शनिवार, 28 अप्रैल 2012

फूड जो घटायें धूम्रपान का चस्का



हर साल 31 मई को विश्व टोबेको दिवस मनाया जाता है। इस दिन कई तरह के जागरूकता प्रोग्राम होते हैं। इनका उदेश्य होता है धूम्रपान से लोगों को जागरूक करना। लोगों को बताया जाता है कि कैसे टोबैको कैंसर का कारण बन रहा है। कैसे दुनिया में लाखों लोग टोबैको की वजह से कैंसर का शिकार होकर अपनी जान गॅवा रहे हैं।
बहुत सारे लोग इस दिन टोबैको, सिगरेट और गुटखा जैसी चीजों से दूर रहने का खुद से वादा करते हैं। ऐसे में लोग कई तरह के क्यूईट स्मोंकिंग भी ट्राई करते हैं। कुछ लोग तो इससे छूटकारा पाने में सफल हो जाते हैं मगर ज्यादातर लोग अपनी पुरानी आदत पर वापस आ जाते हैं क्योंकि स्मोंकिंग छोड़ना आसान काम नही होता। इसके अलावा भी लोग कई तरह के निकोटीन पेचेज, हिप्नोसिन और मेडिसन प्रिस्क्रप्शन लेते हैं। लेकिन क्या आपको पता है इसका इलाज आपके घर में ही है। जी हां सही समझा आपने आपका भोजन ही है। तो आइए कुछ ऐसे भोजन के बारे में जानें जो आपको टोबैको यानि निकोटीन की आदत से छुटकारा दिला सकता है।

मिल्क और ड्राई प्रोडक्ट
ये तो आप सब जानते हैं कि दूध आपकी बाॅडी में कई सारे पोषक तत्वों की पूर्ति करता है लेकिन क्या आप ये भी जानते है कि दूध आपको स्मौकिंग से दूर रखाने में भी आपकी सहायता करता है। डक्स यूनिवर्सिटी के एक सर्वे में ये बात सामने आयी कि जो लोग सिगरट पीने से पहले एक गिलास दूध का प्रयोग करते हैं उन्हें सिगरेट का टेस्ट कड़वा लगता है। तो आप दूध पीयें और सिगरेट पीने की लत को दूर करें।

कुछ सब्जियां
कुछ सब्जियां हैं जैसे गाजर, तोरी, ककड़ी और बैंगन का पौधा, इन्हें स्मौंकिंग से पहले खाना चाहिए। एक्सपर्ट कहते हैं कि इन सब्जियों के खाने से निकोटीन पर से निर्भरता कम होती है। हालांकि आपको मटर और मकई जैसी सब्जियों से दूर रहना चाहिए क्योंकि इनमें ग्लूकोज ज्यादा होता है। ये आपके खुशी और संतुष्टि के लिए ब्रेन के जिम्मेदार क्षेत्र के प्रति लालसा बढ़ा सकते हैं। इसलिए आप गाजर और अजवाइंन को चबाएं। और अगली बार जब आप स्मौंकिंग के प्रति आकृषित हों तो आप शलजम के सलाद का आनंद उठा सकते हैं।

आॅरेंज जूस
सिगरेट आपके अंदर विटामिन सी की कमी पैदा करता हैं या शरीर में इसकी सप्लाई को रोकता है। अगर आप जल्दी से जल्दी सिगरट से छुटकारा पाना चाहते हैं तो अधिक से अधिक आरेंज जूस लें और ज्यादा से ज्यादा फल खायें जैसे लेमन और दूसरे फल जो विटामिन सी का पाॅवर हाउस होते हैं।

साॅल्टी फूड
जब आप ज्यादा स्मौकिंग करते हैं तो ऐसे में आपको साॅल्टी फूड काफी लाभप्रद होगा। क्योंकि ये आपकी जीभ के टिप को साॅल्टी बनाये रखता है। ऐसे में आपको स्मौकिंग के प्रति ललक कम होगी।

जिंन्सेंग
ये एक चाइनीज हर्ब है। स्मोकिंग में ये आपके लिए वेट लोस करने से भी ज्यादा कारगार है। जिन्सेंज की क्वाल्टिी होती है कि ये निकोटीन के प्रभाव को कम करती है।

गम
सुगर फ्री गम को चबाना चाहिए क्योंकि ये आपके मुंह को बिजी रखने का सबसे अच्छा तरीका होता है। जब आपका मुंह बिजी रहेगा तो खुदबखुद आपकी लालसा स्मौंकिंग के प्रति कम होने लगेगी।
इन सारे फूड को लेते वक्त एक बात का खास ख्याल रखना चाहिए। जब आप क्यूईट स्मौकिंग ले रहे हो तो एल्कोहल, कैफीन और रेड मीट से दूरी बनायें रखें। क्योंकि ये प्रोडक्ट मिल्क फूड के एक दम विपरीत कार्य करते हैं। तो अगर आप कुछ सावधानियों और दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ इन फूड का प्रयोग करेंगे तो वाकई आप स्मौंकिंग से छुटकारा पा सकते हैं।

गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

काम और काम खुद का नही ध्यान



राजेश राना
मीडिया में कार्यरत अनुपमा सहगल को अक्सर थकान की शिकायत रहती है, वे दिन भर काम करके जब आॅफिस से लौटतीं हैं तो घर का काम करने में उनको बहुत परेशानी होती है। अनुपमा की तरह और भी ऐसे कईं लोग हैं, जिनमें उम्र के साथ थकान के कारणों में भी बदलाव आता है। अगर आपको भी ऐसा महसूस होता है तो थोड़ा संभलिए क्योंकि इसकी वजह से कई समस्याएं हो सकती हैं।

थकान दो तरह की हो सकती है शारीरिक और मानसिक। हालांकि शारीरिक थकान से आराम करके जल्दी ही निजात पाई जा सकती है लेकिन मानसिक थकान को दूर करने में कुछ समय लग सकता है। अक्सर थकान को हम नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन ये जानना बहुत जरूरी है कि थकान का कारण क्या है और कैसे इसे जल्द से जल्द दूर किया जा सकता है। आइये जानें थकान और तंद्रा के कुछ कारण जो आपको निरंतर बेचैन और व्याकुल रखते हैं। कुछ सामान्य से टिप्स अपनाकर आप इन कारणों से लड़ कर एक स्वस्थ और आनंदमय जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
थकान के कारण  
  ज्यादा शारीरिक काम
अगर आप शरीर की क्षमता से अधिक कार्य करते हैं तो ये कहीं ना कहीं शरीर की थकावट का कारण बन सकता है।
ज्यादा व्यायाम करना
कुछ लोग व्यायाम तो करते हैं मगर उन्हें पता नही होता कि कितना व्यायाम किया जाये तो ऐसे में कुछ ज्यादा ही व्यायाम कर डालते हैं जो शरीर को थका देता है।
 ज्यादा तनावग्रस्त रहना
तनाव आपके शरीर को बहुत नुकसानदायक हो सकता है। क्योंकि तनाग्रस्त रहने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाता है जिससे बाॅडी में आॅक्सीजन की कमी हो जाती है और शरीर में थकान महसूस होती है।      नींद पूरी न होना

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में नींद पूरी न होना एक आम समस्या हो गयी है। ऐसे में शरीर को पूरा आराम नहीं मिल पाता और शरीर में थकावट बनी रहती है।
      कैफीन का ज्यादा प्रयोग

वैसे तो ये माना जाता है कि कैफीन काॅसंेट्रेशन के लिए प्रयोग की जाती है मगर इसकी अधिक मात्रा नुकसानदायक और थकावट पैदा करने वाली होती है।
      एनीमिया

एनीमिया की वजह से शरीर में कमजोरी और थकावट महसूस होती है। इससे खून में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है और शरीर में आॅक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है। नतीजा थकान महसूस होती है।
      शरीर में विटामिन्स की कमी

अगर आपके शरीर में विटामिन्स की कमी है तो ऐसे में आपको थकान महसूस होगी खासकर विटामिन बी-12 की कमी से। क्योंकि इसकी कमी से शरीर में फटिग की समस्या पैदा हो जाती है।

       हार्मोन्स संबंधी समस्या

अगर थाइराॅइड ग्रंथि से स्रावित होने वाले थायराॅक्सिन हार्मोन की शरीर में अनियमितता होती है तो भी ये थकान का कारण बन सकती है। क्योंकि इस हार्मोन का संबंध मेटाबाॅलिज्म और दिल की गति को काॅट्रोल करता है इसलिए इसकी कमी से हाजमा खराब हो जाता है और मांसपेशियों में एंेठन होने लगती है।
      कई दूसरी बीमारियां

दिल की बीमारी, किडनी की बीमारी, फेफड़ों की बीमारी, संक्रामक बीमारियां, हेपाटाइटिस और एडस जैसी दूसरी बीमारियां भी थकान की वजह बन जाती हैं।
थकान के लक्षण।
      काम में मन न लगना

आप कोई भी काम कर रहे हैं मगर किसी भी काम में मन नहीं लग रहा तो ये शरीर की थकान की वजह से हो सकता है।
      नकरात्मक सोच का बढ़ना

अगर आपको ऐसा महसूस हो रहा है कि आपके अंदर नकारात्मक सोच घर करती जा रही है तो ये आपके थके हुए होने की वजह से भी हो सकती है।

        हर समय नींद आना

हर समय नींद आने का मतलब है कि आपके शरीर को पूरा आराम नहीं मिल पा रहा है। मतलब साफ है आप थके हुए हैं।
      कमजोरी महसूस होना

अगर आपको हमेशा कमजोरी महसूस होती है तो ये थकावट की प्रमुख वजहों में से एक हो सकती है।
कैसे बचें थकान से

         अपनी दो अंगुलियों के पोरों से चेहरे की हल्की मालिश करें। इससे ब्लड सर्कूलेशन सही बना रहेगा। जिससे आप महसूस करेंगे कि आपकी थकान रफूचक्कर हो गई है।
         रोज योग और व्यायाम जरूर करें लेकिन बहुत ज्यादा व्यायाम न करें।
         कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लें और हर सुबह एक नई शुरूआत करें।
      तनावमुक्त रहने की कोशिश करें जोकि इस भगदौड़ भरी जिंदगी में बड़ा मुश्किल है।
         चाय काॅफी को कम से कम पीने की कोशिश करें।
         संतुलित आहार जैसे हरे पत्ते वाली सब्जियां, मौसमी सब्जी, दालें अवश्य लें। खाने में विटामिन की मात्रा बढ़ाएं।
         वहीं म्यूजिक सुनने से भी ब्रेन को काफी आराम मिलता है। इससे मानसिक शांति मिलती है जिससे मानसिक थकावट को आसानी से दूर किया जा सकता है।

