मंगलवार, 29 मई 2012

वोमेंटिंग को दें आयुर्वेदा की मीटिंग






जब पेट के पदार्थों का पूरे जोश के साथ मुंह और नाक के जरिये निष्काशन होता है, तो उस प्रक्रिया को उल्टियों के नाम से जाना जाता है। उल्टियाँ होने के कई कारण होते हैं जैसे कि अधिक या दूषित खाना खाना, बीमारी, गर्भावस्था, मदिरापान, विषाणुजनित संक्रमण, उदर का संक्रमण, ब्रेन ट्यूमर, मष्तिष्क में चोट, इत्यादि। उल्टियाँ होने के एहसास को मतली के नाम से जाना जाता है, लेकिन यह उल्टियाँ आने से पहले का एहसास होता है, कारण नहीं।

उल्टियों के घरेलू व आयुर्वेदिक उपचार

उल्टियों को बंद करने के लिए एक बहुत ही उम्दा उपाय है और वह है किसी कार्बोनेट रहित सिरप का एक या दो चम्मच सेवन करना। इससे पाचन क्रिया में राहत मिलती है और उल्टियाँ बंद हो जाती हैं। ऐसे सिरप में कार्बाेहाइड्रेट मौजूद होते हैं जो पेट को ठंडा रखते हैं।

एक और उम्दा उपचार है अदरक और उसकी जड़। आप अदरक के 2 केप्स्युल का प्रयोग कर सकते हैं या अदरक वाली चाय का सेवन कर सकते हैं। अदरक में पाचन क्रिया को ब-सजय़ाने की क्षमता होती है, और यह उदर में से हो रहे भोजन-ंउचयनली को परेशान करने वाले उस अनावश्यक स्राव में बाधा पैदा करता है, जिस स्राव से उल्टियाँ होती हैं।

1 ग्राम हरड़ का चूर्ण शहद के साथ चाटने से भी उल्टियाँ रोकने में मदद मिलती है।

एक और असरदार उपचार है कि आप अपनी उंगलियाँ धोकर एक ही बार अपने गले में घुसाकर पेट में जमा हुए पदार्थों को उल्टी के जरिये बाहर निकाल दें, ताकि उल्टी अंदर जमा न रहने पाएं।

आप एक दो लौंग अपने मुंह में रख सकते हैं, या लौंग के बदले दालचीनी या इलायची भी रख सकते हैं। यह मसाले उल्टियाँ विरोधक औषधियों का काम करते हैं और उल्टियाँ रोकने का यह बहुत ही असरदार उपचार होता है।

अजवाइन, पेपरमिंट और कर्पूर का द्राव 15-ंउचय20 बूँद तक की मात्रा में मिलाकर पिलाने से उल्टियाँ तुरंत रुक जाती हैं।

नींबू का टुकड़ा काले नमक के साथ अपने मुंह में रखने से आपको उल्टी का एहसास नहीं होगा।

अगर आपने मदिरापान किया है और आप नहीं चाहते कि आपको उल्टी आये, तो सादी पाव-ंउचयरोटी खाएं। पाव-ंउचयरोटी आपकी पाचन क्रिया को संभालती है और आपके द्वारा सेवन की हुई मदिरा को आसानी से सोख लेती है।

उल्टियाँ होने से 12 घंटो बाद तक ठोस आहार का सेवन न करें, पर अपने आपको जालित रखने के लिए यानि निर्जलीकरण से बचाने के लिए भरपूर मात्रा में पानी और फलों के रस का सेवन करते रहें।

जब भी पानी पियें तो सादा पानी ही पियें। बाजार में उपलब्ध कार्बन युक्त शीत पेयों का सेवन बिलकुल भी न करें क्योंकि यह आपकी आँतों और उदर की जलन को ब-सजय़ाते हैं।

