गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

कैसे पाएं फिर से वहीँ प्यार

शादीशुदा जीवन की शुरुआत में जो स्पार्क या चमक आपके सम्बन्धों में होती है वह वक्त के साथ-साथ धीरे-धीरे कम होने लग जाती है। कई बार तो अपने सम्बन्धों की इसी नीरसता के कारण कुछ लोग अपने इस सम्बन्ध को बरकरार रखने में भी असफल हो जाते है। आइये जानते है कि कैसे आप अपने जीवनसाथी के साथ जीवन भर उतने ही उत्साह और जोश के साथ अपने सम्बन्धों को जीवित रख सकते है। 
 
प्यार दिखाएं :
 
शादीशुदा जीवन का अर्थ केवल सेक्स या शारीरिक सम्बन्ध नहीं होता है। अगर आपका व्यवहार अपने जीवनसाथी के प्रति अच्छा और केयरिंग रहेगा तो अपने सम्बन्धों में कभी भी कड़वाहट नहीं आएगी। इसलिए अपने जीवनसाथी के लिए आपका जो प्यार आपके मन में है उसे एक्सप्रेस भी करें। ताकि आपका प्यार और केयर उन्हें भी दिखायी दे जिनसे आप इतना प्यार करते है। 
 
बात करें :
 
अगर आपकी सेक्स लाइफ में कुछ परेशानी है तो अपने जीवनसाथी से उस पर खुल कर बात करें। जब तक आप अपनी पसंद या नापसंद को अपने जीवनसाथी के साथ शेयर नही करेंगे तब तक सम्बन्धो में मिठास नही आ पायेगी। इसलिए अपने दाम्पत्य जीवन को बचाने के लिए अपने जीवनसाथी को अपने दिल की बात कहें और उनके दिल की भी सुनें। 
 
 
कहीं घूमने जाएं :
 
अपने संबधों को जीवित रखने के लिए अपनी पत्नी के साथ हनीमून पर जाएं। हनीमून जीवन में केवल एक बार नही होता है. इसलिए हनीमून पर जाएँ, जहाँ आप अपना सारा समय अपनी सारी परेशानियों को भूल कर दें। इससे अपने सम्बन्धों में फिर से निखार आएगा। 
 
 
गिफ्ट्स दे :
 
गिफ्ट्स न सिर्फ आपको स्पेशल होने का अहसास दिलाते है बल्कि ये आपको ख़ुशी भी देते है।  इसलिए अपने प्रिय के लिए सरप्राइज गिफ्ट्स खरीदते रहें ताकि आप उन्हें वोह ख़ुशी दे सके जो आप उन्हें देना चाहते है। 
 
 
परामर्श ले :
 
कई बार उम्र के बढ़ने के साथ-साथ सेक्स सम्बन्धी परेशानियां भी जन्म लेने लगती है। अगर आप या आपके जीवनसाथी भी कुछ इसी तरह कि परेशानी से गुजर रहें है तो उनसे इसके बारें में बात अवश्य करें। 
 
 
याद रहें, आप जैसा प्यार और केयर अपने जीवनसाथी से पाना चाहते है आपका वैसा ही प्यार और केयर पहले उन्हें देना होगा। 

गुरुवार, 12 दिसंबर 2013

क्या बेहतर विकल्प हैं आर्गेनिक फ़ूड

पौष्टिक भोजन यानी स्वस्थ काया। मगर आजकल की इस मिलावट में शुद्ध व् पौष्टिक भोजन का मिल पाना आसान काम नहीं है। आर्गेनिक फ़ूड ने इस परेशानी को काफी हद तक दूर किया है। आइये आज इसी के बारें में कुछ बात करते है।

बाजार में आर्गेनिक फ़ूड की खूब धूम मची हुई है। पर क्या यह वाकई में यह पौष्टिक होते है? और क्या इनका नियमित सेवन करने से लाभ मिल सकता है ?आइये जानते है।

आर्गेनिक फ़ूड है क्या :

आर्गेनिक फ़ूड उन्हें कहते है जिन्हे उगाते समय किसी प्रकार के पेस्टीसाइड  या कोई अन्य केमिकल का प्रयोग नहीं किया गया हो। किसी प्रकार के केमिकल का प्रयोग न होने के कारण यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होते है।

कितने है लाभकारी :

आर्गेनिक फ़ूड स्वास्थ्यकारी है या नहीं, इस पर एक विवाद चल रहा है। पर अगर आप देखे तो इस बात को नकार नहीं जा सकता है कि यह आर्गेनिक फ़ूड स्वास्थ्यकारी है। आज जिस तरह की खेती हो रही है उसमें तरह तरह के पेस्टीसाइड और केमिकल का प्रयोग हो रहा है। और यह केमिकल फलों और सब्जियों के भीतर तक चले जाते है, जिनका सेवन करने पर यह केमिकल सीधे हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते है।
मगर आर्गेनिक फ़ूड में इनका प्रयोग न होने के कारण पेस्टीसाइड का शरीर के भीतर जाने के खतरा ही नहीं होता है। 

पर आर्गेनिक फ़ूड पूरी तरह से केमिकल से बच नही पाते है। इसका कारण है वो खेत जिन पर आर्गेनिक खेती हो रही है। आर्गेनिक खेती में किसी प्रकार के केमिकल का प्रयोग नहीं होता है मगर यह सम्भव है कि जिस खेत में खेती हो रही है हो सकता है उसकी मिटटी में पेस्टीसाइड या केमिकल हो। अगर ऐसा है तो उन् केमिकल का फलों व् सब्जियों में आना स्वाभाविक है। फिर भी आर्गेनिक फ़ूड में आधुनिक तकनीक से की गयी खेती से कहीं कम मात्रा में पेस्टीसाइड और केमिकल होते है।

इन सबके अलावा आर्गेनिक फ़ूड में पोषक तत्वों की मात्रा सामान्य खेती से कहीं अधिक होती है। आर्गेनिक फ़ूड में विटामिन सी जैसे पोषक तत्व सामान्य खेती से कहीं अधिक होते है। साथ ही यह वातावरण के लिए भी अच्छे होते है।

आर्गेनिक फ़ूड स्वास्थ्यकारी तो है मगर इनकी कीमत समय से कहीं आधिक होती है। जोकि आपके घर के बजट को थोडा सा हिला सकता है। 

गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

कैसे करे विंटर हेयर केयर

जाड़े की सर्द हवाएं न सिर्फ आपकी स्किन को बल्कि आपके बालों को भी नुक्सान पहुंचाती है। इसलिए इस विंटर न सिर्फ अपनी स्किन के साथ-साथ अपने बालों को भी इस मौसम में स्वस्थ रखें। कैसे करें विंटर केयर आइयें जानते है। 
  • बालों को रखे सूखा:
प्रयास करें कि आप घर से बाहर निकलने से पहले अपने बालों को सूखा लेंगे। इसके लिए या तो अपने बालों को हेयर ड्रायर करें फिर आप बालों को बहार निकलने से पहले कई घंटे पहले धो ले। ताकि जब आप बाहर निकले तो आपके बाल सूखे हो।

  • नियमित रूप से बाल धोएं:
अक्सर सर्दी के मौसम में कई लोग अपने बालों को सप्ताह में एक में एक बार धोते है। ऐसा बिलकुल भी न करें। बाल प्राकृतिक रूप से तेल छोड़ते है और यदि आप कई दिन तक बाल नहीं धोएंगे तो आपके बालों की सेहत बिगड़ सकती है। इसलिए अपने बालों को रोज या फिर सप्ताह में तीन बार अवश्य धोये।

  • कंडीशनर करें :
बालों को केवल शैम्पू न करें बल्कि उसे कंडीशनर करना भी न भूले। इससे बालों की नमी बनी रहेगी।

  • बालों को ढक कर निकले :
सर्दी के मौसम में बाहर की नमी और ओस की बूंदें आपके बालों को नुक्सान पंहुचा सकते है। इसे बाल कमजोर होकर गिर भी सकते है। इसलिए अपने बालों को धक् कर निकले ताकि आपके बाल स्वस्थ रह सकें।

  • कंघी अवश्य करें :
बालों पर कंघी करना न भूले। आप जितनी बार कंघी करेंगे आपके बाल उतने ही स्वस्थ रहेंगे।

  • तेल लगाना न भूले :
मौसम चाहे कोई भी हो अपने बालो को नरिश करने के लिए अपने बालों पर तेल लगाना बिलकुल न भूले। इससे आपके बाल भीतर से स्वस्थ बन पाएंगे।

अपने बालों का ख्याल रखे और अपने बालों को चमकदार बनायें। 

गुरुवार, 28 नवंबर 2013

हेल्थ स्क्रीनिंग : नया स्वास्थ्य मन्त्र

हम सभी तब तक किसी भी स्वास्थ्य समस्या को गम्भीरता से नहीं लेते है जबतक स्थिति गम्भीर न हो जाएँ। मगर आप चाहे तो जरा सी जागरूकता और अपने आप से एक वायदा कर आप स्वस्थ रह सकते है। हेल्थ स्क्रीनिंग की मदद से आप बहुत सी स्वास्थ्य समस्या से निपटने के लिए पहले से ही तैयारी कर सकते है। आइये आज हम जानने का प्रयास करते है कि कैसे हेल्थ स्क्रीनिंग हमें स्वस्थ रख सकती है। 
  • सामान्य हेल्थ चेकअप्स, आपको बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं को उसके शुरूआती दौर में ही पकड़ने में मदद करते है। इससे बहुत सी समस्याओं का पता पहले ही चल जाता है जिस कारण उस समस्या का इलाज समस्या के बढ़ने से पहले ही शुरू हो जाता है। 
  • कई बार शरीर में कुछ पोषक तत्वों की कमी से भी बहुत सी समस्याओं का जन्म होता है। यदि आप नियमित हेल्थ स्क्रीनिंग कराते है तो आप इस स्थिति से भी निपट सकते है। हेल्थ टेस्ट की रिपोर्ट्स आपके डॉक्टर को इस बात की जानकारी देने में सहायता करेगी कि आपके डॉक्टर को आपको कौन से हेल्थ सप्लीमेंट्स देने है और कौन से नहीं। 
  • यह हेल्थ स्क्रीनिंग्स आपको मानसिक रूप से भी मजबूत बनाने में मदद करते है। कई बार कुछ स्वस्थ समस्याएं जैसे कैंसर आदि का शिकार होने पर रोगी अक्सर टूट जाते है। मगर यदि आप नियमित हेल्थ स्क्रीनिंग कराते है तो आपको समस्या का पता समय रहते चल जाता है और दूसरा यह आपको मानसिक रूप से भी इस स्वास्थ्य समस्या से लड़ने में मदद करता है। 
महवपूर्ण बात :
  • यह जरुरी नहीं है कि आपको रुटीन हेल्थ स्क्रीनिंग से सभी समस्याओं को पता शुरूआती दौर में ही लगे। कई बार कुछ स्वास्थ्य समस्याएं ऐसी भी होती है जो अचानक से गम्भीर स्थिति को जन्म दे दे जैसे - हार्ट अटैक आदि। पर फिर भी यह आपको आपके भविष्य को स्वस्थ बनाये रखने में काफी कारगर है। 
हमें उम्मीद है कि आप भी नये साल से एक नयी शुरआत करेंगे और अपने शरीर और अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देंगे। 

