बुधवार, 25 जुलाई 2012

गर्मी में शाकाहर अपनायें सेहत बनायें।


गर्मिर्यों और बरासात के मौसम में अक्सर लोग पेट की बीमारियों की शिकायत करते हैं, खासकरके नाॅनवेज खाने वाले लोग। क्योंकि गर्मियों में अक्सर डाइजेस्टिव समस्याए पैदा हो जाती हैं। तो फिर क्यों ना ऐसे में नाॅनवेज खाने से कोताही बर्ती जाये। ऐसे में शाकाहारी भोजन को अधिक प्राथमिकता दें। इससे आपको उचित मात्रा में पोषक तत्व तो मिलेंगे ही आप गर्मियों के मौसम में होने वाली पेट की बीमारियों से भी बचे रहेंगे। तो आइए जाने कैसे शाकाहरी भोजन, गर्मियों और बरसात के मौसम में लाभकारी होता है और कैसे आप खुद को इस मौसम में सेहतमंद बनाये रखेंगे।
एलएलएम अस्पताल के डाइटीशियन डाॅ. अनिल गर्ग बताते हैं कि शाकाहारी भोजन में कई तरह के पोषक तत्व मिलते है इसके अलावा यह आपको चुस्त दुरुस्त भी रखता है। शाकाहारी भोजन में कई तरह की बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है। ऐसा नहीं है कि मांसाहारी ज्यादा ताकतवर होते हैं, जो तत्व उन्हें मांस से मिलते हैं, वे ही तत्व शाकाहारियों को शाक-सब्जियों मिल सकते हैं। मांसाहारियों को मछली, मांस और अंडे से मिलने वाला प्रोटीन शाकाहारियों को सब्जियों व वनस्पति से आसानी से प्राप्त होता है। मानव शरीर के कार्य करने के लिए ऐसा कोई पौष्टिक तत्व नहीं है, जो शाकाहारी भोजन से प्राप्त नहीं किया जा सकता।

प्राकृतिक है शाकाहारी भोजन

शाकाहारी भोजन व्यक्ति को तन और मन से स्वस्थ रखता है। शाकाहारी भोजन में खनिज पदार्थ, प्रोटीन, कार्बोहाइट्रेड और विटामिन सहित कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह तत्व प्राकृतिक रुप से शाकाहारी भोजन में मिलते हैं इसलिए यह आपके शरीर स्वस्थ्य रखता है।

बीमारियों से बचाता है शाकाहारी भोजन

शाकाहारी भोजन में हृदयरोग, कैंसर, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, जोड़ों का दर्द व अन्य कई बीमारियों से लड़ने की शक्ति होती है। जो लोग ज्यादा सब्जियों का सेवन करते हैं, उनका ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है क्योंकि शाकाहारी भोजन से मिलने वाले प्रोटीन में एमीनो एसिड पाया जाता है। यह शरीर में जाकर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। सब्जियों में एमीनो एसिड के साथ-साथ मैग्नेशियम भी पाया जाता है। यह हमारे रक्तचाप को नियंत्रित रखता है। जबकि मांस से मिलने वाले प्रोटीन में हाई ब्लड प्रेशर का खतरा होता है।

शाकाहारी भोजन के फायदे

शाकाहारी भोजन पचने में आसान होता है। इसके अलावा मांसाहारी भोजन को पचने में बहुत अधिक समय लगता है।

सब्जियों में मिलने वाले प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट और वसा अनेक बीमारियों से बचाते हैं।
साथ ही विटामिन, एंटीऑक्सीडेन्ट, अमीनो एसिड आदि जैसे तत्व भी शामिल होते हैं, जो कैंसर जैसी घातक बीमारी के बचाव में सहायक होते हैं।

शाकाहारी भोजन में फायबर भी अधिक मात्रा में होते हैं जो पाचन क्रिया में सहायक होते हैं।

शाकाहारियों में हृदय को रक्त भेजने वाली धमनियों से संबंधित बीमारी की संभावना कम होती है। क्योंकि काॅलेस्ट्रोल बनने की संभावना बहुत कम होती है।

फेफड़ों और बड़ी आंत का कैंसर शाकाहारियों में कम होता है। इसका कारण यह होता है कि शाकाहारी रेशायुक्त फल और सब्जियों का अधिक सेवन करते हैं।

