बुधवार, 25 अगस्त 2010

नैबुलाइज़र

नैबुलाइज़र, एक ऐसा डिवाइस है जिसमें रोगी के फेफड़ों तक साँस के माध्यम से दवाई पहुँचाने के लिए इन्हेलर के तौर पर प्रयोग में लाया जाता है। इसका प्रयोग सामान्य तौर पर अस्थमा और अन्य श्वास सम्बन्धी समस्याओं के रोगियों द्वारा किया जाता है।

कितना है उपयोगी :
डॉ सुशीला कटारिया, इंटरनल कंसलटेंट, पारस अस्पताल, गुडगाँव ने इस गैजेट के बारें में जानकारी देते हुए बताया कि, "नैबुलाइज़र अस्थमा में होने वाली खांसी की समस्या में आराम देता है। यह दवाई का असर सीधे प्रभावित हिस्से पर करता है मगर इसका प्रयोग करने की तकनीक पहले अपने डॉक्टर से अवश्य पूछ ले।"

नैबुलाइज़र का प्रयोग करने के बाद उसे तुरंत साफ करना जरुरी है। अगर आप ऐसा नही करते है तो उसमें बैक्टीरिया का जन्म हो सकता है।

मार्केट में कीमत :
नैबुलाइज़र की कीमत मार्केट में 2000से 3000 के बीच में है।

सोमवार, 23 अगस्त 2010

हीटिंग पैड्स

आज भी हम सभी के घर में सिकाई के लिए वाटर बैग का ही प्रयोग किया जाता है। मगर समय के साथ बहुत सी चीजे बदलती है। अब धीरे धीरे लोग हीटिंग पैड्स का प्रयोग हॉट वाटर बैग की जगह करने लगे है। अब सिकाई करना एकदम आसन हो गया है। बस आपको इसकी वायर को पॉवर प्लग में लगाकर स्विच ऑन करना है और सिकाई का आनंद उठाना है। आपको सिकाई के लिए गर्म पानी की थैलियों को तैयार करने में जितनी मेहनत करनी पड़ती थी अब आप उसे केवल एक स्विच भर ऑन करने से प्राप्त कर सकते है।

कितना है उपयोगी :
"वैसे तो यह हीटिंग पैड्स बहुत ही उपयोगी है मगर यदि आप गर्भवती है तो पेट के निचले हिस्से में इसका प्रयोग करने से बचें। गर्भावस्था के शुरुआती 12 सप्ताह से पहले गर्भवती महिला के शारीर का तापमान 39 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा नहीं होना चाहिए इसलिए इनका प्रयोग उनके लिए हानिकारक साबित हो सकता है। मगर आप गर्भावस्था के दौरान होने वाले जांघों और पीठ दर्द में इसकी मदद ले सकते है।" ऐसा कहना है डॉ कौशिकी द्विवेदी, कंसल्टेंट गायनोकॉलोजिस्ट, मैक्स अस्पताल का।

क्या कहता का मार्केट :
हीटिंग पैड्स के लिए आपको अपनी जेब से ज्यादा पैसे खर्च करने की जरुरत नहीं है। आप केवल 350 से 700 रूपये में इसे खरीद सकते है।

बुधवार, 18 अगस्त 2010

ग्लूकोमीटर

ख़राब जीवन शैली से बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं का जन्म हो रहा है। इन्हीं समस्याओं में से एक समस्या डायब्टिज है। इसी को देखते हुए बाज़ार में एडवांस बायोसेंसर टैक्नोलोजी युक्त ग्लूकोमीटर आ गए है जोकि बस चंद सैकंड में ही आपको आपके शुगर का लेवल बता देते है। हालांकि डायब्टिज का पता पहले नही लग पता है मगर यदि आप नियमित रूप से अपने शुगर को चैक करते रहे तो आप इस समानस्य के बढ़ने से पहले इस पर नियंत्रण स्थापित कर सकते है।