गुरुवार, 21 नवंबर 2013

जाड़े में गर्माहट देता काढ़ा

जैसे-जैसे सर्दियाँ बढ़ रही है, सामान्य सर्दी और जुकाम की परेशानी भी अपने पैर पसारने लगेगी। यदि आप सर्दी के इस मौसम में फिट रहना चाहते है तो आपको अपने शरीर को गर्म रखने के साथ-साथ सामान्य सर्दी के इन्फेक्शन से भी बचाना होगा। आइये आज हम सर्दी से निपटने के लिए अपनी दादी माँ के सबसे पुराने और प्रभावी नुस्खे पर चर्चा करते है।  जी हाँ, हम बात कर रहे है काढ़े की। चलिये इसकी विशेषताओं को जानते है :
 
आयुर्वेद के अनुसार सामान्य सर्दी होने पर शरीर में कफ की मात्रा बढ़ा जाती है। यदि आप नियमित रूप से काढ़े का सेवन करें तो यह शरीर में कफ की बढ़ी हुई मात्रा को कम करता है और आपको सर्दी जुकाम से भी निजात दिलाने में आपकी मदद कर सकता है। 
 
क्यों है यह ख़ास :
 
काढ़े को बनाने के लिए प्रयोग में आने वाली सभी पदार्थ स्वस्थकारी होते है। साथ ही इन पदार्थों की एंटी -बैक्टीरियल विशेषता इसे और भी लाभकारी बनाती है। 
 
कैसे बनाएं काढ़ा :
 
काढ़ा बनाने ले लिए आपको तुलसी के पत्ते, अदरक, हल्दी, सौफ, दालचीनी, इलायची और पानी चाहिए। सभी पदार्थों को पानी में मिला दे और तब तक उबाले जब तक पानी आधा न हो जाएँ। फिर इसे छान कर गर्मागर्म पियें। आप चाहे तो आप इसमें मिठास के लिए तैयार काढ़े में अंत में थोडा सा शहद भी मिला सकते है। शाम को या फिर रात को इसे पीना लाभकारी होता है। 
 
काढ़ा न सिर्फ आपके गले या फिर कफ सम्बधी समस्याओं को दूर करता है बल्कि यह आपकी इम्युनिटी को भी मजबूत बनता है। 
 

गुरुवार, 14 नवंबर 2013

स्पेशल दिन, स्पेशल हेयर केयर

आपकी शादी है और आपने अपनी ब्यूशियन से अपनी स्किन केयर सम्बन्धी सारी बातें कर ली है। पर क्या आपने अपने बालों के बारें में कोई बात की? अक्सर हम सभी अपने इस स्पेशल डे की तैयारी में अपनी स्किन को के लिए तो समय निकाल लेते है मगर अपने बालों को शादी वाले दिन पर छोड़ देते है। आइयें आज हम यह जानने का प्रयास करते है कि कैसे आप अपनी शादी के स्पेशल दिन न सिर्फ अपनी स्किन और लुक से स्पेशल दिखे बल्कि आपके बाल और हेयर स्टाइल से भी स्पेशल दिखे। 
 
तैयारी करें :
 
आपके बाल शादी के दिन तक परफेक्ट दिखे इसके लिए आपको पहले से ही तैयारी करनी होगी। सबसे पहले शादी की डेट  से करीब 5 से 6 महीने पहले से ही अपने बालों के केयर करना शुरू कर दे। ऐसा करने पर आपके बालों को न सिर्फ बाहर से बल्कि भीतर से भी स्वस्थ दिखने का समय मिल जायेगा। 
 
क्या करें :
  1. सबसे पहले यदि आपके बालों में किसी प्रकार की परेशानी है, जैसे - रुसी या फिर बालों का झड़ना आदि तो तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर से अपना इलाज कराएं। 
  2. अगर सम्भव को तो डॉक्टर से परामर्श लेकर हेयर केयर सम्बन्धी किसी प्रकार के हेल्थ सप्लीमेंट का भी सेवन कर सकते है। 
  3. नियमित रूप से बालों पर ऑयलिंग करें। साथ ही बालों को साफ़ रखे। 
  4. नियमित रूप से बालों कि ट्रिमिंग करते रहें ताकि बालों निचे से जले हुए न दिखायी दे। 
  5. भारतीय शादियों में अक्सर दुल्हन को बाल बांध कर रखने पड़ते है इसलिए शादी के 5-6 महीने पहले अपने बालों में कोई ऐसा हेयर कट न कराएं जिससे आपके बालों की लम्बाई कम हो। 
  6. आप शादी के पहले ही अपनी ड्रेस और अपने मेकअप के अनुसार अपने हेयर स्टाइल का भी चुनाव कर ले। साथ ही आप जिस भी हेयर स्टाइल का चुनाव करें उसे शादी से कुछ दिन पहले ही अपने बालों पर बना कर इस बात की संतुष्टि ले ले कि आपके बाल शादी के दिन के लिए तैयार है। 
  7. शादी के दिन सबका ध्यान आपकी ओर ही होता है इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखे की आप किसी ऐसे हेयर स्टाइल का चुनाव न करें जिसमे आपको बार-बार अपने बालों को सम्भालना पड़ें।
महत्वपूर्ण बातें :
  • हमेशा अपने हेयर स्टाइल का चुनाव अपने चेहरे कि बनावट को ध्यान में रख कर करें।
  • शादी के लिए किसी स्टाइलिश जूड़े का चुनाव् करें। इस्मे आपको बार बार बाल ठीक करने कि भी कोई आवश्यकता भी नही पड़ेगी। 

गुरुवार, 7 नवंबर 2013

डायबिटिक रोगी : करें पैरों से प्यार

डायबिटीक रोगी को न सिर्फ अपने ब्लड ग्लूकोस का ध्यान रखना चाहिए, बल्कि उसे अपने पैरों को भी उतना ही महत्त्व देना चाहिए। डायबिटिक रोगी के पैरों से सम्बन्धी समस्या होने की आशंकाएं सामान्य से अधिक होती है। शरीर में बढ़ा हुआ ब्लड शुगर कई बार पैरों की या फिर स्किन समस्याओं को जन्म  है। आइये आज यह जानने का प्रयास करते है कि कैसे एक डायबिटिक रोगी अपने पैरों का धयान रखें। 
 
क्या कदम उठाएं :
  • हर रोज अपने पैरों की जाँच करें।  अगर आपके पैर में किसी तरह की चोट  लग गयी हो या फिर किसी प्रकार की सूजन हो या फिर किसी प्रकार का इन्फेक्शन  हो तो तुरंत डॉक्टर से मिले और अपनी समस्या का इलाज कराएं।
  • नंगे पैर न घूमें।  हमेशा पैरों को पूरी तरह से ढकने वाले जूते या सैंडल्स को ही पहने। ताकि आप अपने पैरों को चोटिल होने से बचा सकें। 
  •  पैरों को सुखा रखें विशेष रूप से अपने पैर की उँगलियों के बीच नमी को बनने न दे। 
  • पैरों की स्किन को कोमल बनाएं रखें का प्रयास करें। 
  • पैरों में रक्त संचार को दुरुस्त रखने के लिए टाइट जुराब या सैंडल्स न पहने। साथ ही बहुत देर तक पैरों को लटकाएं न रखें। ऑफिस के घंटों तक एक ही अवस्था में न बैठे रहें। पैरों को हिलाते रहें और पैरों कि एक्सरसाइज करते रहे।  इससे पैरों में सूजन की समस्या से भी बचा जा सकता है। 
अन्य बातें :
  • डॉक्टर से अपने पैरों की सालाना जाँच अवश्य कराएं। 
  • यदि डॉक्टर आपको किसी विशेष प्रकार के जूते पहनने कि सलाह देते है, जैसे - आगे से चौड़े मुंह वाले जूते या फिर किसी विशेष प्रकार के ब्रांड के जूते तो उनकी सलाह को नजरअंदाज न करें। 
हमारे पैर हमारे शरीर का आधार होता है इसलिए डायबिटिक रोगी को इन्हे ज्यादा केयर देने की आवश्यकता है। अपने पैरों को समय दे और उनका ध्यान रखें। 
 

गुरुवार, 31 अक्तूबर 2013

दीवाली : कैसे करें कैलरी कट

खूब सारे पटाखों का शोर और उस पर मिष्ठानों को खाने की होड़ में, सेहत का हाल ख़राब हो जाता है। आज हम कुछ ऐसी बातों पर चर्चा करेंगे जिसकी मदद से आप आसानी से इन कैलरी लोडेड खाने और मिठाइयों से कैलरी को कट कर पाएंगे। आइये, जानते है कैसे:

क्या आप घर में रखी मिठाई को देख कर अपने पर कण्ट्रोल नहीं कर पाते है तो हम आपको बताते कि कैसे आप दीवाली में इतनी कैलरी के बीच भी फिट रह सकते है।

मिठाइयों को बाटें : 

आपके घर पर जितने भी मिठाई के डिब्बे आते है उन्हें घर पर स्टोर करने की बजाय अन्य लोगो में बाँट दे। ताकि आप अनचाही कैलरी से बच सके। अगर आपके घर में मिठाई के डिब्बों कि भीड़ ही नहीं होगी तो आप अनचाही कैलरी का सेवन करने से भी बच जायेंगे। अगर आप सोच रहे है कि आप सभी के लिए मिठाई खरीद चुके है तो परेशान न हो। आपके घर पर काम करने वाले कर्मचारियों को घर पर आई मिठाई दे सकते है या फिर आप उन्हें गरीबों में भी बाँट सकते है।

शुगर फ्री को अपनाएं :

बाज़ार में आपको बड़ी ही आसानी से शुगर फ्री मिठाइया मिल जाएँगी। यह मिठाइयों की मिठास भी बनी रहती है और  इनमे कैलरी भी कम होती है।

समझदारी दिखाएं :

इस दिन बनने वाले व्यंजनों को तैयार करने के लिए लो फट आयल का प्रयोग करें। घी में पकवानों को न बनाये। हलके तेल जैसे सूरजमुखी का तेल या कोई अन्य रिफाइंड आयल का ही प्रयोग करें। साथ ही मिठाइयों को खाने से बेहतर है कि आप ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें। इसमें कैलरी तो होती है मगर यह स्वास्थ्यकारी होते है।

इसके अलावा, आप पकवानो को कुछ इस तरीके से तैयार करें जिसमे कम तेल और कम फैट हो।

खूब पानी पिएं :

दीवाली के प्रदूषण से और बेकार के कचर-पचर से बचने ले लिए पानी पिए। खूब सारा पानी या तरल पदार्थ का सेवन करने से आपको लगने वाली चुटुर-पुटुर भूख मर जायेगी और आप अनचाही कैलरी का सेवन करने से बच जाएंगे।

कम खाएं :

अगर आप अपने आप पर कण्ट्रोल रख सकते है तो दीवाली पर बने पकवानो को खाने से बचे या फिर अगर आप इनका सेवन करना चाहे तो कम मात्रा में ही इनका सेवन करें। कम मात्रा में खाने से आप पकवान का स्वाद भी चख पाएंगे और कैलरी से भी बच जायेंगे।

त्यौहार मनाएं, मगर अपनी सेहत को दांव पर मत लगाये। इस साल दीवाली के दिन पटाखों के साथ साथ अपनी कैलरी को भी जलाये और फिट बन जाएं।


गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013

समझे पीडियाट्रिक स्ट्रोक को

ऐसा माना जाता है कि स्ट्रोक की समस्या केवल बुजुर्गों की समस्या होती है जबकि वास्तविकता यह है कि बच्चों को भी स्ट्रोक हो सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि केवल बच्चे ही नहीं बल्कि नवजात शिशु भी इसके शिकार बन सकते है। बच्चों में होने वाले स्ट्रोक को पीडियाट्रिक स्ट्रोक के नाम से जाना जाता है। बच्चे अक्सर अपनी समस्याओं को व्यक्त नहीं कर पाते है जिस कारण  स्ट्रोक बच्चो को ज्यादा प्रभावित कर सकता है। आइयें इस विषय को और गंभीरता से समझते है। 

लक्षण:
  • नवजात शिशुओं के शरीर में अकड़न आना 
  • सिर में दर्द होना 
  • बात करने में कठिनाई का होना 
  • शब्दों का साफ़ उच्चारण करने में कठिनाई होना
  • शरीर के एक तरफ के हिस्से में कमजोरी महसूस होना 
  • आँखों की पुतलियों के तारतम्य का बिगड़ना, आदि। 
इलाज :

ऐसा माना जाता है कि स्ट्रोक का इलाज संभव नहीं है। मगर वास्तविकता है यह है कि इसका इलाज पूरी तरह से हो सकता है। स्ट्रोक की समस्या एक ऐसी समस्या है जिसके सही कारणों का पता लगा पाना संभव नहीं होता है। यहीं कारण है कि कई बार इस समस्या का पूरी तरह से इलाज नहीं हो पाता है। और जब बात बच्चों की हो तो यह और भी मुश्किल हो जाता है क्योंकि बच्चे अपने शरीर में होने वाली परेशानी को बयान नहीं कर पाते है। अगर समाया के कारण का पता लग जाएँ तो बड़ी ही आसानी से इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है। 

प्रभाव : 

स्ट्रोक का प्रभाव बच्चों और बड़ों दोनों पर ही सामान रूप से होता है। जैसे -
  • शरीर के एक तरफ के हिस्से में कमजोरी महसूस होना 
  • शरीर के एक तरफ के हिस्से में लकवा मारना 
  • बोलने में कठिनाई होना 
  • खाने में या निगलने में कठिनाई होना 
  • आँखों की पुतलियों के तारतम्य का ख़राब होना
  • मिर्गी के दौरे का आना, आदि। 
ध्यान रहें बच्चे बड़ों की तुलना में ज्यादा जल्दी इस समस्या से उबर सकते है। मगर जिन बच्चों को या नवजात शिशुओं को स्ट्रोक के बाद मिर्गी के दौरे पड़ने की समस्या हो जाती है अक्सर उन बच्चों के पूरी तरह से ठीक होने की संभावनाएं थोड़ी सी कम होती है। 

गुरुवार, 17 अक्तूबर 2013

बढ़ाएं पैरों की खूबसूरती

हमारे शरीर का आधार पैर होते हैं। और हम सभी चाहे बात पैरों के स्वास्थ्य की हो या फिर पैरों की खूबसूरती की, हम दोनों को ही बखूबी नजरंदाज करने में माहिर होते है। मगर पैरों की देखभाल करना इतना भी मुश्किल नही है. आइये आज हम जानते है की कैसे आप अपने पैरों को खुबसूरत बना सकते है। 

सबसे पहले पैरों की साफ़ सफाई को महत्त्व दे। याद रहे कोई भी चीज़ तभी खुबसूरत बनती है जब वह साफ़ हो। इसलिए पैरों का साफ़ रखें। इसके लिए आप हर 15 दिन में एक बार पेडीक्योर करा सकते है। आप चाहे तो आप घर पर भी नियमित रूप से नहाते समय  भी अपने पैरों को साफ़ कर सकते है। 

  • सप्ताह में दो बार अपने पैरों को बॉडी स्क्रब से साफ़ करें। आप चाहे तो आप बाज़ार में मिलने वाले फुट स्क्रब का भी प्रयोग कर सकते है। इसके अलावा आप चाहे तो आप घर में भी स्क्रब बना सकते है। आटे के चोकर में थोडा सा कच्चा दूध मिला कर उससे पैरों को साफ़ कर सकते है। या फिर आप चीनी में थोडा सा गुलाब जल और नीबू का रस डाल कर बने मिश्रण से पैरों को साफ़ कर सकते है। इस मिश्रण को हलके हाथो से मलना है। 
  • पैरों पर जमी गंदगी को रोज फुट क्लीनर से साफ़ करें। 
  • रात में सोते समय पैरों पर फुट क्रीम लगाकर जुराब पहन कर सोयें। 
  • घर में नंगे पैर न घूमें। 
कैसे लगाये चार चाँद :

यह तो बात रही पैरों की साफ़-सफाई की। चलिए अब बात करते है कि कैसे आप अपने पैरों को सुंदर दिखा सकते है। 
  • अपने पैरों पर किसी अच्छे ब्रांड की नेल पोलिश लगाएं। नेल पोलिश के दो कोट अवश्य लगाये। इससे नेल पोलिश का रंग भी अच्चा दिखेगा और उसकी उम्र भी। 
  • आप नेलआर्ट सिर्फ हाथों के नाखुनो पर ही नहीं बल्कि अपने पैरों की उँगलियों पर भी कर सकते है। 
  • टो रिंग यानि बिछुआ आपके पैरों की सुन्दरता को और निखरेगा। बाज़ार में बहुत से आर्टिफीशियल टोरिंग मिलते है जिनके लिए आपको बहुत पैसे भी खर्च नहीं करने पड़ेंगे और यह ट्रेंडी भी होते है। 
  • टो रिंग की ही तरह आप स्टाइलिश पायल से भी अपने पैरों को खुबसूरत बना सकते है। 
  • अंत में एक सुन्दर और आरामदायक सैंडल आपके पैरों की खूबसूरती को पूरा करता है। 
उम्मीद है की आप भी अपने पैरों का पूरा ध्यान रखेंगे और अपने पैरों की खूबसूरती से दूसरों का ध्यान अपनी और खिचेंगे। 

बुधवार, 9 अक्तूबर 2013

दे पहला पौष्टिक भोजन

हम सभी जानते है कि जन्म के बाद नवजात शिशु को छ: माह तक केवल मां का ही दूध देना चाहिए। और उसके बाद हलका फुलका भोजन देना शुरू करना चाहिए। आज हम उस आहार के बारें में चर्चा करेंगे जिससे इन बच्चों को पहला पौष्टिक आहार मिल सके।

दाल:

अक्सर बड़े बुजुर्ग कहते है की बच्चे के भोजन की शुरुआत उसे दाल का पानी पिला कर करनी चाहिए।  मगर वास्तविकता यह है की बच्चे को कदाल का पानी नहीं बल्कि घुली हुई दाल पिलानी चहिये. यानि दाल को कुकर में इतना पक ले की बच्चा आसानी से दाल को पी सके।  इससे आपके बच्चे को दाल के सभी पोषक तत्वों की प्राप्ति होगी।

नारियल पानी और अन्य जूस:

 नारियल पानी हल्का होता है और यह पेट के लिए भी अच्चा होता है इसलिए बच्चे को नारियल पानी पिलाया जा सकता है।  इसके अलावा आप चाहे तो आप बच्चे को घर का बना जूस भी दे सकते है।  अगर आप बच्चे को बाजार का डिब्बा बंद जूस पिलाना चाहते है तो उसे आप "नो एडेड शुगर" वाले जूस पिला सकते है।

दही :

बच्चे को दही दिया जा सकते है। आप बच्चे के स्वाद के अनुसार उसमे नमक या चीनी दाल सकते है।  पर नमक और चीनी का प्रयोग नाममात्र के लिए होना चाहिए।

केला :

केले को कुचल कर उसे अच्छे से पिस ले। आअप चाहे तोह आप केले में थोडा सा दूध मिला कर इसका शेक भी बना कर बच्चे को दे सकते है।

आटा और बेसन का हलवा :

बच्चे के लिए आटा और बेसन का हलवा पतला बनाये ताकि उसे इसे खाने में कठिनाई न हो।

सेब की खीर :

सेब को छील कर उसे कद्दुकस कर ले। अब एक पैन में दूध ले और उसे अच्छे से उबाल ले. दूध उबलने पर उसमे सेब को दाल दे और गैस बंद कर पैन को ढक दे। आप च्चे तोह आप उसमे थोड़ी सी चीनी डाल सकते है।  ठंडा होने पर इसे चम्मच की मदद से अच्छे से मिस ले और बच्चे को खिलाये।

अंडा :

एक साल का होने पर आप अपने बच्चे को अंडा खाने के लिए दे सकते है।  अंडा प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत होता है. आप अपने एक साल के बच्चे को अंडे की भुज्जी या ओम्लेट दे सकते है।

महत्वपूर्ण बात :

  • बुजुर्गों के अनुसार बच्चे मीठा खाना पसंद करते है।  उनकी इस बात को बिलकुल भी न सुने। अपने बच्चे को जितना संभव को संतुलित मात्र में मीठा खाना  दे।  ज्यादा मीठा खाना बच्चो के आने वाले दांतों और स्वास्थ्य दोनों के लिए ही ठीक नहीं होता है। 
  • ध्यान रहें की आपके बच्चे का पेट उसकी मुट्ठी के जितना ही होता है. इसलिए कभी भी बच्चे के साथ खाने के मामले में जबरदस्ती न करें।  आपकी जबरदस्ती आपके बच्चे को जिद्दी बना सकती है।

गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013

दिमाग शांत करता योग

हम सभी व्यस्त है और हमारी यहीं व्यस्तता अपने साथ तनाव और दिमागी अशांति अपने साथ लेकर के आती है। हममें से बहुत से लोग ऐसे है जो इस बात को बखूबी जानते है की आधे से ज्यादा स्वास्थ्य समस्याओं का कारण कुछ और नहीं बल्कि तनाव है। अब सवाल उठता है कि कैसे आप इस तनाव से लड़ते है? एक्सरसाइज एक ऐसा माध्यम है जिसकी मदद से आप काफी हद तक तनाव को अपने से दूर रख सकते है। आज हम योग कैसे तनाव को दूर कर आपको शांत कर सकता है इस पर चर्चा करेंगे। 