तैलीय, मसालेदार, भारी और मुश्किल से पचनेवाले खान पान का सेवन न करें क्योंकि ऐसे खाद्य पदार्थ मरीज में उल्टियों का निर्माण करते हैं एवं उसे ब-सजय़ावा देते हैं ।

खाना खाने के फौरन बाद न सोयें।

जब भी सोयें तो अपनी दाहिनी बाजू पर सोयें। इससे आपके पेट के पदार्थ मुंह तक नहीं आ सकेंगे।

उल्टियाँ रोकने के लिए जीरा भी एक नैसर्गिक उपचार माना गया है। आधा चम्मच पिसे हुए जीरे का सेवन करने से आपको पूर्ण रूप से उल्टियों से छुटकारा मिल जायेगा।

व्हीटजर्म भी उल्टियाँ के लिए बहुत ही अच्छा उपाय है। हर घंटे में 2 या 3 चम्मच व्हीटजर्म दूध में मिलाकर सेवन करने से उल्टियों के उपचार में सहायता मिलती है।

चावल के पानी से उल्टियों का उपचार एक बहुत ही प्रचलित और प्रमाणित उपचार कहलाया जाता है। 1-ंउचय2 कप चावल पानी में उबाल लें। जब चावल पक जाएँ तो चावल निकालकर उस पानी का सेवन करें। इससे उल्टियाँ रुक जायेंगी। यह एक बहुत ही उत्तम उपचार है उल्टियों को रोकने के लिए।

एक चम्मच प्याज का रस नियमित अंतराल में सेवन करने से भी लाभ मिलता है।

एक ग्लास पानी में शहद मिलाकर पीने से भी उल्टियाँ रुकने में मदद मिलती है।

सामान्य उबकाई में पेपरमिंट का सेवन हितकर होता है। इसे पान में रखकर सेवन करने से भी लाभ मिलता है।

आयुर्वेदिक औषधियां

उल्टियों को रोकने की अन्य आयुर्वेदिक औषधियां हैं, एलादी चूर्ण, वन्तिहर रस, वृषभध्वज रस, रसेन्द्र रस, वान्तिहद रस वगैरह।

जब सूरज आॅख दिखाए कैसे त्वचा बचायें







गर्मी के मौसम में आपकी त्वचा को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। चिलचिलाती धूप व धूल भरी हवाएं आपकी त्वचा की नमी चुरा लेती हैं और आपकी त्वचा को बेजान बना देती हैं। गर्मी में घर से बाहर निकलने से पहले कई सावधानियां बरतनी होती है।

बाहर निकलने से पहले अपने चेहरे को -सजय़कना नहीं भूलें। इस मौसम में आंखों में संक्रमण होने का खतरा रहता है इसलिए चश्मा जरूर लगाएं। यह आपकी आंखों को धूल मिट्टी से बचाएगा। इस मौसम में टैनिंग व सनबर्न होना एक आम समस्या है। इससे बचने के लिए सनस्क्रीन का प्रयोग जरूर करें। गर्मी में ज्यादा देर तक धूप में रहने से त्वचा कैंसर होने का खतरा रहता है। सूर्य की खतरनाक अल्ट्रावॉयलेट किरणें आपकी त्वचा को -हजयुलसा देती हैं। आईए जानें कुछ ऐसे टिप्स के बारे में जिससे आप गर्मियों में अपनी त्वचा का ख्याल रख सकते हैं।

गर्मी में त्वचा की चमक बनाए रखने के लिए सेब को मैश कर उसमें शहद व हल्दी मिलाकर फेस पैक बनाएं और इसे चेहरे पर रोजाना लगाएं। इससे चेहरे को विटामिन मिलता है, और चेहरे की नमी बनी रहती है।

चेहरे को ठंडक पहुंचाने के लिए आप बर्फ के कुछ टुकड़ों को लेकर अपने चेहरे पर लगा सकते हैं। इससे दिन भर धूप की जलन -हजयेलने वाले चेहरे को सुकून मिलता है और खोई हुई नमी वापस लौट आती है। चेहरे पर गुलाब जल लगाकर बर्फ लगाने से और अधिक फायदा होता है।