आंकड़ों के मुताबिक वनस्पति आधारित भोजन करने वालों में स्तन कैंसर होने की संभावना कम होती है क्योंकि शाकाहारियों में एस्ट्रोजन की मात्रा कम होती है।

शाकाहारी भोजन गुर्दे से संबंधित रोगों की रोकथाम में सहायक हो सकता है।

वनस्पतियों में पाए जाने वाले कुछ प्रोटीन जीवित रहने की संभावना बढ़ाते हैं। क्योंकि इनमें अधिक एंटिआॅक्सीडेंट होते हैं। जो सेल्स के आॅक्सीडेशन को रोकते हैं। इससे सेल्स की उम्र बढ़ती है।

जब शाकाहारी भोजन से शरीर को सारे पोषक तत्व मिल जाते हो और गर्मियों के मौसम में कोई पाचन संबंधित समस्या भी ना हो तो फिर ऐसे में क्यों ना शाकाहारी भोजन की ओर रूख किया जाये।

बुजुर्गों में पनपती भावनात्मक असुरक्षा

आज कहीं ना कहीं बुजुर्गों के प्रति हमारे समाज का नजरिया बदल रहा है। अब चाहे इसे आधुनिक जीवन शैली कहें या हमारे समाज पर ब-सजय़ता पाश्चात्य संस्कृति का असर। आज की पी-िसजय़ के पास हमारे बुजुर्गों के लिए कहीं ना कहीं समय का अभाव दिखता है। अब इसे हमारी युवा पी-िसजय़ की महत्वाकांक्षा कहें या तेजी से आगे ब-सजय़ने की ललक। युवा पी-िसजय़ की ये बेरूखी हमारे बुजुर्गों में इमोश्नली अटैचमेंट की कमी महसूस कराती है। ऐसे में हमारे बुजुर्ग अपने में ही खोने लगते हैं।

जिन बच्चों का प्यार उन्हें हमेशा एनर्जी और उत्साह देता था आज वहीं बच्चे उनसे अलग-ंउचयथलग दिखाई देने लगे हैं। तो आखिर क्यों हो रहा है हमारे समाज में ये बदलाव, आइए जाने कैसे दें ऐसे में हम अपने बुजुर्गों को भावनात्मक सुरक्षा।

बुजुर्ग हमारी धरोहर

मातृ देवो भवः, पितृ देवो भवः इस पंक्ति को बोलते हुए हमारा सिर श्रद्धा से -हजयुक जाता है और सीना गर्व से तन जाता है। यह पंक्ति सच भी है जिस प्रकार ईश्वर अदृश्य रहकर हमारे माता-ंउचयपिता की भूमिका निभाता है उसी प्रकार माता-ंउचयपिता हमारे दृश्य, साक्षात ईश्वर है।

जो परिवार में सर्वोपरि थे और परिवार की शान सम-हजये जाते थे आज उपेक्षित, बेसहारा और दयनीय जीवन जीने को मजबूर नजर आ रहे है यहां तक कि प-सजय़े लिखे लोग जो अपने आप को आधुनिक मानते है, अपने आपको परिवार की सीमाओं में बंधा नही रखना चाहते।

क्या आप नही जानते मां बाप ने आपके लिए क्या-ंउचयक्या किया है या जानते हुये भी अनजान बनना चाहते हैं। मैं आपकी याददाश्त इस लेख के माध्यम से लौटाने की कोशिश कर रहा हॅंू।

वो आपकी मां ही है जिसने नौ माह तक अपने खून के एक एक कतरे को अपने शरीर से अलग करके आपका शरीर बनाया है और स्वयं गीले मे सोकर आपको सूखे में सुलाया है, इन्ही मां-ंउचयबाप ने अपना खून पसीना एक करके आपको प-सजय़ाया-ंउचयलिखाया, पालन-ंउचयपोषण किया और आपकी छोटी से छोटी एवं बड़ी से बड़ी सभी जरूरतों को अपनी खुशियों, अरमानों का गला घोंट कर पूरा किया है। कुछ मां-ंउचयबाप तो अपने बच्चे के उज्जवल भविष्य के खातिर अपने भोजन खर्च से कटौती कर करके उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को विदेश भेजते रहे। उन्हंे नही मालूम था कि बच्चे अच्छा कैरियर हासिल करने के बाद उनके पास तक नही आना चाहंेगे।