  • योग में सांसों के साथ शरीर का तारतम्य कायम किया जाता है। इसमें न तो अन्य एक्सरसाइज शैली की तरह तेज़ शारीरिक गतिविधियाँ होती है और न ही पसीना व थकान। इसके बावजूद इससे मिलने वाले लाभ अतुलनीय है। जब आप योग करने है तब आपको न सिर्फ शारीरिक लाभ मिलता है बल्कि इसके माध्यम से आपको मन व दिमाग की शांति भी मिलती है। 
  • योग न सिर्फ आपको शांत करता है बल्कि इसकी मदद से आपके ध्यान केन्द्रित करने की मानसिक क्षमता का भी विकास होता है। आप किसी भी चीज़ में कितना अच्छे से ध्यान लगा सकते है इस बात की जानकारी देता है की आपका दिमाग कितना शांत और दृढ संकल्पी है। योग में आप आसनों को साँसों पर ध्यान लगा कर करते है।  साथ ही ध्यान लगाने या मैडिटेशन करने की प्रक्रिया में आप अपने मन और दिमाग पर पूरा नियंत्रण रख कर योग करते है।  यह न सिर्फ आपको अपने ऊपर नियंत्रण कायम करने में मदद करता है बल्कि ये आपको विपरीत परिस्थितियों या कहें की आपको तनाव भरी स्थितियों से भी बाहर निकालने में सहायक होता है।
  • हर उम्र का व्यक्ति बड़ी ही आसानी से इसे कर सकता है।  ऐसा इसलिए है क्योंकि योग में अन्य एक्सरसाइज शैली की तरह उछलना या कूदना नहीं होता है। 
  • यह आपके दिमाग के तनाव के साथ शरीर की मांसपेशियों केतनाव को भी कम करने में सहायक होता है। योग करने से शरीर में लचीलापन बढ़ता है और आपके जॉइंट्स ज्यादा अच्छे ढंग से कार्य कर पाते है। 
किससे करें शुरुआत :
  • प्राणायाम के माध्यम से आप अपनी साँसों के तारतम्य को ठीक आकर सकते है।  आपको यकीं नहीं होगा मगर हम्मे से बहुत से ऐसे लोग है जो गलत ढंग इ सांस लेते है।  जिस कारण वे हमेशा एक तरह की थकान और दबाव महसूस करते है। प्राणायाम की मदद से इस समस्या से निपटा जा सकता है।  सबसे बड़ी बात है की इसे कोई भी आसानी से सिख सकता है। 
ध्यान दे :

योग से बहुत से लाभ मिल सकते है मगर केवल तब जब आप इसे सही ढंग से करें।  गलत तरीके से किये गए योग आपके शरीर को नुकसान पंहुचा सकते है। इसलिए शुरुआत में किसी प्रशिक्षित की मदद ले। उसके बाद आप स्वयं इसे कर सकते है।

हमें उम्मीद है की आप योग क्र अपने दिमाग के तनाव का मुकाबला करने में सफल रहेंगे।  

ब्रैस्ट कैंसर : शुरूआती रोकथाम ही बचाव

ब्रैस्ट कैंसर से बचने का केवल एक ही तरीका है, समय पर इस समस्या का पता चलना। जितना जल्दी इसके होने का पता चल जाये आपके इससे बचने की संभावनाएं भी उतनी ही बढ़ जाती है। हमारे देश में महिलाओं को शिकार बनाने वाले कैंसर के सभी प्रकारों में से ब्रैस्ट कैंसर पहले दो नंबरों में आता है।  

कैसे करें बचाव :

मैमोग्राफी :

यह एक प्रकार का ब्रेस्ट का एक्स रे होता है। इसमें आपके ब्रेस्ट में बन रहे या भीतर हो रहे बदलावों का पता समय रहते चल जाता है।  आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मैमोग्राफी की मदद से कैंसर का पता आपके या आपके डॉक्टर को पता चलने के करीब दो साल पहले ही इसके होने की जानकारी दे देता है। यानि यदि आप नियमित रूप से मैमोग्राफी करते है तो आपको ब्रैस्ट कैंसर का पता बहुत पहले जी लग सकता है। 

40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को साल में एक बार मैमोग्राफी अवश्य करानी चहिये. मगर यदि आपके परिवार में ब्रैस्ट कैंसर की समस्या बहुत पहले से है तो 30 के बाद से ही आपको मैमोग्राफी और एम आर आई करानी चाहियें। 

क्लिनिकल ब्रैस्ट एग्जाम :

इस में डॉक्टर इस बात की जांच करते है कि आपके ब्रैस्ट में किसी प्रकार की गिल्टी तो नही है या फिर ब्रैस्ट से किसी प्रकार का डिस्चार्ज तो नही हो रहा है, ब्रैस्ट का आकर सामान्य है या नहीं आदि। 

20  से 30  साल की उम्र वाली महिलाओं को हर 3  साल में इसे एक बार कराना चाहिए। 

ब्रैस्ट सेल्फ एग्जाम :

नाम से ही आपको समझ आ रहा होगा कि इसमें आप स्वयं अपने ब्रैस्ट की जाँच कर सकते है। आप ब्रैस्ट सेल्फ एग्जाम की सही तकनीक की जनकारी अपने डॉक्टर से ले सकती है। 20 साल की उम्र से ही आप इसे कर सकती है। 

याद रहें की क्लिनिकल ब्रैस्ट एग्जाम और ब्रैस्ट सेल्फ एग्जाम कभी भी मैमोग्राफी का स्थान नहीं ले सकती है। इसलिए यह सोच कर मैमोग्राफी को नजर अंदाज न करें कि आप क्लिनिकल ब्रैस्ट एग्जाम और ब्रैस्ट सेल्फ एग्जाम तो करती है। 

महत्वपूर्ण बात :
  • यदि आपके परिवार में ब्रैस्ट कैंसर का इतिहास रहा है तो आपके ब्रैस्ट कैंसर के होने की आशंकाएं बढ़ जाती है इसलिए नियमित जाँच कराएँ और समय रहते अपना बचाव करें। 

बुधवार, 18 सितंबर 2013

स्किन फ्रेंडली गार्डन हर्ब्स

हर किसी की खुबसूरत स्किन पाने की चाहत होती है। मगर स्किन प्रोडक्ट्स में केमिकल के बढ़ते प्रयोग ने इन प्रोडक्ट्स को प्रकृति से दूर कर दिया है। आज हम उन हर्ब्स के बारें में चर्चा करेंगे जोकि स्किन को स्वस्थ बनाने में सहायक होती है।  

क्या बहुत से पैसे खर्च कर भी इस बात से परेशान है कि  आपकी स्किन पर चमक क्यों  नहीं आई है? अगर हाँ तो रेडीमेड प्रोडक्ट्स को कहें बाय और सीधे अपने गार्डन से उन् हर्ब्स को चुन लायें जो आपकी स्किन को एक अलग ही निखार देने में मदद करेंगे।

गुलाब की पत्तियां :

गुलाब की पत्तियां स्किन को स्वस्थ बनाने में बहुत ही प्रभावशाली ढंग से काम करती है। जैसे इसकी पत्तियों का अरक या गुलाब जल को स्किन पर लगाने से स्किन की खोई नमी वापस आती है और स्किन में एक ताजगी भरा लुक दिखाई देता है। इसके अलावा यह आँखों के पास की सेंसटिव स्किन पर भी प्रभावी ढंग से काम करता है। आप किसी भी फेस पैक को बनाने में इसका प्रयोग कर सकती है।  साथ ही रात में सटे समय इसका प्रयोग स्किन करने से स्किन का निखार बढ़ता है।


कालेनजुला :

इस फूल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि  यह क्षतिग्रस्त स्किन पर बहुत प्रभावी रूप से कार्य करती है। सूरज की तेज़ किरणों से होने वाले स्किन डैमेज को यह दूर करता है।  साथ ही स्किन पर लगे किसी प्रकार के कट आदि पर भी कार्य करता है।  यह एंटी इन्फ्लामेट्री और एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टी से युक्त है जिस कारण यह स्किन पर प्रभावी होता है।

एलो वेरा :

एलो वेरा के स्किन प्रभाव को तो सा जानते ही है।  सबसे ज्यादा स्किन प्रोडक्ट्स में इसी का प्रयोग किया जाता रहा है। एलो वेरा विटामिन सी और ई  का बेहतरीन स्रोत है जिस कारण  यह स्किन पर इतने अच्छे से काम करते है।  आप एलो वेरा को कट कर इसके रस को स्किन पर सीधे लगा सकते है।  मगर हाँ, इसका प्रयोग सबकी स्किन पर एक सा निखार लाये यह जरुरी नहीं है।

पुदीना :

पुदीने के ताजगी भरे अहसास के साथ-साथ इसके टोनर के गुण इसे स्किन फ्रेंडली हर्ब्स की श्रेणी में लाते है।  इसके एंटी प्यूरिटी प्रोपर्टी इसे स्किन की अशुद्धियों को दूर कर स्किन को साफ़ करने में मदद करती है।  आप इसका पेस्ट बनाकर या फिर इसे पिस कर महीन कपडे में इसे छानकर इसके रस को स्किन पर लगा सकते है।

नीम :

हालाँकि जगह के अभाव  के कारण नीम का पेड़ अब शहरों के घरों में मिलना मुश्किल हो गया है मगर आज भी पार्क या गार्डन में यह आपको आसानी से मिल जाते है।  नीम स्किन और शरीर को भीतर से साफ़ करने में मदद करता है।

उम्मीद है कि  आप इन सब हर्ब्स का प्रयोग कर न सिर्फ प्रकृति से सीधे जुड़ेंगे बल्कि आप अपनी स्किन को भी प्रकृति का साथ देंगे।  

गुरुवार, 12 सितंबर 2013

डेंटल केयर और बच्चे

हम सभी को ऐसा लगता है कि  बच्चे कितनी भी टोफ्फी या चॉकलेट खा सकते है। और अगर इसे खाने की वजह से उनके दांत सड़ भी जाये तो घबराने की कोई आवश्यकता नही है क्यों कि उनके ख़राब हुए दांत टूट कर नए आएंगे ही। पर क्या वाकई में हमारी ये सोच ठीक है? शायद नहीं। दांत चाहे दूध के हो या परमानेंट हो, उसकी देखरेख और केयर करना बेहद जरुरी है। आइये जानते है क्यों :

हम सभी जानते है कि हम मनुष्यों के दो बार दांत आते है। एक दूध के और दूसरे परमानेंट। जहाँ दूध के दांत टूटने के बाद नए दांत आ सकते है वहीँ दूसरी यदि परमानेंट दांत टूट जाएँ तो उसके दुबारा आने की सम्भावना बिलकुल भी नहीं होती है। अक्सर माता -पिता परमानेंट दांत आने की सम्भावना के कारण ही बच्चो को मीठा, तला खाना खाने की छूट दे देते है। कई अभिभावक तो बच्चों को जबरदस्ती मीठा खिलाते है। उनके अनुसार, अगर बचपन में मीठा नहीं खायेंगे तो फिर कब खायेंगे ? पर ख़राब दूध के दांतों के टूटने के बाद बच्चे के परमानेंट दांत स्वस्थ आयेंगे इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है।

महत्त्व को समझे :

इस मूल मन्त्र को जान ले कि यदि बच्चे के दूध के दांत सड़ जाएँ तो उसके परमानेंट दांत भी इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते है। इसलिए आज से ही अपने बच्चे को मीठा और तैलीय भोजन खिलाना बंद करें।

कैसे करें केयर :

बेसिक ब्रशिंग

जिस तरह एक एडल्ट को दिन में दो बार ब्रश करना जरुरी है ठीक उसी तरह अपने बच्चे को दिन में कम से कम दो बार ब्रश करवाएं। जब तक आपका बच्चा खुद से दांत साफ़ करना नहीं सीखता है तब तक आप उसे स्वयं ब्रश कराएँ। इसके लिए आपको हर रोज अपने बच्चे को ब्रशिंग तकनीक सिखानी होगी।