ग्लूकोमीटर :
मैक्स हैल्थकेयर के कंसल्टेंट एंडोक्रिनोलोजिस्ट डॉ सुजीत झा ने बताया है कि "कोई भी व्यक्ति इस गैजेट का प्रयोग की मदद से घर बैठे बैठे हे अपने ब्लड ग्लूकोज के बारें में पता लगा सकता है। साथ ही यह एक अच्छा गाइड बनकर आपको इस बात की भी जानकारी देता है कि आप अपने डायब्टिज को कंट्रोल करने में कितने सफल रहे है।"


कितना है उपयोगी :

ग्लूकोमीटर पर निकले नतीजो पर आप यकीन कर सकते है। हाँ, यह सत्य है कि यह नतीजे लैब में कराये जाने वाले ब्लड शुगर टेस्ट की रिपोर्ट की तरह एकदम सटीक नही होते है फिर भी इनके द्वारा निकला गया परिणाम सही ही मन जा सकता है। सामान्यतौर पर लैब और ग्लूकोमीटर के परिणामों में कुछ ज्यादा अंतर नही होता है।

सीनियर कंसल्टेंट एंडोक्रिनोलोजिस्ट डॉ अम्बरीश मित्थल के अनुसार, "बाज़ार में आ रहें नए ग्लूकोमीटर में आपको कोडिंग करने की भी कोई जरुरी नहीं होती है और उससे मिलने वाले परिणाम को समझना भी आसान होता है।"

मार्केट में कीमत :

बाज़ार में ग्लूकोमीटर के बहुत के बहुत से ब्रांड मौजूद है। आप अपने डॉक्टर से परामर्श लेकर सही ब्रांड का चुनाव कर सकते है। इस ग्लूकोमीटर को खरीदने में आपको 1000 से 3000 रूपये खर्च करने होंगे।

सोमवार, 16 अगस्त 2010

डिजिटल बीपी मशीन

वे दिन अब लद गए जब हमारे घरों में हेल्थ उपकरण यदि हेल्थ गैजेट के नए पर केवल थर्मामीटर और वजन मापने की मशीन हुआ करती थी। जैसे जैसे तकनीकी विकास बढ़ता जा रहा है, वैसे वैसे बाजार में उपयोगी हेल्थ गैजेट भी उतारते जा रहे है। आईये एक ऐसे ही हेल्थ गैजेट डिजिटल बीपी मशीन की बात करते है।

डिजिटल बीपी मशीन :


आपने डॉक्टर साहब के यहा बीपी मोनिटर करने वाली मशीन तो देखी ही होगी, जिसमे पारे के माध्यम से बीपी मापा जाता है। मगर यह डिजिटल बीपी मशीन मैनुअल बीपी मशीन से अलग होती है। यह पूरी तरह से ऑटोमैटिक होते है और आप इन्हें बड़ी ही आसानी से घर में प्रयोग कर सकते है। आपको इसके अलग अलग प्रकार मिल जाएंगे (जैसे - बाजू में लगाकर चैक करने वाले या कलाई पर लगाने वाले)। इसके प्रयोग भी बहुत आसन है बस इसे कलाई पर बंधे और बटन दबाकर आप निश्चिन्त होकर बैठ जाये। आपका बीपी मशीन एक बीप की आवाज के साथ ही आपको मोनिटर किये गए ब्लड प्रेशर का पूरा परिणाम सरल भाषा में स्क्रीन पर दे देता है।


कितना है उपयोगी :


डॉ हंसा गुप्ता, कंसल्टेंट कार्डियोलोजिस्ट के अनुसार, " यह गैजेट आपको बाजार में सही कीमत पर मिल जाते है और यह बहुत ही प्रभावी ढंग से बीपी के उतार-चढाव को चैक करने में मदद कर सकते है। इलैक्ट्रोनिक बीपी मशीन का प्रयोग करना भी आसन है और इसमें बीपी के साथ-साथ आपके पल्स रेट का भी रिकार्ड आ जाता है।"