आपको मालूम होना चाहिए कि वे केवल इसी -हजयूठी आशा के सहारेे यह सब करते रहे कि आप बड़े हांेगे, कामयाब होगें और उन्हें सुख देंगे और आपकी कामयाबी पर वो इठलाते फिरेंगे।

आज हम अपने आसपास किसी ना किसी बुजुर्ग महिला या पुरूष पर अत्याचार होते देखकर, उनका निजी मामला है ऐसा कहकर क्या अपनी मौन स्वीकृति नही दे रहे है।

बुजुर्गों को प्रतिदिन थोड़ा समय अवश्य दें यदि हो सके तो शाम का भोजन उनके साथ करें।

क्या करें युवा

अवकाश के दिन उनसे अपने बचपन की बातें पूछे, पुराने फोटोग्राफ दिखायें और उन्हे अनुभव बताने का मौका दें।

छोटी-ंउचयछोटी बातों पर भी उनसे राय जरूर लें । यदि आप सहमत ना हो तो अपनी राय उन्हे सम-हजयायें वे आपकी राय को अपनी राय बना लेगें।

अपने बुजुर्गों के जन्मदिन पर उनके रोज मर्रा की छोटी-ंउचयछोटी वस्तुएॅ उन्हें भेंट करें।

मां-ंउचयबाप आपसे बहुमूल्य तोहफे नही चाहिए। वे मात्र आपमें उनके सिखाये संस्कारों को फलिभूत होते देखने की आशा करते हैंें।

आपको ध्यान रखना चाहिए समय बहुत बलवान होता है जैसा बर्ताव आप बु

बच्चों को भी दादा-ंउचयदादी के प्रति सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करना सिखाएं क्योंकि इससे बच्चों को भी संस्कार मिलेंगे और बुजुर्ग भी अकेलापन महसूस नही करेंगे।

बुजुर्ग रखें ख्याल

अब मैं मेरे द्वारा लिखी जाने वाली किसी भी गलती या गुस्ताखी के लिये बुजुर्गों से क्षमा मांगते हुये अपनी लेखनी के माध्यम से बुजुर्गों से कुछ कहना चाहूॅगा।

बुजुर्गों और यूवा पी-सजय़ी की सोच में अन्तर तथा युवा पी-सजय़ी के पश्चिमी संस्कृति की ओर -हजयुकाव तथा ब-सजय़ती महत्वाकांक्षाओं के कारण टकराव पैदा हो जाता है। बुजुर्ग ऐसी विपरीत परिस्थितियों में -हजयल्लायें नही और धैर्य पूर्वक समस्याओं का सामना करें।

यदि युवा पी-सजय़ी नही चाहती तो नसीहत ना दें। उन्हे अपने हाल पर छोड़ देें तथा स्वयं अपनी धर्मपत्नी के साथ पसन्द के कार्य जैसे-ंउचय पूजा-ंउचयपाठ, समाजसेवा, गार्डनिंग, लेखन, चित्रकारी, संगीत आदि में वयस्त हो जायें।

अपने बच्चों से ऐसे प्रश्न पूछने से बचें जिनका उत्तर वे आपको नही देना चाहते।

परिवार में बिना मांगे कभी अपनी राय ना दें । आप तो अपने अनुभवों से बच्चों की राह आसान बनाना चाहते हैं लेकिन बच्चे इसे अपने उपर आपके विचार थोपना सम-हजयते हैं।

सभी परिवार के सदस्यों के साथ समान व्यवहार रखें व अपनी बातों में पारदर्शिता रखें।

परिवार के सभी सदस्यों पर अपनी पैनी निगाह रखें किन्तु बच्चों को ऐसा प्रतीत ना होने दे कि वे पिंजरे में कैद है केवल आवश्यकता से अधिक स्वछन्दता दिखने पर ही अंकुश लगाये।

अपनी छवी ऐसी बनाये कि आपके निर्णयों पर परिवार में सर्व सम्मति बन सके।

आप अपने पूर्व में रहे कार्यक्षेत्र के अनुसार समाज में भागीदारी निभाकर सम्मान पा सकते है।

डिप्रेशन करता महिलाओं को गोल्डन एज में ओल्ड

पिछले कुछ सालों में बेशक महिलाओं ने बहुत प्रोग्रेस की है और उनकी पोजिशन में, चेंज भी बहुत आया है, लेकिन इसी के साथ ब-सजय़ी है उनकी टेंशन। इसी का नतीजा है कि बीते 40 सालों में महिलाओं में डिप्रेशन डबल हो गया है।