तैलीय त्वचा के लिए खीरे को अच्छे से मैश करके उसका पेस्ट बना लें और फिर चेहरे पर लगाएं। 15 मिनट बाद ठंडे पानी से चेहरा धो लें।

गर्मियों में होने वाले सनबर्न से बचने के लिए टमाटर का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं।

दिन में 3-ंउचय4 बार चेहरे को ठंडे पानी से धोएं। इससे चेहरे की चमक ब-सजय़ती है।

अगर आपकी त्वचा धूप में -हजयुलस गई है तो चेहरे पर तरबूज और एलोवेरा लगाकर 10 मिनट में धो लें। इससे -हजयुलसी हुई त्वचा को राहत मिलती है।

गुलाब जल, नींबू, खीरा और दही मिलकर चेहरे पर लगाएं इससे आपकी त्वचा में ताजगी बनी रहेगी और गर्मियों के दिनों में सूर्य की किरणों से होने वाले दुष्प्रभावों से भी बचेंगी।

चेहरे को तौलिए से पोंछने के बजाए अपने आप सूखने दें। इससे चेहरे में ठंडक बनी रहेगी और गदंगी जमा नहीं होगी।

तरबूज के गूदे में मलाई और गुलाबजल मिलाकर चेहरे, गर्दन और हाथों में लगाएं। इससे त्वचा में निखार आएगा।

सनबर्न होने पर गुलाबजल में तरबूज का रस मिलाकर चेहरे पर लगाएं। दस मिनट बाद चेहरा ठंडे पानी से धो लें।

घर पर फेसपैक बनाते समय उसमें एक चम्मच शहद डालाना नहीं भूलें इससे त्वचा में चमक आएगी।

स्नान करते समय पानी में नींबू का रस डालने से दिन भर ताजगी महसूस होती है।

गर्मी में साबुन का प्रयोग कम से कम करें। इसकी जगह शहद युक्त शॉवर जैल का प्रयोग करें या मसूरदाल, शहद और हल्दी का उबटन बना कर उसका प्रयोग करें।

अगर आप इन आसान उपायों को अपनाते है तो इस चिलचिलाती गर्मी में खुद को काफी हद तक बचाये रख सकते हैं।

गुरुवार, 10 मई 2012

आप फिट, तो फैमिली हिट


 
                                                                 परिवार के खयाल के साथ आपको अपनी हेल्थ का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है। हाल ही में आई एक रिसर्च की मानें, तो महिलाओं की डेथ होने की खास वजह उनकी बीमारी का देर से पता चलना है। तो क्यों ना उम्र के हर पड़ाव पर टेस्ट करवाकर इससे बचा जाए। जानते हैं इनके बारे में:


एक परफेक्ट बेटी, मां और बीवी बनने में आपका समय कहां छू मंतर हो जाता है, ये आपको खुद ही पता नहीं चलता होगा। लेकिन क्या ये जरूरी नहीं कि आप फैमिली के साथ-साथ अपनी हेल्थ का भी ख्याल रखें। अब खुद ठीक रहेंगी, तभी तो सबकुछ ठीक रख पाएंगी। वैसे, आप समय-समय पर टेस्ट करवाकर अपना हेल्थ स्टेटस चेक कर सकती हैं। आप टीनेजर हैं या शादीशुदा, कुछ टेस्ट करवा सकती हैं। देखा जाए, तो बच्ची के जन्म के समय से ही इन टेस्ट्स की शुरुआत हो जाती है।


बर्थ के टाइम पर


बच्ची के पैदा होते ही सबसे पहले थॉयराइड और मेटाबॉलिक टेस्ट किया जाता है। इनके जरिए ये देखा जाता है कि बच्ची फिट है या नहीं। फोर्टिस हॉस्पिटल में ग्यानेेकॉलजिस्ट नीरा भान कहती हैं, 'इन टेस्ट्स से यह जानने की कोशिश की जाती है कि बच्ची को कोई जन्मजात प्रॉब्लम तो नहीं है। उसके मेंटल लेवल की जांच भी की जाती है।'