इस गैजेट के बारें में और जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि " यदि आपके पास ऑटोमैटिक बीपी मशीन है, तब भी पारे वाली बीपी मशीन पर अपनी रीडिंग को चैक करते रहे। अगर विश्वसनीयता की बात करें तो पारे वाली मशीन ज्यादा विश्वसनीय होती है। मगर इसमें सिस्टोलिक और डायस्टोलिक बीपी को कैसे रिकॉर्ड किया जाता है यह आपको अच्छे से आना बहुत जरुरी है।"


मार्केट में कीमत :


आपको यह ऑटोमैटिक बीपी मशीन बाजार में आसानी से मिल जाएंगी। इस मशीन को खरीदने के लिए आपको 2500 से 4500 तक रूपये खर्च करने पड़ सकते है।

रविवार, 15 अगस्त 2010

सफाया करें तनाव का

क्या आप जानते है कि आपके घर में पड़ी चीजें आपको बीमार कर सकती है? आपके घर के भीतर पड़ी बेकार की चीजे आपको मानसिक रूप से अस्वस्थ बनती है और आपके स्वास्थ्य को नुकसान पंहुचा सकती है। घर से कबाड़ को दूर करने की इस प्रक्रिया को डिक्लटर कहते है और यह तनाव कम करने की एक कारगर प्रक्रिया है। आईये जानते है कि कैसे आप अपने घर के कबाड़े यानि क्लटर से बच सकते है।

जब भी मैं परेशान होती हूँ, मैं अपने टेबल, अलमारी की सफाई करती हूँ । सच मानिये ऐसी साफ़ सफाई करना आपके लिए कमाल का काम करेगी। ऐसा करने पर आप बेहतर और शांत अप्नुभाव करते है। ऐसा कहना है अनुषा वर्मा का जोकि एक मीडिया कंसल्टेंट का।

हम सभी हर बार किसी न किसी बेकार की फालतू चीज़ को इसलिए बहार नही फैंकते है क्योंकि हमें हरदम यही लगया है कि शायद वो चीज भविष्य में काम आ सकती है। साइकाइट्रिस्ट और साईकोथेरेपिस्ट डॉ दीपक रहेजा ने विस्तार में बताया है कि "जब कबाड़ या बेकार की चीजे नियंत्रण से बाहर हो जाती है तब लोग होर्डिंग सिंड्रोम का शिकार हो जाते है। इस सिंड्रोम में लोग उन चीजो को भी संभाल कर रखने लगते है जोकि अन्य सामान्य लोगो की दृष्टि में बेकार की होती है। इस डिसआर्डर से बचने के लिए आपको साईकोलोगिस्ट की मदद लेनी चाहिए।"

फेंगशुई एक्सपर्ट ईशा गुप्ता के अनुसार, "फेंगशुई में अस्वस्थ और अव्यवस्थित मानसिक, शारीरिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक जीवन का मुख्य कारण घर में जमा फालतू की चीजे होती है। "

कैसे निकाले कबाड़ा :