अगर इसके बाद भी थकान या सुस्ती से आराम न मिले तो डॉक्टर से परामर्श ले सकते हैं और कुछ टॉनिक्स की मदद से भी इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।

उम्र पचपन की स्किन बचपन की





राजेश राना
जैसे-जैसे उम्र बपोषक तत्वों की कमी हो जाती है और शरीर कमजोर होने लगता है। इसकी वजह से कई बीमारियां घर करने लगती हैं। जिनमें स्किन की कई बीमारियां भी शामिल हैं। अगर आप ऐसी बीमारियों से जागरूक होगे, तो अपने आप को बढ़ती उम्र के साथ इन बीमारियों से बचाये रख सकेगे। तो आईए जाने कौन सी बीमारियां है जो बढ़ती उम्र के साथ आपको परेशान करती हैं और कैसे इनसे छूटकारा पाया जा सकता है।

किन बीमारियों का होता है खतरा-

रिंकल्स- उम्र बढ़ने के साथ-साथ रिकल्स की समस्या होने लगती है। क्योंकि शरीर में सन डेमेज की वजह से धीरे-धीरे कोलेजन टिशू डेमेज होने लगते हैं।।

एज स्पॉट्स - जैसे-जैसे उमं्र बढ़ती है वैसे-वैसे एज स्पोट की समस्या होने लगती है। ये एक नेचुरल फिनोमिना है लेकिन कभी-कभी ये बहुत तेजी से होता है।
सैगिंग या जब आपकी उम्र बढ़ती है तो ऐसे में त्वचा की कोशिकाएं डेमेज होने लगती हैं। ये इलास्टिन टिशू के डेमेज होने की वजह से होता है। जिससे त्वचा
ड्राई स्किन- उम्र बढ़ने के साथ स्किन भी ड्राई होने लगती है। शरीर में पानी की कमी की वजह से स्किन ड्राई होती है।
बैक्टीरियल इंफेक्शन्स- उम्र बढ़ने के साथ शरीर की इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है जिससे शरीर की इंफेक्शन और दूसरे बाहरी हानिकारक बैक्टीरिया और वायरसों से लड़ने की क्षमता कमजोर हो जाती है। शरीर में पायी जाने वाली प्रोटेक्टिंग लेयर खत्म होने लगती है। इसकी वजह से शरीर में कई तरह के इंफेक्शन हो जाते हैं।

सोरायसिस- बढ़ती उम्र के साथ सोरायसिस की समस्या आम होने लगती है ऐसे में खुद का ख्याल रखना बहुत जरूरी हो जाता है।
गंभीर खरांश या रूरीट्स- इस बीमारी का लंबे समय तक रहना भी शरीर की इम्यूनिटी का कमजोर होना होता है।
एक्जिमा- उम्र बढ़ने के साथ एक्जिमा की समस्या भी आपको परेशान करने लगेगी अगर आपने सही तरीके से अपना ख्याल नहीं रखा तो।


एज स्पॉट्स
एज स्पाॅटस से उम्र के एक पड़ाव पर ज्यादातर लोगों को गुजरना पड़ता है। इसलिए हम बता रहे है अपने एक्सपर्ट के साथ कि कैसे ऐज स्पोट होते है और कैसे इनसे छूटकारा पाया जा सकता है। इन्हें सोलर लेन्टीजाइनस भी कहा जाता है, ये त्वचा पर चपटे स्पॉट्स हो सकते हैं जो रंग में ग्रे, काले या भूरे हो सकते हैं। ये एजिंग के सबसे कॉमन संकेत हैं लेकिन ये 40 की उम्र से पहले लोगों में अपना असर नहीं करते। ये रंग और आकार में अलग-अलग हो सकते हैं और त्वचा के उन हिस्सों पर ज्यादातर प्रकट होते हैं जो आमतौर से सन एक्सपोजर का शिकार होते हैं जैसे चेहरा, हाथ, कंधे और बाहें। ये स्पॉट्स नुकसान नहीं करते लेकिन ये कैंसर विकास जैसे लगते हैं और त्वचा कैंसर के लिये इनकी जांच जरूरी है।

लक्षण
फ्लैट स्पॉट्स या ब
भूरे, काले या ग्रे रंगों में आमतौर से प्रकट होते हैं।
ऐसे हिस्सों में सबसे ज्यादा होते हैं जो अधिक धूप का सामना करते हों जैसे हाथ, चेहरा, कंधे आदि।
आकार में भिन्न होते हैं और गुच्छों में प्रकट होने पर अधिक दिखाई देते हैं।

कारण
सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें मैलेनिन का निर्माण तेज करती हैं। मैलेनिन एक पिगमेंट है जो त्वचा को इसका कुदरती रंग देता है। ज्यादा मैलेनिन बनने से टैनिंग हो जाती है जिसे सूरज के हानिकारक रेडिएशन से बचाव के लिये बनाया जाता है। एज स्पॉट्स तब प्रकट होते हैं जब ज्यादा मैलेनिन एक जगह इक्टठा हो जाता है या सामान्य से अधिक मात्रा में बनता है।
एजिंग के साथ भी मैलेनिन अधिक बनने लगता है जिससे एज स्पॉट्स उभरते हैं।
आपमें एज स्पॉट्स होने या न होने में जेनेटिक्स की भी भूमिका होती है।