मीठे से करें परहेज़

अक्सर बच्चो को मीठा पसंद होता है. मगर यह जरुरी है कि  आप अपने बच्चे को मीठे (चॉकलेट, टोफ्फी, आइस-क्रीम, कोल्ड ड्रिंक, आदि) खाद्य पदार्थ न दे। यदि आपका बच्चा इसे खाता है तो उसके दांतों को तुरंत साफ़ करना न भूले।

टूथपेस्ट का प्रयोग

अक्सर अभिभावक बच्चो को टूथब्रश तो दे देते है मगर उस पर टूथपेस्ट का प्रयोग नहीं करते है। मगर हमेशा बच्चे को टूथपेस्ट लगा कर ही ब्रश कराएँ। आप बच्चो को सामान्य टूथपेस्ट देने की बजाय बाज़ार में मिलने वाले बच्चो के टूथपेस्ट का ही प्रयोग करें। यह टूथपेस्ट बिना शुगर के होते है। और यदि बच्चा ब्रश करते समय इस टूथपेस्ट को खा भी जाएँ तो घबराने को कोई आवश्यकता नहीं होती है। 

 नियमित जांच कराएँ:

बच्चे के दांतों की नियमित जांच कराएँ। आपके बच्चे के दांत बचपन में जितने स्वस्थ रहेंगे उन्हें बड़े होने पर दांतों की उतनी ही कम परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। 

अपने बच्चे की मुस्कराहट में चार चाँद लगाये और उसे डेंटल केयर के बारें में विस्तार से समझाएं।  

सोमवार, 2 सितंबर 2013

मुलैठी : पाएं खांसी से छुटकारा

अगर आप अपनी न जाने वाली खांसी से परेशान है तो मुलैठी आपकी बहुत मदद कर सकती है।  मुलैठी एक ऐसा हर्ब है जिसे आप आसानी से प्राप्त भी कर सकते है और  आपको किसी प्रकार के ताम झाम या काढ़ा आदि बनाने की जरुरत नहीं है। आइयें जानते है :

मुलैठी एक सूखी  लकड़ी की तरह दिखती है। असल में मुलठी के पौधे के तने का प्रयोग औषधि के रुप में किया जाता है।

कैसे करे प्रयोग :

  • जब भी आपको खांसी हो बस इसके एक टुकड़े को अपने मुंह में डाल  ले और दांतों से हलके से इसे दबाते हुए इसके रस को चूसे।  इससे आपकी खांसी की समस्या में बहुत आराम मिलेगा। 
  • अगर आपकी खांसी सूखी  है तो इसका सेवन शहद के साथ करे।  
  • इसके अलावा आप इसे गर्म पानी के एक कप में भिगो दे। कुछ देर भिगोने के बाद मुलैठी को पानी से बाहर निकाल ले और कप के पानी को दुबारा गर्म कर उसे धीरे धीरे पिएं। 
  • आप इसे चाय में दाल कर भी कर सकते है। 
  • आप इसे अदरक, तुलसी के रस और शहद के साथ पीस के बने पेस्ट का भी सेवन कर सकते है। 
अन्य  लाभ :

मुलैठी केवल खांसी में ही नही बल्कि पेट की समस्याओं को भी ठीक करने में सहायक होती है। यह पेट दर्द, एसिडिटी, कब्ज जैसी समस्याओं को भो दूर करती है।  

कैसे प्राप्त करें :

मुलैठी की खासियत है कि  इसे ढूंढने के लिए आपको किसी हर्बल स्टोर को खोजने की कोई आवश्यकता नहीं है. आप इसे आसानी से किराने की दुकान  से भी प्राप्त केर सकते है। साथ ही अब बाज़ार में मुलैठी पाउडर भी मिलते है। 

अब आप कफ कैंडी को खरीदने में अपने पैसे बर्बाद न करें, प्रकृति से जुड़े और इस हर्ब के गुणों का लाभ उठायें।

बुधवार, 28 अगस्त 2013

हैंड बैग्स : बढ़ा न दें मुश्किल

हैंड बैग्स, हर महिला की जरुरत है. मगर कई बार यहीं हैंड बैग्स आपके स्वास्थ्य के लिए परेशानी का भी कारण बन जाते है. अक्सर काम काजी महिलाएं उन बैग्स को प्राथमिकता अधिक देती है जिनका साइज़ बड़ा हो. इसके पीछे का कारण साफ़ है हर महिला चाहती है कि उसके एक ही बैग में वह अपना सारा सामान समेट सकें। पर एक और बड़े बैग के चक्कर में हम कमर, गर्दन और कंधे के दर्द को निमंत्रण दे देते है. आइयें जानने का प्रयास करते है कि कैसे हैंड बैग्स आपकी मुश्किलें बढ़ा  सकता है और इनसे बचने के लिए आपको क्या करना चाहिए। 

हैंड बैग्स आपकी पर्सनालिटी में चार चाँद लगाते है. ये स्टाइलिश तो दीखते है मगर यह आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं है. इसलिए आप दो में से किसी एक का चुनाव कर सकती है या तो आप भारी-भरकम बड़े बैग को चुनें या फिर अपने स्वस्थ शरीर को? फैसला आपका है. 

जिस तरह हम घर के साइज़ बड़े होने पर उसमे कबाड़ को ठुसने के लिए जगह बना लेते है ठीक उसी तरह हम बैग के साइज़ बड़े होने पर उसमे अनाप-शनाप सब चीज़े ठूंसने लगते है. ऐसा नहीं है की यह सिर्फ आप कर रहे है ऐसा हम सभी करते है. मगर बैग के साइज़ से आपके स्वास्थ्य को कोई नुक्सान नहीं है पर उसमे भरे सामान का बोझ आपको बहुत परेशान कर सकता है. भारी बड़े बैग्स  के कारण  आप पीठ, कमर, कंधे के दर्द से परेशा हो सकते है. डॉक्टर्स भी महिलाओं को हल्के और छोटे बैग्स को लेने की सलाह देते है.

कैसे बचे:

  • सबसे पहले मीडियम साइज़ का ही बैग ले. 
  • बैग में से बेकार की चीजो को समय-समय पर निकालते रहे. और हाँ, अपने पर्स में से सिक्के और पुराने बिल निकलते रहे ताकि आपका बैग हल्का रहे. 
  • एक ही कंधे पर बैग को लटकाए न रखे. अपने दोनों कंधो को आराम पहुचाएं और कुछ कुछ देर के लिए अपने बैग को दोनों कंधो पर ले. इससे एक ही कंधे पर दबाव नहीं पड़ेगा। 
  • अपने बैग को या तो कंधे पर लटकाए या फिर हाथ में पकडे मगर कभी भी उसे खोनी मोड़ कर हाथों के बीच में न लटकाएं। 
  • आप चाहे तो आप अपने हैण्ड बैग के साथ साथ एक लंच बैग भी ले ले ताकि आपका सामान आ जाये और कंधो व गर्दन पर जोर भी न पड़े. 
  • आप चाहे तोह आप बेक पैक का भी प्रयोग कर सकती है.
  • इसके अलावा आप उन हैण्ड बैग्स को भी ले सकते है जोकि एक कंधे से लटकते हुए दूसरी तरफ कमर पर जाते हो. इन बैग्स  का प्रयोग करने से पीठ पर दबाव कम पड़ता है. 
  • इन सबके अलावा अगर संभव हो तो बैग को थोड़ी देर के लिए काढ़े से उतार कर अपने कंधे को रेस्ट देते रहे. 
जिस तरह बच्चों के भारी भरकम स्कूल बैग्स  उनकी सेहत को नुक्सान पहुचते है ठीक उसी तरह बड़े और भारी हैंड बैग्स आपको। इसलिए, अगली बार बैग खरीदते समय बैग के साइज़ नहीं बल्कि अपने सेहत की साइड देखना न भूले। 

बुधवार, 7 अगस्त 2013

हैंड केयर फॉर मैन

ऐसा माना जाता है कि पुरुषों के हाथ कठोर और महिलाओं के हाथ कोमल होते है. मगर कठोरता का अर्थ कभी भी गंदे हाथ नहीं होता है. इसलिए यदि आप पुरुष है और आपको यह लगता है कि  हाथो की सफाई को कम महत्त्व दिया जाये तब भी ठीक है तो आप गलत है. हाथो का साफ़ सुथरा होना आपके व्यक्तित्व क सुधरता है. आइये जानते है कि कैसे आप आने हाथो की केयर कर सकते है. 

सबसे पहली बात इस बात को समझे की आपका चेहरा आपके व्यक्तित्व में जितना अहत्व रखता है उतना ही आपके हाथ. जब भी आप बात करते है या आप किसी भी व्यक्ति से मिलते है तब सबसे पहले आपके चेहरे के बाद आपके हाथ ही दूसरों के सम्पर्क में आते है. इसलिए अपने हाथों को अनदेखा न करे. 

कैसे करें शुरुआत :
  • नमी को बनाये रखे: आपके हाथ की नमी जितनी बनी रहेगी आपके हाथ उतने की कोमल रहेंगे। इसके लिए आप बाज़ार में मिलने वाली किसी अच्छी हैण्ड क्रीम का प्रयोग कर सकते है. इसके अलावा सप्ताह में दो बार अपने हाथो को चीनी से धोये. हाथ में थोड़ी सी चीनी ले, थोडा सा पानी और गुलाब जल ले. अब इसे अपने हाथो में अच्छे से मल ले. अब इसे पानी से सा कर थोडा सा गुलाब जल लगा ले. यदि आपके हाथ ड्राई बहुत है तो आप थोडा सा ओलिव आयल भी हाथो पर लगा सकते है. 
  • नाखूनों को रखे ट्रिम: आढे-तिरछे या कटे फटे नाख़ून हाथो के प्रति आपके लापरवाही भरे बर्ताव को दर्शाती है. इसलिए हमेशा अपने नाखूनों को ट्रिम करते रहे. नाखूनों को काटने के बाद फाइलर से फाइल कर नाखूनों के शपे को सुधारना न भूले। 
  • मैनीक्योर करे : मैनीक्योर की जरुरत केवल महिलाओ को ही नही होती है बल्कि पुरषों को भी इसकी उतनी ही जरुरत होती है. आप 15 से 20  दिन में एक बार मैनीक्योर करा सकते है. आजकल अलग अलग तरह के बहुत से मैनीक्योर आ गए है.
  • नेल शाइनर का प्रयोग करे: बाज़ार में नाखूनों को चमकदार बनाने वाली नेल शाइनर स्ट्राइप्स मिलती है. जिनका प्रयोग करने से नाखूनों में चमक आएगी और यह आपके नाखूनों और हाथ दोनों को खुबसूरत बनाएगी।
किन बातों का रखे ध्यान:
  • नाखूनों को दांतों से न कुतरे।
  • हमेशा नेल कट्टर का प्रयोग करें। 
  • रात में सोने से पहले हैण्ड क्रीम का प्रयोग अवश्य करें। यदि आप वेट लिफ्टिंग करते है तो हनद क्रीम का प्रयोग अधिक करें। 
  • अपने नाखुनो का प्रयोग किसी उपकरण की तरह न करें। 
हाथों को साफ़ रखें। क्योंकि  यदि आपके हाथ साफ़ होंगे तो आप खुबसूरत होने के साथ-साथ स्वस्थ भी होंगे। 


बुधवार, 31 जुलाई 2013

स्तनपान सम्बन्धी मिथक

किसी भी नवजात शिशु के लिए उसकी मां के दूध से बेहतर कोई भी भोजन नहीं होता है. मां  के दूध में वो सभी पोषक तत्व होते है जोकि शिशु के विकास के लिए जरुरी है. यहीं कारण  है कि डॉक्टर्स भी शिशु के जन्म के बाद 6 महीने तक केवल मां  का दूध देने की सलाह देते है. स्तनपान का विषय जितना महत्वपूर्ण है उतने ही इस विषय से जुड़े मिथक भी हैं. आइए, आज हम इसी विषय से जुड़े कुछ मिथकों पर चर्चा करते है.