विमेन हेल्थ पर आयी एक स्टडी में पता लगा है कि घर और काम के डबल बो-हजय की वजह से पुरुषों के मुकाबले महिलाएं

मैरिड विमेन

होम्योपैथिक फिजिशियन और स्ट्रेस काउंसलर डॉ. यात्री ठाकुर इससे कतई हैरान नहीं हैं। उनका मानना है कि हर जगह खुद को परफेक्ट साबित करने के चक्कर मंे महिलाएं खुद से ही बहुत उम्मीद करने लगती हैं और इनके पूरे न हो पाने का नतीजा होता है डिप्रेशन।

बकौल डॉ. यात्री, आजकल हरेक महिला मल्टीटास्कर बनकर हर जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से निभाना चाहती है। जाहिर है, ऐसे में उसके पास अपने लिए कतई वक्त नहीं बचता। इसके अलावा, महिलाएं अक्सर हार्मोनल इंम्बैलेंस का शिकार होती हैं, जिस वजह से उन्हें मूड स्विंग की प्रॉब्लम भी रहती है।

वैसे, डॉ. यात्री की मानें तो आजकल की शादीशुदा महिलाएं, जिनके बच्चे भी हैं, उन्हें सबसे ज्यादा स्ट्रेस और प्रॉब्लम्स रहती हैं। दरअसल, उनके आगे वर्क प्रेशर, इन लॉज की डिमांड, सपोर्ट नहीं करने वाला हसबैंड, फाइनेंशल डिफिकल्टीज और बच्चों की हेल्थ व एजुकेशन जैसी तमाम परेशानियां होती हैं।

यही नहीं, अगर कोई महिला लिव इन रिलेशनशिप से ब्रेकअप वाले फेज से गुजर रही हैं, तो उस दौरान उसे डिप्रेशन होने के सबसे ज्यादा चांस होते हैं।

सिंगल विमेन

देखा जाए, तो आजकल की स्मोक और डिंªंक करने वाली महिलाओं की मॉडर्न जेनरेशन की लाइफ में रिलेशनशिप से जुड़ी परेशानियां ब-सजय़ गई हैं। वहीं पहले की महिलाओं में एनेक्सिटी, इटिंग डिस्ऑर्डर और इनसोमनिया जैसी प्रॉब्लम्स ज्यादा हुआ करती थीं। हालांकि आजकल की महिलाएं डिप्रेशन और स्ट्रेस को लेकर पहले से ज्यादा अवेयर हो गई हैं। बावजूद इसके, मैरिड विमेन के अलावा सिंगल महिलाओं को भी ज्यादा डिप्रेशन हो रहा है।

सायकॉलजिस्ट मानसी हसन बताती हैं, आजकल यंग वुमन पर एकेडमिक और कैरियर समेत तमाम बर्डन हैं। इस वजह से वे देर से शादी करती हैं, लेकिन ज्यादा उम्र तक कंुवारी रहने की वजह से उन्हें प्रॉब्लम हो जाती हैं। 25 से 30 उम्र की तमाम सिंगल विमन अकेलेपन का शिकार हो जाती हैं, क्योंकि अपने लंबे वर्किंग ऑवर्स की वजह से उनके पास रोमेंटिक रिलेशनशिप या शादी के लिए वक्त ही नहीं होता। इसके अलावा, जंक फूड खाने, प्रॉपर फूड अवॉइड करने और एक्सरसाइज व नींद पूरी नहीं कर पाने की वजह से उनकी फिजिकल हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ रहा है।

डॉ. हसन के मुताबिक, जॉब्स की तलाश में अपनी फैमिली व फ्रेंड्स से दूर बड़े शहरों का रुख करने वाली लड़कियों को डिप्रेशन होने के चांसेज ज्यादा रहते हैं।