किसको होता है जोखिम-

गोरी या हल्के रंग की त्वचा होने पर एज स्पॉट्स होने की संभावना अधिक होती है हालांकि ये किसी भी त्वचा कलर पर उत्पन्न हो सकते हैं।
पहले लगातार सन एक्सपोजर रहा हो तो एज स्पोट की समस्या पैदा हो सकती है।

उपचार
एज स्पॉट्स नुकसान नहीं पहुंचाते लेकिन त्वचा कैंसर न होने की इनमें पहचान की जानी चाहिये। यदि आप एज स्पॉट्स को लेकर तनावग्रस्त हैं तो नीचे आपके लिये उपाय दिये गये हैं।

दवायें, ब्लीचिंग क्रीमें जैसे कि हाईड्रोक्विनोन को अकेले या रेटिनॉयड व किसी माइल्ड स्टेरॉयड के साथ उपयोग किया जा सकता है जिससे कुछ महीनों के वक्त में एज स्पॉट्स हल्के पड़ सकते हैं।

लेजर ट्रीटमेंटः
यह मेलानोसाईट नामक ज्यादा पिगमेंट निर्मित करने वाली सेल्स को नष्ट करता है। फुल ट्रीटमेंट के लिये कई सिटिंग की जरूरत होती है व स्पॉट्स धीरे-धीरे महीनों में धूमिल पड़ जाते हैं।

फ्रीजिंग या क्रायोथेरेपीः
अतिरिक्त मेलानोसाईट्स को नष्ट करने के लिये एज स्पॉट्स पर तरल नाईट्रोजन का प्रयोग किया जाता है।

डर्माब्रेसनः
इस मेडिकल प्रक्रिया में एब्रेसन या सैंडिंग के जरिये एपिडर्मिस की ऊपरी सतह को हटाया जाता है इससे त्वचा की नयी परत निकल आती है।

कैमिकल पील्सः
इस प्रक्रिया में एज स्पॉट्स पर एसिड प्रयोग किया जाता है जिससे त्वचा की एपिडर्मिस की बाहरी परत पील होकर निकल जाती है।
ऊंपर दिये सभी ट्रीटमेंट्स में धूप से सुरक्षा रखने की सलाह दी जाती है।

क्या है बचने के उपायः
मेडान्ता अस्पताल की सीनियर कंसंलटेंट डर्मेटोलोजी डाॅ. शैली कपूर बताती है कि त्वचा में नमी कम हो जाती है। इंटरनली भी शरीर में पानी की कमी होने लगती है। जिससे त्वचा ड्राई हो जाती है। ड्राई त्वचा ही ज्यादातर स्किन बीमारियों की वजह होती है। हम अपनी पूरी डाईट पर ध्यान नही दे पाते जिससे शरीर में न्यूट्रियेंटस की कमी हो जाती है ऐसे में कोलेजन और इलास्टिन टिशू डेमेज होने लगते हैं। क्योंकि ये सारी क्रियाएं शरीर में आॅक्सीडेशन की गति बढ़ने की वजह से होती है इसलिए भोजन में अधिक से अधिक एंटिआॅक्सीडेंट वाले भोजन को प्रमुखता देनी चाहिए।

ज्यादा सन एक्सपोजर से बचेंः
धूप में बाहर ज्यादा निकलना सीमित करें। मुख्यत सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक बाहर जाने से बचें क्योंकि इस समय सूरज की किरणें अत्यधिक हानिकारक होती हैं।

सनस्क्रीन का उपयोग करेंः
डाॅ. कपूर बताती हैं कि सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें त्वचा को डेमेज कर सकती है और इन किरणों से कई स्किन बीमारियां हो जाती हैं। इसलिए धूप में बाहर जाने से आधा घंटा पहले कम से कम 30 एसपीएफ वाली सनस्क्रीन का उपयोग करें।

बचाव करने वाले कपड़े और गीयर.
लम्बी बाहों वाली शर्ट, लम्बी पैंट तथा हैट पहन कर बाहर निकलें ताकि आपका शरीर विकिरण रेडिएशन से बचा रह सके।

क्या हो डाईट
डाईट हर उम्र में शरीर को स्वस्थ बनाये रखने का अहम जरिया होता है। अगर आप डाईट संतुलित है तो आप कई बीमारियों से खुबखुद बच सकते हैं।

फलों का सेवन करेंः
लगभग सभी फलों में विटामिन सी पाया जाता है जो आपकी त्वचा को जवान एवं खुबसूरत रखता है। आम, जामुन, संतरा, मौसम्मी लीची, सेव, अंगूर, नाशपाती, पपीता, अनार, इत्यादि में से कोईं भी एक.दो फल दिन में एक दो बार अवश्य खाना चाहिए। इन फलों में विटामिन सी के अलावा विटामिन ए, विटामिन बी, एवं अन्य महत्वपूर्ण खनिज होते हैं जो आपकी त्वचा को भरपूर पोषण देते हैं।