गर हों टीनेजर


जब लड़की टीनएज में कदम रखती है, तो उस समय डॉक्टर हीमोग्लोबिन टेस्ट, थॉयराइड टेस्ट और ब्लड शुगर करवाने की सलाह देते हैं। अपोलो हॉस्पिटल में ग्यानेकॉलजिस्ट सविता बताती हैं, 'हीमोग्लोबिन टेस्ट के जरिए ब्लड में आयरन की क्वांटिटी, ब्लड शुगर के जरिए ब्लड में शुगर का लेवल और थॉयराइड टेस्ट से थॉयराइड ग्लैंड से निकलने वाले हॉर्मोंस की क्वांटिटी की जांच की जाती है।' बता दें कि यह ऐसा समय होता है जब बॉडी में कई तरह के हार्माेनल चेंजेज आते हैं और इसी उम्र में पीरियड भी शुरू होते हैं।


मैरिज के करीब


शादी की उम्र यानी 20 से 30 साल के दौरान डॉक्टर लीवर फंक्शन टेस्ट , हीमोग्लोबिन टेस्ट और ब्लड कोलेस्ट्रॉल चेक करवाने की सलाह देते हैं। अगर आप फैटी हैं और साथ में आपके पीरियड्स भी डिस्टर्ब रहते हैं , तो हार्मोन प्रोफाइल टेस्ट और अल्ट्रासाउंड टेस्ट भी करवा लें। दरअसल , लाइफस्टाइल में आने वाले चेंजेज से होने वाली बीमारियों की रोकथाम में ये टेस्ट हेल्प करते हैं।


आफ्टर 30


30 साल की उम्र के बाद गाइनोकॉलिजिकल एग्जामिनेशन और ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन करवाने जरूरी होते हैं। ये उनके लिए भी बेहद जरूरी हैं , जिन महिलाओं को पीरियड्स के दौरान दर्द होता है या जिनके परिवार में पहले किसी को कैंसर हो चुका है या फिर जिनकी डिलीवरी प्री - मैच्योर हुई हो।


प्रेग्नेंसी के दौरान


प्रेग्नेंसी के दौरान मां और बच्चे की हेल्थ को देखने के लिए ब्लड गु्रप टेस्ट , आरएच फैक्टर , टॉर्च टेस्ट , ट्रिपल टेस्ट ( अगर बच्चे में कोई जेनेटिक खराबी हो या इस बारे में कोई शक हो ), एचआईवी टेस्ट , एचपीवी टेस्ट , थॉयराइड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। डॉ . नीरा कहती हैं , इनमें से किस भी टेस्ट का रिजल्ट खराब आने पर आसानी से पता लग जाता है कि बच्चे का डिवेलपमेंट सही तरह से हो रहा है या नहीं।


एग टाइम ब्लड टेस्ट


अगर आप यह जानना चाहती हैं कि किस मंथ में आप कंसीव कर पाएंगी , तो एग टाइम ब्लड टेस्ट करवा सकती हैं। यह टेस्ट फर्टिलिटी हार्मोन का स्तर नापकर यह बता देता है कि एक महिला के ओवरीज से कितने ओवम बाहर आ सकते हैं। यह खासतौर से उन महिलाओं के लिए बेहद जरूरी है , जो किसी लंबी बीमारी से गुजर रही हैं।