 मिथक: शिशु के जन्म के तुरंत मां के स्तन से आने वाला पीले रंग का गढ़ा दूध विषाक्त होता है.

गलत. शिशु के जन्म के बाद निकलने वाले पीले दूध में सबसे ज्यादा पोषक तत्व होते है ज़ोकि बच्चे की इम्युनिटी को बढ़ने में मदद करती है.

मिथक : स्तनपान करने में दर्द होता है.

गलत. स्तनपान कराने में किसी प्रकार का दर्द या परेशानी नहीं होती है. यदि मां को स्तनपान करने में दर्द की शिकायत है तो इसका अर्थ यह हुआ कि मां बच्चे को ठीक से पकड नहीं पा रही है या दूध पिलाते समय मां गलत ढंग से शिशु को पकड़ रही है. यदि आपके साथ ऐसी ही तकलीफ हो तो अपने डॉक्टर से बात करें। आप लैकटेशन एक्सपर्ट की भी मदद ले सकती है.

मिथक : हर बार स्तनपान करने से पहले मां  को उन्हें गिले कपडे इ साफ़ करना होता है.

गलत. मां  के दूध में किसी प्रकार के संक्रमण की आशंका नहीं रहती है इसलिए उपरोक्त कहीं गयी बात गलत है. मगर हाँ, मान को हर बार दूध पिलाने से पहले अपने हाथो को साफ़ करना जरुरी है. 

मिथक : मां को हर बार शिशु को दोनों तरफ से दूध पिलाना चाहिए।

गलत. बड़े बुजुर्गों का यह मानना है कि  यदि मां  बच्चे को दोनों स्तनों से दूध पिलायें तो बच्चे का पेट ठीक से भरता है. जबकि वास्तविकता यह है की यदि बच्चा एक तरफ से 15 से 20 मिनट तक दूध पिता है तो उसे दूसरी तरफ से दूध पिने की कोई आवश्यकता ही नहीं पड़ती है. 

मिथक : अगर मां  को सर्दी जुकाम है तो उसे बच्चे को दूध नहीं पिलाना चाहिए। 

गलत. मां को यदि सर्दी है तब भी मां अपने बच्चे को दूध पिला सकती है. बस जब भी दूध पिलाये आचे से हाथ साफ़ कर ले. साथ ही सफाई के नियमों का पालन करना न भूले।

मिथक : हाथ से दबाकर यह देखा जा सकता है की मां को कितना दूध हो रहा है.

गलत. हाँ ये सही है की हाथ से दबाकर दूध देखने से इस बार की जानकारी तो मिलती है की मान को दूध हो रहा है या नहीं मगर इस बात की कोई जानकारी नहीं मिलती है की कितना दूध हो रहा है.

मिथक: फार्मूला दूध मां के दूध से ज्यादा पौष्टिक होता है.

गलत. मां  के दूध में अभी पोषक तत्व होते है जोकि किसी भी फार्मूला दूध से प्राप्त नहीं किये जा सकते है.

याद रहें की मां का दूध शिशु के सर्वोत्तम विकास के लिए जरुरी है. 

गुरुवार, 25 जुलाई 2013

सप्लीमेंट्स जो बनाएं लिवर को हैल्दी

हम में से बहुत ही कम लोग ऐसे होंगे जोकि अपने लिवर के स्वास्थ्य के बारें में सोचते होंगे। जबकि लिवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है. लिवर का काम कुछ-कुछ हमारी स्किन की तरह है. जिस तरह हमारी स्किन त्वचा की सतह के माध्यम (पसीना) से शरीर के गंदे पदार्थो को बाहर निकलती है ठीक उसी तरह हमारा लिवर भी शरीर से टोक्सिन या विषैले पदार्थो को बाहर करने का काम करता है. सरल शब्दों में कहें तो लिवर शरीर में खाने को पचाने में मदद करता है. कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है, खून से गंदगी को दूर करता है, आदि. यानी शरीर के सभी जरुरी कामों में लिवर हमेशा आगे रहता है. आप चाहे तो आप अपने लिवर को स्वस्थ बनाएं रखने के लिए डाइट्री सप्लीमेंट्स की मदद ले सकते है. आइये जानते है: 

मिल्क थिसल :

मिल्क थिसल लिवर के स्वास्थ्य को बनाये रखने में मदद करता है. बहुत से अध्ययन इस बात का प्रमाण देते है की मिल्क थिसल लिवर  के स्वास्थ्य को बेहतर करता है. मिल्क थिसल एक प्रकार का हर्ब है. आज कल के खान पान और बढ़ते एल्कोहल के सेवन का सबसे ज्यादा असर लिवर  पर पड़ता है. मिल्क थिसल एल्कोहल से होने वाले नुकसान  को दूर करने में मदद करता है. इसके अलावा यह ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करता है. मिल्क थिसल क्षतिग्रस्त लिवर को दुरुस्त करने के सहायक है. 


लिवर सप्पोर्ट फार्मूला :

यह लिवर को स्वस्थ बनाने में मदद करता है. इसमें मिल्क थिसल, गोल्डनसील, रेड क्लोवर जैसे हेर्ब्स मौजूद है जोकि लिवर को दुरुस्त करते है. इस सप्लीमेंट का सेवन करने से पहले डॉटर की सलाह अवश्य ले ले. 


लिवर  फार्मूला:

यह लिवर ले कार्य को ठीक से करने में सहायक है. आप जीएनसी के लिवर  फार्मूला का सेवन कर सकते है. मगर डॉक्टर की सलाह लेना न भूले। 

इन सबके अलावा भी बाजार में बहुत से डाइट्री सप्लीमेंट मौजूद है. यह सप्लीमेंट्स आपके लिवर के लिए जीवनदायनी साबित हो सकते है. 

गुरुवार, 18 जुलाई 2013

स्किन सेफ मानसून ट्रिप

सामान्य तौर पर हम सभी मानसून के मौसम में बाहर जाना पसंद नहीं करते है। हमें बारिश और उसे होने वाली स्किन परेशानियों से बचने का यहीं तरीका ठीक भी लगता है। पर बारिश के कारन बाहर न जाना किसी भी समस्या का कोई समाधान नहीं है। आइये हम सभी यह जानने का प्रयास करते है की कैसे हम अपने मानसून के ट्रिप को मजेदार और स्किन सेफ बना सकते है।

छतरी  और रेनकोट को बनाएं साथी  :

प्रदूषण के कारण अब बारिश का पानी साफ़ नहीं रह गया है। और ऐसे प्रदूषित पानी में भीगना आपकी स्किन और बाल दोनों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते है। इसलिए यदि आप मानसून में कहीं घूमने जा रहे है तो अपने साथ छतरी या रेनकोट को ले जाना न भूलें। यह आपको स्किन सम्बन्धी समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मदद करेगी।

एंटीसेप्टिक को रखें साथ:

जब भी बारिश के मौसन में घूमने जाएँ, अपने साथ एंटीसेप्टिक सलूशन और फंगल इन्फेक्शन के लिए मेडिसिन ले जाना न भूले। अक्सर बारिश के पानी में भीगने से स्किन संबधी समस्याएँ हो जाती है और इन समस्याओं का तुरंत उपचार जरुरी है। साथ ही यदि आप किसी कारण वश बारिश में भीग जाते है या फिर बारिश का लुत्फ़ उठाने के चक्कर में भीगते है तो तुरन साफ़ पानी में एंटीसेप्टिक दाल कर नहाना न भूले।

स्किन को रखे ड्राई :

अक्सर बारिश में उमस रहने के कारण पसीना बहुत आता है। पसीने से बचने के लिए हम बार-बार नहाते है। दिन में दो बार नहाना ठीक है मगर जहा तक संभव हो आप अपनी स्किन को ड्राई रखने का प्रयास करें। गीली स्किन में इन्फेक्शन हों की आशंकाएं अधिक रहती है।

सहीं कपड़ों का चुनाव :

ट्रेवल करते समय ऐसे कपडे पहने जोकि आरामदेह हो। साथ ही यदि आपके कपडे थोड़े बहुत नम हो तो तुरंत सूख भी जाएँ। एक बात का ध्यान दे कि गिले कपडे बिलकुल न पहने। यह स्किन रशेस या अन्य इन्फेक्शन को जन्म देते है।

हवादार सैंडल को अपनाएं: 

जब भी घूमने निकले हमेशा हवादार और आरामदायक सैंडल का चुनाव करें। इसे आपके पैरों को आराम मिलेगा और यदि आपके पैर भीगते है तो हवा में जल्दी सूखेंगे भी। अगर आप ऐसी जगह पर जा रहें है जहा पानी बहुत जयादा है तो गमबूट्स का प्रयोग करें। जयादा देर अपनी में रहने या भीगे रहने के कारण  फंगल इन्फेक्शन हो सकते है।

वेट टिसू का करें प्रयोग: 

ट्रेवल करते समय अपनी स्किन की चिपचिपाहट दूर अकरने के लिए वेट टिसू  का प्रयोग करें साथ ही हर बार नहाने के बाद एंटीसेप्टिक पाउडर का भी प्रयोग करें।

अन्य बातें:

  • अपने बालों को नियमित रूप से शैम्पू से धोएं। 
  • जहा तक संभव हो ट्रेवल के दौरान अपनी स्किन पर मेकअप न करें। यदि जरुरी हो तो वाटर प्रूफ मेकअप को ही अपनाएं। 
  • पैरों की सफाई पर विशेष ध्यान दे। 
  • अपनी स्किन को बारिश के पानी के अलावा धूप  स बचने के लिए सनस्क्रीन का भी प्रयोग करना न भूले। 
हमें उम्मीद है की आप बारिश के इस मौसम में भी अपनी स्किन को सुरक्षित करने में सफल रहेंगे। 



गुरुवार, 11 जुलाई 2013

खेलना भी है जरुरी

कहते है कि  " पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे- कूदोगे तो बनोगे ख़राब". यह सही है की पढने-लिखने से आपका ज्ञान वर्धन होता है मगर खेलने से कोई खराब नहीं बनता है। खेलना सभी के लिए जरुरी है। आइयें आज हम यह जानते है की खेलना बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए कितना महत्वपूर्ण है।

जिस तरह से बच्चे के विकास के लिए पौष्टिक भोजन का जितना महत्त्व है उतना ही महत्वपूर्ण उसका खेलना भी है। खेलने से न सिर्फ आपके बच्चे का मनोरंजन होता है बल्कि इससे उसे अन्य  महत्वपूर्ण लाभ भी मिलते है।

क्यों  है जरुरी :