हरी सब्जियां खाएंः
डाॅ. कपूर बताती हैं कि सब्जियों में ऐटिआॅक्सीडेंट और त्वचा को बनाये रखने वाले विटमिन्स जैसे विटामिन सी, विटामिन ई और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। इसलिए हरी सब्जियों को अधिक से अधिक खाने में लें। ये आपके सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हीं लाभकारी होते हैं।पालक, बंदगोभी वगैरह हरी सब्जिओं के कुछ उदाहरण हैं जिनका सेवन आपको नियमित रूप से करना चाहिए।
खूब पानी पियें
स्किन की ज्यादातर समस्याएं पानी की कमी की वजह से होती हैं। इसलिए जितना हो सके पानी का सेवन करना चाहिए। जिससे त्वचा रूखी न हो पाये।
अगर आप स्टोरी में बताई गई इन बातो पर ध्यान देगें तो बढ़ती उम्र के साथ त्वचा की समस्यओं से काफी हद तक दूर रह सकते है।

बुधवार, 18 अप्रैल 2012

तरीका सही सांसों का





सांस ही एक ऐसी प्रक्रिया है जो मनुष्य के जीवन और मरण में अंतर पैदा करती है। सांस से ही मनुष्य को पहचाना जाता है कि जीवित है या प्रांण त्याग चुका है। लेकिन जीवित मनुष्य के जीवन में सांसों का उससे भी बड़ा योगदान है। क्योंकि सांस छोड़ देने के बाद मनुष्य कुछ भी महसूस नही करता, मगर चलती सांसों के साथ वह सब कुछ महसूस करता है। मनुष्य जैसे वातावरण में रहता है सांसों के द्वारा उसके शरीर पर ऐसा ही प्रभाव पड़ता है। अगर वह अच्छे वातावरण और स्वास्थ्यवर्धक हवा के संपर्क में रहता है तो वो खुद को स्वस्थ्य बनाये रखता है लेकिन अगर दूषित वातावरण और दूषित हवा के संपर्क में रहता है तो शरीर को कई गंथीर बीमारियों का घर बना लेता है। लेकिन आज कहां रह गया है स्वस्थ्य वातावरण। हर जगह मनुष्य ने इसे गंदा कर दिया है। तो ऐसे में क्या करना चाहिए स्वच्छ सांसों के लिए जिससे शरीर स्वस्थ्य बना रहे।

अब स्वस्थ्य सांसों के लिए हर समय झरनों और पहाड़ों में तो जाया नही जा सकता,जहां की वायु अभी भी स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक है। आधुनिक जीवन शैली में हमें अपने आसियाने और कार्यक्षेत्र में ही, सही सांसों के तरीके जानने और समझने होंगे, तो आईए जाने कैसे सही सांसों से हम अपने शरीर को स्वस्थ और निरेगी बनाये रखें।

शरीर और सांसें

ये तों हम सभी जानते हैं कि शरीर और सांसों का क्या ताल्लुक है। ये ही सांसें हमारे शरीर को रोगी और निरोगी बना देती है। अगर कोई शरीर रोगी है तो सबसें पहले सांसे ही इसका हालचाल बता देती हैं। शरीर में कोई रोग होता है तो सांसें ही सबसे पहले डिस्टर्ब होती हैं। सांसों का डिस्टर्ब होना शरीर के रोगी होने का लक्षण होता है।

रोग और सांसें

कई सारी ऐसी बीमारियां हैं जो सांसों से ही फेलती हैं। जिनमें कई सारी बैक्टीरियल और वायरल बीमारियां हैं। सांसों से होने वाली बीमारियां कभी-कभी तो महामारी की तरह फेल जाती हैं। जिनमें कई तरह की फलू बीमारियां है जैसे वर्ड फलू और स्वाइंन फलू प्रमुख हैं। टीबी भी सांस से फेलने वाली बीमारियों में ही आती है। इस बीमारी से भारत की जनसंख्या का बहुत बड़ा हिस्सा प्रभावित है।

आस-पास का वातावरण और सांसें

आप जैसे वातावरण में रहेंगे और ट्रेवल करेंगे, उसी वातावरण की हवा आपके शरीर में प्रवेश करेगी। अगर आप स्वस्थ वातावरण में रह रहे हैं तो आपके शरीर में स्वच्छ हवा प्रवेश करेगी, इससे आपका शरीर स्वस्थ रहेगा और अगर आप दूषित हवा के संपर्क में रहेंगे तो दूषित हवा आपके शरीर में प्रवेश करेगी। अब इस दूषित हवा के साथ कई सारे हानिकारक तत्व आपके शरीर में प्रवेष करेंगे। ये तत्व आपके शरीर की सारी क्रियाओं को प्रभावित करेंगे। क्योंकि बाहर से ली गई आॅक्सीजन ही हमारे शरीर को जीवित रहने की शक्ति प्रदान करती है।

स्वास्थ्य और सांसें

सही स्वास्थ्य के लिए सही सांसों का होना आवश्यक है। सांसों का स्वास्थ्य से सीधा संबंध होता है। जब शरीर में किसी रोग का प्रभाव बढ़ने लगता है तो सबसे पहले सांसें ही डिस्टर्ब होती हैं। अगर किसी को हर्ट अटैक होने वाला है तो उससे पहले उस मनुष्य की सांसें तेज होने लगती हैं क्योंकि दिल को अधिक काम करने के लिए अधिक आॅक्सीजन की जरूरत होती है जो दिल तक नही पहुंच पाती क्योंकि दिल को खून की सप्लाई रूक जाती है। जब दिल को स्वच्छ और आॅक्सीजनयुक्त ब्लड ही नहीं मिलेगा तो दिल काम कैसे करेगा।