जब क्रॉस कर लें 40


यह उम्र का वह पड़ाव है , जिसमें थोड़ा सी भी अनदेखी या चूक कई जानलेवा बीमारियों को न्योता देती है। इस समय पैप स्मीयर टेस्ट करवाना जरूरी है , ताकि सर्वाइकल कैंसर से बचा जा सके। दरअसल , यह ब्रेस्ट कैंसर का शुरुआती दौर होता है। इस उम्र में होने वाले कुछ खास दूसरे टेस्ट हैं जैसे हीमोग्लोबिन टेस्ट , लीवर फंक्शन टेस्ट या किडनी फंक्शन टेस्ट , अल्ट्रासाउंड , पैप स्मीयर टेस्ट ( सर्वाकइल कैंसर की जांच के लिए , मैमोग्राफी ( बे्रस्ट कैंसर की जांच के लिए ), बोन डेन्सीटोमेट्री ( हड्डियों की मजबूती जांचने के लिए ), ईसीजी और चेस्ट एक्सरे ( जरूरत पड़ने पर ) वगैरह।


मिनोपॉज के वक्त


मिनोपॉज की स्थिति अमूमन 40 साल की उम्र के बाद आती है। अगर महिला को हार्ट प्रॉब्लम है , तो ईसीजी करवाना जरूरी है। इस समय सोनोग्राफी कराना ठीक रहता है। क्योंकि इससे एब्डोमन के सभी अंग लिवर , तिल्ली , किडनी , पैनक्रियाज की भी स्क्रीनिंग हो जाती है। साथ ही , आंखों को भी चेक करवा लें।


जब पहुंचे 50 में


इस उम्र में ब्लड , यूरीन , ईसीजी , लिलिपड प्रोफाइल , ब्लड शुगर , सोनोग्राफी और ओवरी स्ट्रेस टेस्ट करवाए जाते हैं। दरअसल , उम्र बढ़ने के साथ कई बीमारियां दस्तक देनी शुरू कर देती हैं। यही समय होता है , जब उन्हें शुरुआती अवस्था में ही पकड़ा जा सकता है।

जब जाए बच्चा पहली बार स्कूल


अगर आपका बच्चा पहली बार स्कूल जा रहा है, तो ज्यादा हाय-तौबा न मचाएं। बस कुछ बातों का ध्यान रखें , ताकि उसे स्कूल में कोई दिक्कत न आए :




आपके बच्चे का नर्सरी क्लास में एडमिशन हो गया है, तो लाजिमी है कि इन दिनों आप लगातार इसी फिक्र में घुल रहे होंगे। सोच रहे होंगे कि बच्चे को क्या पहनाएं, किस तरह का बैग लें, हेयर कटिंग कैसी हो, टिफिन में क्या भेजें वगैरह। ऐसी कशमकश उन पैरंट्स में ज्यादा देखने को मिलती है, जो पहली बार बच्चे को स्कूल भेज रहे होते हैं। आखिर हो भी क्यों न, उनका भी तो यह फर्स्ट एक्सपीरियंस होता है, जिससे वह कई चीजों को लेकर कन्फ्यूजन में रहते हैं।


चाइल्ड स्पेशलिस्ट राहुल रंजन कहते हैं कि पहले बच्चे के दौरान पैंरट्स इस प्रेशर में रहते हैं कि क्या करना ठीक रहेगा और क्या नहीं। बच्चे को स्कूल में कोई दिक्कत न आए, वह क्लास में किसी वजह से दूसरे बच्चों से पीछे न रहे, यह प्रेशर उनको ओवर कॉन्शस रखता है। इसके चलते वे बच्चे को लेकर कभी- कभार ओवर प्रोटेक्टिव भी हो जाते हैं।


अभी हाल ही में अपने बच्चे को एमिटी स्कूल में एडमिशन दिला चुकी निखार कहती हैं, काफी एक्साइटमेंट भरा होता है बच्चे के स्कूल का पहला दिन। इसके लिए मैंने काफी नेट सर्च भी किया है। दूसरे पैरंट्स से बात की है, वे अपने बच्चे के लिए क्या कर रहे हैं। इसके बाद ही उसके स्कूल की चीजों की शॉपिंग की।




अगर आपका बच्चा भी पहली बार स्कूल जा रहा है, तो परेशान न हों, बस रखें कुछ बातों का ध्यान :