  • सबसे पहले यह  आपके बच्चे को ख़ुशी देता है औरउमे जोश का नया संचार करती है। आप कह सकते है की खेलने से आपके बच्चे की कार्यक्षमता बढती है। 
  • खेलने से बच्चे के आत्मविश्वास भी बढ़ता है। बच्चे खेलते समय अपने निर्णय खुद लेते है जिसकी वजह से उसके निर्णय लेने के गुण का भी विकास होता है और साथ ही उसके आत्मविश्वास में भी बढ़ावा होता है। 
  • जब आपका बच्चा किसी टीम का सदस्य बनकर खेलता है तो उसके भीतर दूसरों के साथ तारतम्य बना कर खेलने के गुण का निर्माण होता है। 
  • साथ ही खेल के नियम का पालन करते हुए आपका बच्चा नियमों का महत्त्व और उनका पालन करने की कला को भी सीखता है।
  • इन सबके अलावा आपका बच्चा प्रतिस्पर्धा या कहें स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के महत्त्व को भी पहचान पाता है।
अन्य  लाभ :
  • खेलने से आपका बच्चा शारीरिक रूप से एक्टिव होता है जिस कारण  वह फिजिकली फिट रहता है। 
  • इससे उसके स्टैमिना भी बढ़ता है। 
  • मानसिक रूप से भी आपका बच्चा फिट रहता है। 
  • इसके अलावा खेल आपके बच्चे में कलात्मकता का भी विकास करता है। 
  • उसे सामाजिक बने में मदद करता है। और यह गुण उसे जीवन भर आगे बढ़ने में मदद करता है। 
  • खेलने से तनाव कम होता है और बच्चा मानसिक रूप से फ्रेश हो जाता है जोकि उसकी पढाई में उसकी मदद करता है। 
खेलना केवल मनोरंजन या समय बर्बाद करने का एक जरिया नहीं है। खेलना जरुरी है क्योंकि यह आपके बच्चे के सम्पूर्ण विकास में उसकी मदद करता है। इसलिए अगली बार यदि आपका बच्चा बाहर जाकर खेलने की जिद्द करें तोह उसे डांटे नहीं बल्कि उसे खेलने दे। मगर हाँ, खेलने का समय निर्धारित करना न भूले। 

गुरुवार, 4 जुलाई 2013

समझें ट्रांसफैट्स के खतरे को

जब भी फैट्स की बात आती है तो ट्रांसफैट्स की चर्चा अवश्य होती है। हम सभी ने कहीं न कहीं ये अवश्य पढ़ा है कि  ट्रांसफैट्स का सेवन करने से दिल की बहुत सी परेशानियां जन्म ले सकती है। मगर यह ट्रांसफैट्स है क्या और यह कैसे हमारे दिल को कमजोर कर सकती है, आइयें इसे जानते है : 

क्या है ट्रांसफैट्स:

जब वेजिटेबल आयल में हाइड्रोजन को मिलाया जाता है तब हाइड्रोजन आयल का निर्माण होता है यहीं आयल ट्रांसफैट्स है। ऐसा करने से आयल सॉलिड हो जाते है। जिस कारण इस आयल से बने खाद्य पदार्थ का निर्माण करने में इसकी कम मात्रा लगती है। साथ ही, इससे बने उत्पाद ताजा, ज्यादा क्रिस्पी और लम्बे समय तक ख़राब नहीं होते है। 
इसे पारशिअल हाइड्रोजनेटेड ऑयल्स भी कहा जाता है। अगर आप ध्यान से किसी पैक्ड प्रोडक्ट में प्रयोग की गयी सामग्री को पढ़े तो आप उसमें पारशिअल हाइड्रोजनेटेड ऑयल्स को लिखा देख सकते है। यह पारशिअल हाइड्रोजनेटेड ऑयल्स ही ट्रांस फैट्स है। 

क्या है खतरा: 

ट्रांसफैट्स का सेवन करने से शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम हो जाता है और ख़राब कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है। जिसके परिणामस्वरुप हृदय सम्बन्धी समस्याओं का जन्म होने लगता है। इसके अलावा टाइप 2 की डायबिटीज के होने की भी आशंकाएं बढ़ने लगती है। 

किन खाद्य पदार्थों में होता है ट्रांसफैट्स:

बाजार में मिलने पीला डिब्बा बंद या पैक्ड खाद्य पदार्थों में ट्रांसफैट्स होता है। जैसे - चिप्स, बेक्ड प्रोडक्ट्स, बिस्कुट्स, डोनट, क्रैकर्स आदि। मीट  और डेरी उत्पादों में भी थोड़ी थोड़ी मात्रा में ट्रांसफैट्स होता है। जोकि प्राकृतिक है। 

कैसे बचे इससे : 

हमेशा फ़ूड लेबल को पढ़ें। यदि प्रोडक्ट की सामग्री में पारशिअल हाइड्रोजनेटेड वेजिटेबल ऑयल्स लिखा है तो इसका अर्थ हुआ की उसमे ट्रांसफैट्स का प्रयोग किया गया है। और यदि लेबल पर हाइड्रोजनेटेड वेजिटेबल ऑयल्स लिखा है तो इसका अर्थ है की प्रोडक्ट के निर्माण में प्रयोग किये गए आयल में थोड़ी मात्रा में ट्रांसफैट्स है। इसलिए फ़ूड लेबल पढ़े ताकि आप इसका सेवन करने से बच सकें। 

इसके अलावा यदि आप किसी रेस्तरा में पिज़्ज़ा खाने जा रहे है तोह यह अवश्य पूछे की वे किस आयल का प्रयोग करेंगे।

महत्वपूर्ण बात : 

आप अपने भोजन में बिना फैट्स के नहीं जी सकते है। मगर आप ट्रांसफैट्स की जगह पर मोनोसैचुरेटेड फैट या फिर सैचुरेटेड फैट का प्रयोग कर सकते है। सैचुरेटेड फैट जैसे कोकोनट आयल या फिर पाम आयल सेवन कुछ मात्रा में कर सकते है। 

अगर आप स्वास्थ्यकारी फैट का सेवन करना चाहते है तो मोनोसैचुरेटेड फैट का सेवन करें। ओलिव आयल, पीनट आयल इस श्रेणी में आते है। यह दिल को स्वस्थ बनाते है। इनके अलावा आप इसे बादाम या मचली आदि से भी प्राप्त कर सकते है। 

गुरुवार, 20 जून 2013

मानसून वर्कआउट

बाहर बारिश हो रही है और अब आप सोच रहे है की इतनी बारिश में आप बाहर जाकर जॉगिंग या जिम जाकर क्या करेंगे? और यहीं सोच कर आप सॉ जाते है और उसके बाद चाय और पकौड़ों के स्वाद का आनंद उठाते उठाते पूरा दिन बिता देते है।  यदि आपको लगता है कि बारिश के मौसम में इसके आलावा कुछ और नहीं कर सकते है तोह एक बार फिर से सोचे. आइये हम आपकी इसमें मदद करते है। 

बाहर बारिश हो रही है तो आप ज़ाहिर तौर पर बाहर नहीं जा सकते है मगर आप घर पर रह कर भी अपना वर्कआउट कर सकते है। आइयें जानते है कैसे :

फर्श की सफाई :

मानसून के मौसम में फ्लोर गिला और फिसलन भरा हो जाता है। इसलिए, अपना पजामा पहने और फर्श की सफाई के लिए अपनी कमर कस ले। आप चाहे तो आप वाइपर की मदद से फ्लोर की सफाई कर सकते है मगर यदि आप ज्यादा कैलोरी बर्न करना चाहते है तो अपने हाथों की मदद से इसे साफ़ करें इससे आपका फ्लोर भी चमकेगा और आपकी फिटनेस भी। 

डिक्लटर करें :

अक्सर टाइम की कमी के कारन हम चीज़ों को व्यवस्थित नहीं रख पाते है. ऐसे में आप मानसून के टाइम का फायदा उठायें और अपनी चीजों जैसे की अलमारी किचन आदि को व्यवस्थित कर सकते है। चीजों को व्यवस्थित करने में आपकी एनर्जी लगेगी जोकि आअप्को वर्कआउट जीसी फीलिंग देगी। 

बागवानी करें :

अपने घर के भीतर बने बाग़ या चंद पौधों को ही सही समय दे. उनकी गुडाई करें और उस एरिया को साफ़ करें। 

डांस करे :

आप अपने बच्चो के साथ या फिर अकेले इसे कर सकते है. बस आपको करना यह है की म्यूजिक ओन करना है और तेजी से उस पर थिरकना है. इससे वर्कआउट भी होगा और आनंद भी मिलेगा. 

टीवी शो देखे :

यदि आप सोच रहे है की आप एक्सरसाइज कैसे करें तो परेशान न हो. किसी भी अच्छे फिटनेस शो की डीवीडी को प्ले करे और उसके साथ साथ एक्सरसाइज करें। इससे आपको दो लाभ होङ्गेन. एक आप गलत एक्सरसाइज नहीं करेंगे और आपकी कैलोरीज भी बर्न होगी।

घर पर रखे सामान :

यदि आपके घर पर ट्रेडमिल या एनी कोई एक्सरसाइज उपकरण  है तो उस पर एक्सरसाइज करें और अपने वर्कआउट के नियम को बरकरार रखे। 

खेले :

यदि आपके घर पर बच्चे है तो बारिश का दिन उनके नाम कर दे। बच्चों का एनर्जी का लेवल बहुत हाई होता है इसलिए उनके साथ खूब खेले. यदि अप उनके साथ रस्सी कूदना या फिर बास्केट बल खेलने जैसा खेल खेलते है तो आप अपनी बहुत कैलोरीज बर्न कर रहे है। 

तो फिर यह तय रहा की मौसम चाहे कुछ भी क्यूँ न हो आप अपने वर्कआउट से बच कर भागने का प्रयास नहीं करेंगे। हमें उम्मीद है की आप इन् सभी ट्रिक्स को अपना कर फिट रहने में सफल रहेंगे ।

बुधवार, 12 जून 2013

कैसे बचें प्रिकली हीट से

मानसून आने वाला है और धीरे धीरे इसकी शुरुआत भी हो गयी है। गर्मी से मानसून के बदलते इस मौसम में अब तापमान में तो कमी है मगर उमस बहुत बढ़ गयी है। उमस यानि बहुत पसीना और चिपचिपा मौसम का होना। और इसी पसीने के जमाव के साथ शुरू होती है प्रिकली हीट यानि घुमौरी होने की समस्या। आइये जानते हसी की आप कैसे इनसे बच सकते है।

मानव शरीर से निकलने वाले पसीने में नमक की मात्रा होती है। इसी कारण जब इस पसीने का जमाव शरीर के किसी हिस्से पर होता है तब वह की स्किन प्रभावित हो जाती है। और स्किन पर लाल दाने हो जाते है। इन दानो में जलन और खुजली होती है और यह बहुत ही कष्टदायक होते है। 

 क्या करें :
  • बहुत अधिक गर्मी में बाहर न जाएँ। आपको अपनी स्किन को जितना संभव हो पसीने के जमाव से बचाना है। 
  • ऐसे कपड़ों का चनाव करें जोकि स्किन को आराम पहुचाएं। जैसे सूती कपडे। 
  • बहुत टाइट कपडे न पहने। 
  • दिन दो या उससे अधिक बार नहायें। मगर हर बार साबुन का प्रयोग न करें यह स्किन पर कठोर साबित हो सकते है।
  • छतरी का प्रयोग करें। सन स्क्रीन का प्रयोग करें।
  • खूब पानी पियें और अपने शरीर में पानी की कमी होने से बचें। 
  • आप प्रिकली हीट पाउडर का भी प्रयोग कर सकते है। यह बहुत प्रभावी होते है मगर ध्यान रहें की इसका अत्यधिक प्रयोग न करें। 


