस उम्र में अपना बच्चा से शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजर रहा है जिस कारण आपके बच्चे के व्यवहार में बदलाव आ रहा है। हो सकता है कि आपके समझाने पर भी आपका बच्चा पूरी तरह से आपकी बातों को न समझे या थोडा सा परेशान रहें। ऐसी स्थिति हो तो आप अपना आप न खोये बल्कि शांत रहने का प्रयास करें। याद रहें इस समय आपके बच्चे को सबसे ज्यादा दोस्त की जरूरत है। उसका दोस्त बने और उसकी परेशानी को समझकर उससे उबरने में उसकी मदद करें।