स्वस्थ्य सांसें और मस्त लाइफ

स्वच्छ सांसें के लिए सबसे जरूरी है सुबह फ्रेश होकर अनुलोम विलोम यानि नाक के एक छिद्र से लंबी सांस लो और फिर कुछ सेकेण्ड के लिए रूको फिर नाक के दूसरे छिद्र से धीरे-धीरे छोड़ो। इससे जितनी भी गंदी हवा आपके फेफड़ों में है वह पूरी तरह से साफ हो जायेगी। फेफड़ों की कार्य क्षमता भी बढ़ जायेगी। शरीर में ब्लड सर्कुलेशन भी बढ़ जायेगा। शरीर के हर कोने में स्वच्छ ब्लड पहुंचेगा। इससे शरीर की कार्यक्षमता बढ़ जायेगी। गले और फेफड़े की बीमारियां भी खत्म हो जायेंगी। ध्यान रहे ये सब स्वच्छ और खुली हवा में ही करना चाहिए क्योकि अगर आप दूषित वायु में ऐसा करते हैं तो आपके शरीर में दूषित कण पहुंच जायेंगे जो शरीर को बीमार बना सकते हैं।

आज का समय ऐसा है जहां आपको दूषित वायु न मिले तो ऐसे में जरूरी है आप मास्क पहनकर ही ज्यादा दूषित वातावरण में निकलें तो अच्छा है। अगर आप बहुत अधिक दूषित वातावरण के पास से गुजर रहे हैं और मास्क नही है तो कम से कम कपड़ा ही मुंह और नाक से बांध लें।

ऐसी जगह जहां हवा से फेलने वाली बीमारियों के मरीजों की अधिकता हो वहां बिना मास्क के ना जायें। क्योकि हवा के जरिए आपको भी ये बैक्टीरियल और वायरल बीमारियां अपनी चपेट में ले लेंगी।

जब भी समय मिले स्वच्छ और स्वस्थ्यवर्धक पहाड़ों में जाकर वहां का आनन्द लिया जाये। ऐसी खुली जगह पर लंबी-लंबी सांसों को लेने की प्रैक्टिस की जाये। पहाड़ों से आने वाली ये हवाएं आपको बहुत लाभकारी होगी।

रात को सोते वक्त ऐसी जगह चुने जो अधिक से अधिक खुली हो। खिड़कियों और दूसरे रोशनदानों को खुला रखकर ही सोने की कोशिश करें।

सोते वक्त मुंह को किसी कपड़े से ना ढ़कें क्योंकि इससे सांस लेने में परेशानी होती है।

कोशिश करें घंटे में 4-6 बार लंबी सांसें लेने की। इससे फेफड़ों के अंदर जमा गंदी हवा बाहर निकलती रहेगी जिससे फेफड़े स्वस्थ रहेंगे।

अगर आप सांस लेने के इन तरीकों को अपनायेंगे तो वाकई आप काफी हद तक अपने आप को बहुत सारी बीमारियों से अपने आप को दूर रख पायेंगे।

बुधवार, 11 अप्रैल 2012

फंडा फाउंडेशन और कैलामाइंन का


फाउंडेशन और केलामिने, स्किन के लिए दोनों का अलग अलग रोल होता है | दोनों ही स्किन के लिए जरूरी होते हैं |
एक आपकी त्वचा को ग्लो देता है तो दूसरा त्वचा को कई स्किन समस्याओ से बचाता है | ये ध्यान रखना जरूरी है की दोनों अलग अलग है |

फउंडेशन
मेकअप किट में सबसे जरूरी होता है फाउंडेशन। लेकिन अपनी मेकअप किट के लिए फाउंडेशन हमेशा अपनी मेकअप किट को ध्यान में रखकर चुनना चाहिए।आप कुछ बातों को ध्यान में रखकर अपने लिए परफेक्ट फाउंडेशन चुन सकती हैं।
आप चाहती है कि आपका मेकअप परफेक्ट हो तो इसके लिए जरूरी है कि अपनी स्किन के मुताबिक फाउंडेशन चुनें। अगर आप सही शेड का फाउंडेशन चुनती हैं तो वह आपकी स्किन पर अलग दिखाई नहीं देगा। आप फाउंडेशन लिक्विड, पाउडर और क्रिम बेस्ड में ले सकती हैं दरअसन फाउंडेशन के ढ़ेरों शेडस मार्केट में मौजूद हैं। वैसे भी सही फाउंडेशन का चुनाव करना आसान काम नही हैं। आप इन टिप्स को ध्यान में रखकर अपने लिए बेहतर फाउडेशन चुन सकती हैं।

स्किन टाइप
फाउंडेशन खरीदने से पहले आपके लिए अपनी स्किन टाइप को समझना जरूरी हैं।दरअसल, आॅयली, ड्राई और नाॅर्मल स्किन के लिए मार्केट में अलग अलग टाइप के फाउंडेशन आ रहे हैं। आप अपने लिए तभी सही फाउंडेशन खरीद पायेंगी जब आपको पता हो कि आपकी स्किन कैसी हैं। ड्राई स्किन के लिए कभी भी पाउडर बेस फाउंडेशन ना चुनें। इसके लिए आप लिक्विड फाउंडेशन लें और इस्तेमाल करने से पहले हाथों पर हल्का सा माॅश्चराइजर लगा लें। वहीं आॅयली स्किन के लिए आॅयल फ्री फाउंडेशन लें। इससे स्किन आॅयली नही दिखेगी। नार्मल स्किन के लिए क्रिम और पाउडर बेस्ड फाउंडेशन बेस्ट है।