- अगर स्कूल यनिफॉर्म है, फिर तो कोई झंझट नहीं। अगर नहीं है, तो रोजाना साफ- सुथरी ड्रेस पहनाकर भेजें। चूंकि बच्चा अभी छोटा है, तो बैग में नैपकिन जरूर रखें, ताकि हाथ गंदे होने पर वह साफ कर पाए।


- बच्चे का आई कार्ड जेब पर रखना कतई न भूलें। यह आपके बच्चे की आइडेंटिटी है। दरअसल , इसमें बच्चे की क्लास , सेक्शन वगैरह लिखा होता है। अगर बच्चा क्लास से बाहर कहीं निकल भी गया और वापस क्लास में नहीं पहुंच पा रहा है , तो इसकी हेल्प से स्कूल में कोई भी उसे उसकी क्लास व बस तक पहुंचा देगा।


- बच्चे को स्कूल बस के समय से तकरीबन 40 मिनट पहले उठा लें। ताकि उसे तैयार होने तक पूरा समय मिल सके। लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि वह सुबह समय पर तभी उठेगा , जब आप रात को उसे समय पर सुलाएंगी।


- बच्चे के लिए 8 से 10 घंटे की नींद बेहद जरूरी है। इसलिए रात को उसे उसी हिसाब से सुलाएं। अगर उसकी नींद पूरी नहीं होगी , तो वह क्लास में उनींदा रहेगा और उसका ध्यान क्लास एक्टिविटीज में नहीं लग पाएगा।


- बच्चे का स्कूल टिफिन तैयार करना किसी बड़े झंझट से कम नहीं होता। समझ में नहीं आता कि रोज क्या बनाएं , जो हेल्दी तो हो ही और बच्चा भी खुशी से खा ले। लेकिन प्लानिंग से आप इसका ध्यान रख सकते हैं। टिफिन में फ्रूट्स डालें , लेकिन इस तरह से कि उसे खाने में मजा आए। बच्चे के मनपसंद फ्लेवर लगाकर सैंडविच को फैंसी शेप में काटें। शुरू में टिफिन में उसकी मनपसंद चीजें रखें। जब उसे एक बार टिफिन की आदत पड़ जाए , तो फिर धीरे - धीरे उसका टेस्ट दूसरी चीजों की तरफ डिवेलप करें।


- घर आकर एक बार उससे दिनभर की एक्टिविटीज पर जरूर डिस्कस करें। इससे बच्चे को लगेगा कि आपको भी उसकी स्कूल एक्टिविटीज में इंटरेस्ट है।


- उसकी सभी चीजों को गौर से सुनें। अच्छी चीजों पर उसकी तारीफ करें। लेकिन गलत चीजों पर डांटे नहीं और न ही उस समय रिएक्ट करें। फिर कभी जब बच्चा अच्छे मूड में हो , तो उसे प्यार से उस बात को लेकर गलत व सही समझाएं।


- उससे उसकी फ्रेंड्स के बारे में भी बातचीत करते रहें। इससे आपको पता चलता रहेगा कि आपका बच्चा किस तरह के फ्रेंड सर्कल में मूव कर रहा है और किन विषयों में इंटरेस्ट ले रहा है।


- बच्चों के बिहेवियर पर नजर रखें। अगर आपको कुछ नेगेटिव चेंज नजर आ रहे हैं , तो तुरंत जाकर टीचर्स से मिलें। इससे आप समय रहते ही चीजों को संभाल पाएंगे।


- अगर बच्चा किसी वजह से परेशान है , तो उस समय उसे समस्या को हल करने का सही तरीका बताएं। एक - दो बार ऐसे एक्सपीरियंस के बाद उसमें समस्याओं से लड़ने की ताकत आ जाएगी और फिर वह बड़ी से बड़ी दिक्कतें भी बिना किसी तनाव के हल कर लेग ा।