घर में जमा इस कूड़े कबाड़े को साफ़ करना इतना भी मुश्किल काम नही है, जितना की आप सोच रहे है। अगर आप अपने प्लान पर बने रहे तो आप आसानी से इस दूर कर सकते है। आईये जानते है कैसे :
  • फालतू चीज बाहर का नियम अपनाये। जो चीज घर में कई सालो से है और जिसका इस्तेमाल नही है, उन्हें निकाले। संजना के पति इंडियन आर्मी में काम करते है। हर तीन साल में एक शहर से दूसरे शहर शिफ्ट होते रहते है। संजना पुरानी चीजो को अपने साथ लिए लिए नही घुमती है। किचन के पुराने कप और बर्तन, पुराने कपडे आदि वह अपने स्टाफ को दे देती है जिससे वे खुश भी हो जाते है और नयी चीजो को घर में रखने की स्पेस भी मिल जाती है।
  • एक खरीदो, दो निकालो नियम। जब भी कोई नयी चीज ख़रीदे दो पुरानी चीजो को अपने घर से बहार निकाले। शरुआत अखबार से करे। अगर आप नये जूते लाते है तो या तो पुराने जूते फैक दे या उन्हें किसी को दे दे।
  • अलग वर्गों में बाटें। सप्ताह, पंद्रह दिन या महीने में एक बार अपने घर की चीजो को व्यवस्थित करे। हर रोज दस मिनट का समय निकले। यदि आप हर रोज दस मिनट चीजो को व्यवस्थित करने में बिताते है तो आपको बाद में ज्यादा परेशान नही होना पड़ेगा। बच्चो के ख़राब खिलौनों और कपड़ों को किसी को दान में दे दे। जो दवाइयां एक्सपायर हो गयी है उन्हें नष्ट कर दे।
  • क्रमवार सफाई करें। आपको हमेशा एक कोने से शुरुआत करनी है और फिर उससे आगे बढ़ना है। अगर आप एक जगह की सफाई को आधा छोड़ दूसरी जगह की सफाई करते है तो आप कभी भी ठीक से सफाई नही कर पाएंगे।
  • स्टोर रूम को कम जगह दे। आप अपने घर में स्टोर रूम को जितनी कम जगह देंगे, फालतू की चीजे आपके घर में कम स्टोर होगी और आपके घर में बेकार की चीजो को छिपाकर रखने की जगह कम हो जाएगी।
कुछ महत्वपूर्ण बातें :-


ईशा गुप्ता के कुछ सुझाव -

  • ध्यान दे कि आपके घर में कों से कमरे में सभी लोग जयादा रहना पसंद करते है। उन कमरों में सुधार करने का प्रयास करें। रंग, संगीत, लाईट, पानी, आदि में स्ट्रोंग एनर्जी होती है जोकि हर कमरे में होनी चाहिए। यदि आपे घर में कोई ऐसा कमरा है जिसमे कोई जाना पसंद नही करता है तो अपने कमरे को नये रंग से रंगे और फिर देखें कि क्या आपको अपनी शारीरिक उर्जा में कोई फर्क देखने को मिलता है।
  • पौधे जीवन का प्रतीक कराते है और कमरे में जान रंग डाल देते है।
  • घर के सभी गंदे कपड़ों को एक बैग में रखे। साफ़ और गंदे कपड़ों को मिलकर न रखे।
  • अपने बैद के नीचे, पीछे की तरफ कबाड़ इकट्ठा न होने दे।
  • खिडकियों के आसपास भीडभाड कर उसे ब्लाक न करें। खिडकियों को खुला रखे और शुद्ध हवा को भीतर आने दे।
  • घर के कोरिडोर से एनर्जी एक कमरे से दूसरे कमरे में जाती है। सीढियाँ हमेशा खुली रखे और कबाड़ से परे होनी चाहिए। इससे न केवल सुरक्षा बढती है बल्कि फेंगशुई की कोस्मिक एनर्जी "ची" का बहाव भी बढाती है।
  • यह बहुत जरुरी है कि आप टेबल की सफाई नियमित रूप से करें।
  • उस कमरे से शुरुआत करें जो आपको सबसे जयादा परेशान करता है। वह कमरा जिसमे कबाड़ भरा हो या जिसमे आपका जाने का मन बिलकुल भी न करता हो उस कमरे को सबसे पहले साफ़ करें। ऐसे कमरे आपको मानसिक और शारीरिक तनाव का शिकार बना सकते है।

बेकार की चीजे घर से बहार करने से घर में स्पेस बढती है साथ ही आपका तनाव भी कम होता है। आप चाहे तो आप बहुत सी बेकार चीजो को डोनेट भी कर सकते है। हो सकता है की आपके द्वारा डोनेट किया गया बेकार सामान, किसी और की जरुरत को पूरा कर पाए।