बैलेंस रखिए

एक नामी कंपनी में काम करने वाली सिविल इंजीनियर सुषमा रेड्डी इस बात से सहमत हैं। वह कहती हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारतीय महिलाएं काम और घर के बीच पिसती हैं। इस वजह से उन्हें कहीं न कहीं डिपे्रशन हो जाता है। सुषमा के मुताबिक, आजकल की महिलाओं पर एक वक्त में तमाम तरह के प्रेशर रहते हैं। इनमें काम व दूसरों से बेहतर दिखने का प्रेशर जैसी वजहों से महिलाएं आसानी से डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। इसके अलावा, लुक्स व फिगर में अच्छी न होने वाली लड़कियों के डिप्रेस्ड होने के सबसे ज्यादा चांसेज रहते हैं।

इन पर भी दें ध्यान

दरअसल, आजकल तमाम लड़कियां यंग और ब्यूटिफुल बने रहने के लिए पतली कमर चाहती हैं। ऐसे में, मोटी और खराब फिगर वाली लड़कियांे का फ्रस्टेट होना स्वाभाविक है।

इन तमाम प्रॉब्लम्स के सोल्यूशन के लिए एक्सपर्ट बताते हैं, आजकल की मुश्किल भरी जिंदगी में फ्रस्टेट होने से बचने के लिए महिलाओं को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि सबसे पहला, लाइफ को लेकर अपना गोल क्लियर करें, अपने आप पर उम्मीदों का बो-हजय न लादें और इमोशनल क्राइसिस में प्रफेशनल्स की मदद लें।

अगर आप भी किसी ऐसी स्थिति से गुजर रही हैं तो ये बातें आपके लिए बहुत फादेमंद हो सकती हैं डिप्रेशन को दूर करने में।

आंत के दांत नहीं होते

सुबह सवेरे अच्छे से पेट साफ होना, हेल्थी होने की सबसे बड़ी निशानी है। मगर खान-ंउचयपान में अनियमितता, भागदौड़ भरा जीवन और इसके चलते पैदा हुआ तनाव, हर सुबह मोशन की जंग लड़वाता है। पेट की बीमारियों से सिर्फ बू-सजय़े ही नहीं जवान भी परेशान रहते हैं।

गर्मियों के मौसम में वैसे भी लोग ज्यादा बीमार पड़ते हैं, कभी सोचा है आपने इसकी वजह क्या है। अब सोचने का समय किसके पास होता है। जैसा मन किया वैसा खाया, पेट खराब हुआ तो डाॅक्टर के पास जाने के अलावा कोई चारा नहीं? लेकिन गर्मियों में कभी भी हम खाने पर ध्यान नही देते जिसकी वजह से कई बीमारियां शरीर में अपना घर बना लेती हैं और आप बन जाते है जाने अनजाने में कई खतरनाक बीमारियों के मरीज। आपको पता है दुनियां की ज्यादातर बीमारियां पेट की खराबी से ही होती हैं। तो आइए जाने कैसे रखें पेट को स्वस्थ और कैसे बचें भविष्य में होने वाली बीमारियों से-ंउचय

क्या होता है पेट में खाना खाने के बाद

आंतों की गतिशीलता कम होना या पाचन शक्ति कम होने से खाना सही

पेट की बीमारियों के लक्षण

गैस बनना, पेट में हवा भरना, पेट में दर्द या भारीपन, सिरदर्द, भूख में कमी, जीभ पर अन्न कणों का जमा होना या मुंह का स्वाद बिगड़ना। चक्कर आना, टांगों में दर्द होना, बुखार, नींद-ंउचयसी छाई रहना और धड़कन का ब-सजय़ जाना।

कैसे ब-सजय़ता है पेट की बीमारियों का खतरा

मानसिक तनावः

मानसिक तनाव भी आपको कब्ज का मरीज बना सकता है। क्योंकि ऐसे में हमारी अंदरूनी क्रियाओं पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। जिससे भोजन को पचाने वाले तत्व सही तरह से काम नही कर पाते।

तला-ंउचयभुना, मसालेदार भोजन का लालचः

ज्यादा तला-ंउचयभूना भोजन खाना भी पेट की बीमारियों का कारण बन जाता है। क्योंकि भोजन में उपस्थित अत्यधिक मसाले भोजन को पचाने वाले केमिकल को डिस्टर्ब कर सकते हैं।

एलोपैथिक दवाओं का ज्यादा सेवन करनाः

आपकी आदत है थोड़े से परेशान हुए और शुरू कर दीं एलोपेथिक दवाईंयां लेनी और कभी-ंउचय कभी तो खुद ही अपने डाॅक्टर बन जाते हैं, खासकरके दर्द की कंडीशन में। लेकिन आपको पता है ये दर्दनिवारक गोलियां आपके किडनी,स्टमक, लीवर और इंटेस्टाइन सभी पर बुरा प्रभाव डालतीं हैं।