स्किन टोन
स्किन टाइप जान लेने के बाद बारी आती है स्किन टोन के मुताबिक फाउंडेशन खरीदें की। लेकिन इसके बाद भी जरूरी नही कि आप अपनी स्किन के लिए सही फाउंडेशन खरीद पायें, क्योंकि इसके बाद भी आपके लिए ये जानना जरूरी है कि आपकी स्किन कलर पर कौन सा टोन सूट करेगा। अगर आप फाउंडेशन खरदने में कन्फयूज हैं, तो इसे खरदने के लिए सुबह या दोपहर में जायें। इससे आप नेचरल लाइट में उसे अपनी स्किन ओन से मैच करवा सकेंगी। वहीं, सांवले रंग की महिलाओं पर पिंक शेड का फाउंडेशन चुनना चाहिए।

स्किन से मैच
फाउंडेशन स्किन के लिए सही है या नही, यह आप इसे खरीदने से पहले जांच लें। इसके लिए हाथ में एक बूंद फाउंडेशन लें और जाॅ लाइन एरिया में लगायें। इससे आपको यह पता लग जायेगा कि वह आपकी स्किन के लिए ठीक है या नही। इसमें आप सेल्स गर्ल की हेल्प भी ले सकती हैं।

उम्र है ज्यादा

45 से अधिक उम्र की महिलाएं फाउंडेशन लगाने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि फाउंडेशन छोटे छोटे ंिरकल्स को छुपाता है, लेकिन तभी जब इसको सही तरीके से लगाया जाये। गलत तरीके से लगाने या ज्यादा लगाने से नेचरल लाइंस और रिंकल्स ज्यादा दिखने लगते हैं। इसलिए ऐसा फाउंडेशन यूज करें जो मैच्यौर स्किन के लिए हो।

दिन व रात के लिए

दिन व रात के लिए अलग अलग फाउंडेशन खरीदें। लाईट फाॅम्र्युले वाला फाउंडेशन दिन के लिए और रात के लिए थिकर फाॅम्र्युले फाउंडेशन को चुनें। साथ ही जरूरी है कि वह शिमर के साथ हो और आपको ग्लाॅसी लुक भी दे।

कैलामाइन

कैलामाइन लोशन आपकी कई स्किन समस्याओं को दूर करने का बड़ा ही प्रभावशाली लोशन है जो मार्केट में कई ब्रांडों के रूप में मिल जाता है। कैलामाइंन जिंक आॅक्साइड और आयरन आॅक्साइड का मिश्रण होता है जो कई स्किन डिस्आॅर्डर को ठीक करने के लिए प्रयोग किया जाता है। ये मार्केट में वाटर बेस्ड लोशन, आॅयल बेस्ड लोशन और वाटर बेस्ड क्रिम के रूप में मिलता है।

कैलामाइन स्किन को सीजनल बीमारियों से बचाता है। बाहरी वातावरण में पायें जाने वाले कई तरह के स्किन पाॅयजन से बचाता है।

कैलामाइन लोशन का प्रयोग

कैलामाइंन लोशन को एक्जिमा, एसीन, सनबर्न और दूसरी बाहरी डर्मेटीज से स्किन की रक्षा करता है। कैलामाइंन आपकी स्किन को कूल रखता है। सनबर्न की वजह से होने वाले स्किन डेमेज को रोकता है।

अगर आप फाउंडेशन और कैलामाइंन को सही तरीके से प्रयोग करती हैं अपनी जरूरत के अनुसार तो आप खुद को बेस्ट मेकअप लेडी और कूल स्किन लेडी बनाये रख पायेंगी।

मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

कैसे रखे सेक्स क्षमता कायम


भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने खान-पानपर सही तरह से ध्यान नहीं दे पाते, नतीजन वेकई बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। ऐसे मेंलोगों की सेक्स क्षमता पर भी नकारात्मकप्रभाव पड़ता है। सेक्स के मामले में लोगो कोउचित आहार लेना जरूरी है। विटामिन कीकमी से भी सेक्स क्षमता कम होने कीसंभावनाएं बढ़ जाती हैं। तंदरुस्ती बढ़ाने केलिए उचित आहार की बहुत आवश्यकता होतीहै। अगर आप सही भोजन लेंगे तो वाकई आप अपने को तंदरुस्त बनाये रखेंगे |आइए जानें तंदरुस्ती बनाये रखने वाले आहार के बारेमें।शरीर को शक्तिशाली बनाने और सेक्स ऊर्जा प्राप्त करने के लिएउत्तम एवं पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए।

