गुरुवार, 23 जून 2011

घमौरी नाशक - प्रिक्लीहीट पाउडर

हम सभी जानते है कि घमौरियां सामान्य पाउडर से ठीक नही होती है. हमें इन्हें ठीक करने के लिए एनी विकल्पों का चुनाव करना होता है और इसलिए हम सभी प्रिक्लीहीट पाउडर का प्रयोग करते हैं. प्रिक्लीहीट पाउडर घमौरियों का इलाज़ करने में प्रभावी होते है और इसका प्रयोग समस्या में जल्दी सुधार लाने में मददगार साबित होता है. आइये जानते हैं कैसे :

क्या है प्रिक्लीहीट पाउडर -


प्रिक्लीहीट पाउडर सामान्य पाउडर जैसे हे होते है. सरल भाषा में कहें तो प्रिक्लीहीट पाउडर और सामान्य पाउडर लगभग एक सामान ही होते है. पर प्रिक्लीहीट पाउडर में प्रयोग में लाये जाने वाले अन्य पदार्थ इसे सामान्य पाउडर या टैल्क से अलग और असरदार बनता है.


कितना सुरक्षित है बच्चों के लिए -


हम सभी जानते है कि हमारी स्किन की तुलना में बच्चों की स्किन विशेष रूप से नवजात शिशु की स्किन जयादा कोमल और नाज़ुक होती है. साथ ही इनकी स्किन में सोखने की ताकत भी अधिक होती है जिस कारण पाउडर के तत्व ज्यादा आसानी से स्किन में प्रवेश कर जाते है. बच्चों की स्किन पर इस तरह के पाउडर का प्रयोग न करें. बच्चो के लिए या तो उनकी स्किन और उम्र को ध्यान में रख कर बनाये जाने वाले पाउडर या फिर सामान्य टैल्क का प्रयोग करना चाहिए. साथ ही आप घरेलू नुस्खों की भी मदद ले सकते है. लेकिन धयान रहें कि आप घरेलु नुस्खों का भी प्रयोग बच्चे की स्किन पर टेस्ट करने के बाद ही करें.


प्रिक्लीहीट पाउडर और स्किन कलर -


ऐसा मन जाता है कि प्रिक्लीहीट पाउडर स्किन की रंगत को गहरा करते है. इनका प्रयोग स्किन को कला करता है. जबकि यह एकदम गलत है. यदि किसी व्यक्ति को प्रिक्लीहीट पाउडर में प्रयोग किये गए किसी तत्व से एलर्जी हो तभी स्किन के रंग में अंतर जैसी समस्या देखने को मिलती है. साथ ही जब घमौरियां ठीक होने लगती है तब भी स्किन का रंग गहरा हो जाता है और हम यह मां लेते है कि स्किन के गहरे रंग का कारण प्रिक्लीहीट पाउडर का प्रयोग है.


घरेलु नुस्खे -


सुरक्षात्मत चिकित्सा के रूप में आप घरेलु नुस्खों की भी मदद ले सकते है. कुछ नुस्खे इस प्रकार है -




  • ओटमील और पानी के मिश्रण का लेप लगायें.


  • प्रभावित हिस्से पर बर्फ रगड़ें.


  • बेसन से एलर्जी न हो तो बेसन के पेस्ट का प्रयोग करें. (यदि आप बेसन का प्रयोग पहली बार कर रहे हो तो पहले अपने कान या गर्दन के किसी हिस्से पे इसे लगा कर स्किन टेस्ट कर ले.


  • चन्दन का पेस्ट भी आपको ठंडक देने में मदद करेगा.


  • नीम का प्रयोग भी लाभकारी साबित होता है.


  • मुल्तानी मिट्टी के पेस्ट को शरीर पर लगा ले और फिर स्नान कर ले. कई बार कुछ लोगो को मुल्तानी मिट्टी से एलर्जी हो जाती है इसलिए इसका भी प्रयोग करने से पहले स्किन टेस्ट अवश्य कर ले.

प्रिक्लीहीट पाउडर स्किन के लिए सुरक्षित है. बस एक बात का ध्यान दे कि हमेशा किसी अच्छे ब्रांड के पाउडर का ही प्रयोग करें. साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि उस पाउडर का प्रयोग करें उसमें नीम जैसे हर्बल तत्व हो.


(डॉ. सचिन धवन, अर्टिमीस हैल्थ इंस्टिट्यूट, गुडगाँव से बातचीत पर आधारित)

बुधवार, 1 जून 2011

साँसों की डोर

हमारी साँसे वे डोर है जो हमें जीवन से जोड़े रहती है. अर्थात जब तक साँसे चलती है तब तक जीवन चलता रहता है. सबसे आसन और निरंतर चलने वाली यह प्रक्रिया जितनी आसन दिखती है, उतनी ही महत्वपूर्ण भी है. आइये आधिक जानते जानकारी पाते है.

योग गुरु सुनील सिंह के अनुसार, "श्वसन प्रक्रिया यानी सांस लेना एक जरुरी मगर एक विशिष्ट प्रक्रिया है, जो सामने धारा की तरह चलती रहती है. मगर हर व्यक्ति सावधानीपूर्वक भी सांस लेने की इस प्रक्रिया को कर सकता है. हम सभी जानते है की यह प्रक्रिया बेहद जरुरी है. आपको यह जानकार हैरानी होगी मगर साँसे हमारे शरीर के प्रत्येक सैल और हर गतिविधि को प्रभावित करती है."


क्यों है जरुरी :

सांसो की प्रक्रिया सही और दुरुस्त हो, यह हर व्यक्ति के लिए जरुरी है. यदि आप सही ढंग से सांस लेते है तो आपका शरीर और मस्तिष्क दोनों ही सवास्थ रहेंगे.


सही प्रक्रिया से मिलने वाले लाभ :



  • इससे हृदय मजबूत बनता है.


  • यह शरीर में ऊर्जा का संचार करती है और शारीरिक गतिविधियों को करने में सहायता करती है.


  • सम्पूर्ण स्वास्थ्य में सुधार करने में सहायक होती है.


  • तनाव को कम करती है.


  • थकान दूर करती है.


  • लम्बी आयु और स्वस्थ जीवन जीने में सहायक होती है.

कैसे करें सुधार :


अब प्रश्न यह उठता है कि यदि साँसों कि प्रक्रिया गलत है तो उसमे सुधार कैसे लाया जाये? इस पर प्रकाश डालते हुए योग गुरु सुनील सिंह ने बताया है कि हमेशा लयबद्धता के साथ धीरे-धीरे और लम्बी साँस ले. अगर आप नियमित रूप से प्राणायाम का अभ्यास करते है तो आपकी साँस लेने की गलत प्रक्रिया में सुधार लाया जा सकता है.


गलत प्रकिया के कुप्रभाव :


हमने सही प्रक्रिया के बारें में तो चर्चा कर ली. आइये अब गलत या अनियमित ढंग से ली गयी सांसों के कुप्रभाव पर भी एक नज़र डालते है. गलत ढंग से ली गयी सांसो से मस्तिष्क की लयबद्धता बाधित हो सकती है. साथ ही शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक विकास में भी रूकावट पैदा हो सकती है. ऐसा कहना है योग गुरु सुनील सिंह का.


अंत में हमें योग गुरु सुनील सिंह ने बताया है कि "नियमित रूप से योग का अभ्यास करने से सम्पूर्ण स्वास्थ्य को लाभ मिलता है. यहाँ तक कि यह अस्वस्थ शरीर में भी यह स्वास्थ्य का संचार करने में सहायक साबित होता है.