खाने का समय नियमित न होनाः

सुबह नाश्ता नही किया। भागते-ंउचयदौड़ते रोड किनारे से कुछ खरीदा और जल्दी-ंउचयजल्दी खा लिया। आॅफिस के काम से लॅच करने में देरी हो गई। डिनर का कोई टाइम नही, किया भी तो बिस्तर पर ही और सो गये तुरंत।

टाॅइलेट जाने को भी टालते रहनाः

टॉइलेट जाने की जरूरत महसूस होने पर भी तमाम वजहों से उसे टालते रहना, होता है ना ऐसा? लेकिन आप भूल जाते हैं, ये आपके पेट के लिए कितना खतरनाक हो सकता है।

स्मोंकिंगः

स्मोकिंग या तंबाकू के दूसरे तरीकों से सेवन के कारण। नशीली दवाओं के सेवन से।

कोल्ड ड्रिंक या शराब जरूरत से ज्यादा पीने की वजह से पेट की कई परेशानियां हो जाती है।

जितनी भूख लगी है, उससे कम या ज्यादा खाना खानाः

कभी तो आप टेस्ट-ंउचयटेस्ट में ज्यादा खाना खा लेते हैं तो कभी पूरा खाना ही नहीं खाते ऐसे में आपके शरीर का पाचन तंत्र गड़बड़ा जाता है।

दूसरी बीमारियांः

कई ऐसी बमारियां हैं, जिनकी वजह से कब्ज की बीमारी हो जाती है। मसलन रसौली आंत में गांठ की बीमारी की वजह से कब्ज हो जाता है। इसी तरह किसी वजह से आंत में रुकावट आने की वजह से भी कब्ज हो जाता है। ऐसे मामलों में डॉक्टर से सलाह करें। ज्यादातर मामलों में ऑपरेशन किया जाता है। इन सबकी वजह से सबसे पहले शुरू होता है पेट में दर्द-ंउचय

पेट में दर्द की वजहः

पेट में ऊंपर की तरफ दर्द सामान्यतः गैस्ट्राइटिस, लीवर में खराबी, आमाशय में छेद होने होने के कारण होता है।

पित्त की थैली में पथरी होने पर आमतौर पर पेट के दाएं तरफ दर्द होता है।

पेट के बीचोबीच दर्द का कारण अकसर पैन्क्रियाज की खराबी होता है।

पेट के निचले भाग में दर्द एपेन्डिसाइटिस, मूत्राशय में पथरी या संक्रमण के कारण होता है, लेकिन महिलाओं में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कई कारण हो सकते हैं जैसे गर्भाशय में किसी तरह की खराबी, फाइब्रायड, एंड्रीयोमेट्रीयोसि‍स, माहवारी या कोई अन्य बीमारी ।

पेट के एक तरफ दर्द का कारण गुर्दे में पथरी या गुर्दे की अन्य कोई बीमारी हो सकती है।

जरूरी नहीं कि दर्द इन्हीं बीमारियों के कारण ही हो कई बार ओवरईटिंग करने, गलत खान-ंउचयपान या कब्ज होने के कारण भी हो सकता है।

एसीडिटी या अल्सर की शिकायत होने पर पेट के बीचोबीच अधिक दर्द होता है।

यदि आंतों में सूजन होती है तो लगभग पूरे पेट में ही दर्द होता है।

इन बीमारियों या दर्द के चलते यदि पेट दर्द का इलाज सही समय पर न करवाया जाए तो यही बीमारियां स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बड़ी समस्या बन सकती है।

पेट दर्द के लिए अल्‍ट्रासाउंड, एंडोस्कोपी, एक्सरे, सीटी स्कैन और रक्त की जांच कराई जाती हैं जिससे सही समय पर सही इलाज दिया जा सकें।

आप कितने ही व्यस्त क्यों ना हो, लेकिन अपने आप का ध्यान नहीं रख पा रहे हैं, तो आपके लिए इससे खराब कुछ नही हो सकता। तो ध्यान दीजिए खुद के लिए, स्टोरी में बताई कुछ बातों पर, और बचाइए अपने आप को बीमारियों का घर बनने से।