देशी इलाज

1. शहद तथा भीगे हुए बादाम या किशमिश को दूध में मिलाकरप्रतिदिन पीने से बहुत लाभ मिलता है।
2.
बादाम, किशमिश और मनुक्का को भिगोकर नाश्ते में लेने से भीलाभ होता है।
3.
हरी सब्जी और छिलकों वाली दाल का सेवन चपाती के साथ करें।चपाती मक्खन या मलाई के साथ लें।
4.
भोजन में सलाद का भरपूर उपयोग और प्याज, लहसुन तथाअदरक का संतुलित सेवन करें।
5.
तंदरुस्ती को बरकरार रखने के लिए प्राकृतिक भोजन का सेवनकरना चाहिए। जैसे. अन्न, ताजीहरी सब्जियां, सलाद, बिना पॉलिशकिया चावल, ताजे फल, सूखे मेवे, चोकरयुक्त आटे की रोटिया,अंकुरित खाद्यान्न, दूध, घी, अंडा तथा समुद्र से प्राप्त होने वाला भोजनइत्यादि।
6.
शाकाहार का सेवन करने से सेक्स क्षमता बढ़ाने में मदद मिलतीहै। इसमें आप दाल, अनाज, दूध तथा दूध सेबने पदार्थ ले सकते हैं।
7.
तमाम शोधों में भी साबित हो चुका है कि मांसाहारी व्यक्ति कीतुलना में शाकाहारी व्यक्ति और अधिकप्रभावशाली ढ़ंग से तंदरुस्त रहते हैं और हर बार अपने आप को तरो ताजा महसूस करते हैं |
8.
आपको सेक्स क्षमता बढ़ाने के लिए मांसाहारी के बजाय शाकाहारीभोजन लेना चाहिए और उसमें भी नियमितरूप से हरी पत्तेदारसब्जियों का सेवन करना चाहिए।
9.
हमेशा तंदरुस्त रहने के लिए प्रोटीन और विटामिन बहुत मददगारसाबित होते हैं। इसीलिए आपकोअपने भोजन में प्रोटीनयुक्त खाद्यपदार्थों को लेना चाहिए जिससे आपके शरीर में फुर्ती भी आएगी।
10.
आप प्रचूर मात्रा में प्रोटीन लेने के लिए अंडा और मछली का सेवनकर सकते हैं।
11.
फास्ट फूड, कोल्ड ड्रिंक्स, चॉकलेट, पिज्जा, बर्गर एंव चाऊमीनआदि का सेवन नियमित रूप से करने से सेक्सऊर्जा में कमी आनेलगती है। ऐसे में इन चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।
12.
तैलीय, मसालेदार और वसायुक्त भोजन को लेने से बचना चाहिए। इससे आपकी सेक्स लाइफ तो स्वस्थ होगी ही साथ हीआप अतिरिक्तकॉलेस्ट्रॉल को बढ़ने से भी रोक पाएंगे, जो कि कई बीमारियों की जड़है।
13.
डायटिंग करने, उपवास रखने से आप जरूरी कैलोरी नहीं ले पातेजिससे आपमें कमजोरी जाती है। जिससे सेक्स के दौरान आपमेंऊर्जा की कमी के हो जाती है और आप बीमार भी पड़ सकते हैं। ऐसे मेंआप दिनभर में कैलोरीयुक्त भोजन अवश्य लें। इससे आपमें आपस्वस्थ भी रहेंगे।
14.
तनाव से होने वाले हार्मोनल परिवर्तन और पौष्टिक आहार कीकमी ही सिर्फ सेक्स लाइफ को प्रभावित नहींकरते बल्कि कई बारमानसिक कमजोरी भी इसे प्रभावित करती है। बीमारी में तो आपडॉक्टर से संपर्क करते हैंलेकिन इस तरह की समस्याओं में डॉक्टर केपास जाने से घबराते हैं। ऐसे में घरेलू उपाय को अपनाकर सेक्सलाइफको बुस्टअप कर सकते हैं।
15.
लहसुन की 2.3 कलियां और प्याज का प्रतिदिन सेवन सेयौन.शाक्ति बढ़ती है।
काले.चने से बने खाद्य.पदार्थ का हफ्ते मे 2.3 बार प्रयोग करनालाभकारी है।
16.
कच्चा गाजर या इसका जूस भी तंदरुस्ती को बढ़ाने में मददगारहै।
ताजा फलों के रस भी तन और मन को ताजा करता है।
17.
आधा चम्मच अदरक का रस, एक चम्मच शहद तथा एक उबलेहुए अंडे का आधा हिस्सा, सभी को मिलकार मिश्रण बनाए प्रतिदिनरात को सोने से पहले सेवन करें।
हफ्ते में दो बार भिंडी और सहजन खाने से काफी फायदा होता है।
18.15
ग्राम सहजन के फूलो को 250 मिली दूध मे उबालकर सूपबनाए। इसे यौन.टौनिक के रूप मे इस्तेमाल करें।
19. 30
ग्राम किशमिश को गुनगुने पानी मे धोए, 200 मिली दूध मेउबाले तथा दिन मे तीन बार सेवन लें।
20.
बादाम, पिस्ता खजूर तथा श्रीफल के बीजो को बराबर मात्रा मेलेकर मिश्रण बनाए। प्रतिदिन 100 ग्राम सेवन करें।

यूनानी चिकित्सा के अनुसार 15 ग्राम सफेद मूसली को एक कप दूधमे उबालकर दिन मे दो बार पीने से ज्यादा शक्तिशाली महसूस करेंगे।अगर आप बताई बातों पर अम्ल करेंगे तो इससे आप अपनी सेक्सपावर को काफी हद तक बूस्ट कर पायेंगे।