घरेलु नुस्खे :
  • मुल्तानी मिटटी का लेप प्रभावित हिस्से पर लगायें। 
  • दिन में तीन से चार बार बर्फ को रगड़ें। या फिर ठन्डे पानी में कपडे को गिला कर प्रभावित स्किन पर रखे ताकि स्किन को ठंडक मिल सकें। 
  •  चन्दन का पेस्ट लगायें।
  • कई लोगो को इस समस्या में एलो वेरा का रस लगाने से भी आराम मिलता है. मगर इसका प्रयोग करने से पहले एक बार स्किन टेस्ट अवश्य कर ले.
  • नीम की पत्तियों के पेस्ट को प्रभावित स्किन पर लगायें।

सोमवार, 3 जून 2013

हीट स्ट्रोक : क्या खाएं

गर्मियां अपने शुमार पर है। ऐसे में दिन के समय बाहर निकलने की हिम्मत करना सबके बस की बात नहीं है। पर कई बार जरुरत पड़ने पर घर से बाहर निकल का दिन की तेज़ धुप से दो-दो हाथ करने ही पड़ते है। तेज़ धूप  न सिर्फ आपकी स्किन को बल्कि आपके शरीर को भीतर से भी नुकसान पंहुचा सकती है। आज हम गर्मियों के मौसम में होने वाली आम समस्या हीट स्ट्रोक से बचने के लिए क्या खाएं इस पर चर्चा करेंगे।

हम सभी जानते है की हमारे शरीर से निकलने वाला पसीना हमारे शरीर के तापमान को कण्ट्रोल करने में हमारी मदद करता है। मगर जब हमारा शरीर ऐसा करने में असफल हो जाता है तब हीट स्ट्रोक यानी लू लगने की समस्या जन्म लेती है। आइये जानते है की कैसे आप इससे बच सकते है।

  • तरल पदार्थो का सेवन खूब करें। मगर कैफीन युक्त पेय पदार्थों के सेवन से बचे। इनका सेवन करने यूरिन तो बार-बार पास होगा मगर शरीर से पसीना कम आएगा। जबकि अन्य  तरल पदार्थ जैसे पानी, निम्बू पानी यह आपके शरीर को भीतर से साफ़ करते है और गर्मी और धूप  से पहुचे नुकसान को भी दूर करते है। 
  • हाई प्रोटीन युक्त भोजन का सेवन करें। और जो लोग यह मानते है की गर्मी में अंडा या मांस खाने से गर्मी होती है वे गलत सोचते है। इसलिए हाई प्रोटीन युक्त भोजन का सेवन करें। यह आपके शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है।
  • अपने भोजन में प्याज को शामिल करें। प्याज में तंडक देने का गुण होता है। इसलिए प्याज का सेवन करें और अपने शरीर को ठंडक दे। 
  • इन सबके अलावा उन् फलों का सेवन करें जिनमे पानी की मात्र अधिक हो। जैसे- तरबूज, खरबूज, निम्बू, नारियल पानी, अंगूर, आम, आमला, पुदीना आदि. यह शरीर को भीतर से ठंडक देने में आपकी मदद करेंगे। 
जरुरी बात :
  • धूप में कम से कम निकले और जितना संभव हो अपने शरीर में पानी मी मात्रा को संतुलित रखें। 



बुधवार, 29 मई 2013

खतरनाक है पैसिव स्मोकिंग

सिगरेट जितना उसे पीने वाले को नुकसान पहुचाती है उतना ही उस सिगरेट के धुएं को साँस के जरिये अपने शरीर के भीतर ले जाने वाले को। इसलिए यदि आप सिगरेट नहीं भी पीते है मगर आपके करीबी इससे पीते  है तो आप  स्वस्थ नहीं रह सकते। आइये जानते है कैसे :

क्या है पैसिव स्मोकिंग:

जब आप स्वयं सिगरेट, सिगार या अन्य नहीं पीते है मगर नियमित रूप से उसके धुएं के सम्पर्क में रहते है तो इसका अर्थ हुआ की आप पैसिव स्मोकिंग कर रहे है। इसे सेकंड हैण्ड स्मोक भी कहा जाता है और यह उतना ही खतरनाक होता है जितना सिगरेट पीना। 

क्यों है खतरनाक :

यदि आप सिगरेट नहीं भी पीते है मगर नियमित रूप से इसके धुएं  के संपर्क में रहते है तो आपके शरीर में भी निकोटिन और अन्य  विषैले पदार्थ चले जाते है। जोकि आपके शरीर को उतना ही गंभीर रूप से नुकसान  पहुचाते है जितना की एक सिगरेट पीने वाले को। पैसिव स्मोकिंग के कारण आप बहुत सी स्वस्थ्य समस्याओं का शिकार हो सकते है, जैसे - 
  • लंग कैंसर 
  • ह्रदय रोग 
  • अस्थमा 
  • निमोनिया 
  • आँख और नाक सम्बन्धी 
किसके लिए है बचाव जरुरी:

वैसे तो हम सभी को सिगरेट आदि से बाख के रहना चाहिए मगर गर्भवती महिलाओं और बच्चो को इससे बचा बेहद जरुरी है। गर्भवती महिला जो लगातार सिगरेट आदि के धुएं के संपर्क में रहती है उसे बहुत सी अम्सस्याओं को सामना करना पद सकता है। कई बार पैसिव स्मोकिंग  गर्भपात या जन्म के समय शिशु का वजन कम होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। 
इसके आलावा छोटे बच्चों को लगातार इसके संपर्क में रहने पर लंग, नाक, गले और ह्रदय सम्बन्धी समस्याओं का सामना कम उम्र में ही करना पड़ सकता है। साथ ही सिगरेट आदि बचे के मानसिक और भावनात्मक विआस को भी बाधित करता है। 

कैसे करें बचाव :

आप पैसिव स्मोकिंग से बचने के लिए प्रयास कर सकते है जैसे - 
  • सबसे पहले अपने घर के भीतर सिगरेट पीने की अनुमति न दे। यदि किसी को सिगरेट पीनी ही हो तो घर से बाहर या छत पर इसका सेवन करें। 
  • घर के बाहर यदि कोई आपके सामने सिगरेट पीयें तो उसे ऐसा करने से मना करें।
  • अपने बच्चों को जहाँ तक संभव हो इसके सम्पर्क में आने से बचाएं।
यदि आप चाहते है की आपके बच्चे पैसिव स्मोकिंग से बचे तो इसकी शुरुआ अपने घर से करें। यदि आपका कोई करीबी इसका सेवा करता है तो उसे छोड़ने के लिए प्रेरित करें ताकि आने वाला भविष्य स्वाच और साफ़ बन सकें। 

बुधवार, 22 मई 2013

स्किन टैनिंग को कहें चल हट

गर्मी का मौसम में जहाँ एक तरफ बहुत सारे कपडे लादने से आज़ादी मिल जाती है। वहीँ दूसरी तरफ, स्किन टैनिंग की समस्या भी बढ़ने लगती है। धूप की तीक्ष्णता स्किन को जला कर उसे काला कर देती है। और यहीं गहरे रंग की स्किन को हम स्किन की टैनिंग या स्किन का झुलसना कहते है। यदि आप घर बैठे बैठे स्किन पर बने इस कालेपन के पैच से बचना चाहती है तो इस लेख को पढ़ें।

  • एक आलू ले। उसे छील कर बीच से काट ले। अब इस आलू के स्लाइस को अपनी स्किन पर रगड़े। थोड़ी देर रगड़ने के बाद 5 मिनट तक रखे और उसके बाद पानी से धो ले। 
  • आलू की ही तरह आप खीरे को काट कर स्किन पर राग्देंगे तो स्किन साफ़ होगी और झुलसने के कारण होने वाली जलन भी दूर होगी। 
  • ठन्डे दही में थोडा सा हल्दी डालकर इसे स्किन पर लगाये और 10 मिनट में ठन्डे पानी से धो ले. 
  • निम्बू और शहद का मिश्रण भी स्किन टैनिंग को दूर करने में काफी प्रभाव शाली है. 
  • दाब पानी यानी नारियल का पानी न सिर्फ स्किन के दाग धब्बे दूर करता है बल्कि यह स्किन टैनिंग में भी असरदार है।
  • बेसन और दही को मिला ले। आप चाहे तो आप दही की जगह पर ठंडा दूध भी ले सकते है। इस मिश्रण को कम से कम 10 से 15 मिनट तक लगे रहने दे और फिर ठन्डे पानी से धो ले।
  • टमाटर भी स्किन टैनिंग को दूर करने में प्रयोग में लाया जा सकता है. टमाटर को बीच में से काट कर स्किन पर रगड़े और 5 मिनट बाद इससे गुनगुने पानी से धो ले. बाद में लेक्टोकैलामिन या अन्य कोई क्रीम अवश्य लगा ले। 
  • यदि आपकी स्किन को एलो वीरा के प्रयोग से कोई परेशानी नहीं है तो आप ताज़ा एलो वीरा को काट कर इसके रस को स्किन पर 10 मिनट के लिए लगा ले और फिर इसे ठन्डे पानी से धो ले।
यदि स्किन झुलसने के कारण जलन हो रही हो तो चन्दन या मुल्तानी मिटटी का पैक लगाये। इससे स्किन को ठंडक मिलेगी।

इन सब बातों के अलावा, घर से निकलने से 20 मिनट पहले सनस्क्रीन अवश्य लगाये। साथ ही अपनी स्किन को धूप के सीधे संपर्क में आने से बचाएं। छतरी का प्रयोग करें और अपनी स्किन को धूप से होने वाले नुकसान से बचाएं। 


सोमवार, 13 मई 2013

बढ़ती उम्र में बचें डिहाइड्रेशन से

उम्र बढ़ने के साथ बहुत से बदलाव आते है। इन्हीं बदलावों में से एक बदलाव पानी कम पीना भी है जिस कारण अक्सर बुज़ुर्ग डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाते है। आइये आज हम डिहाइड्रेशन से बुज़ुर्ग कैसे बचे इस पर चर्चा करते है।

क्यूँ होता है बढ़ती उम्र में डिहाइड्रेशन :

डिहाइड्रेशन तब होती है जब आपके शरीर से पानी का स्तर कम हो जाएँ। यह स्तिथि तभी पैदा होती है जब शरीर से पानी ज्यादा मात्रा में बाहर आये और पानी कम मात्रा में पिया जाएँ। इस समस्या से बचने का एक ही उपाय है जितना संभव हो सके पानी या तरल पदार्थ का सेवन करते रहें।

  • बढती उम्र में शारीरिक गतिविधिया कम हो जाती है इसलिए पानी की प्यास भी कम लगती है।
  • साथ ही सदा भोजन का सेवन करने के कारण भी पानी कम पिया जाता है। 
  • इन सबके अलावा एक अन्य कारण यूरिन कण्ट्रोल न कर पाना भी होता है। अक्सर बढती उम्र में यूरिन को ज्यादा देर तक कण्ट्रोल नहीं किया जा सकता है। और इसी लीकेज के दर से बुजुर्ग कम पानी पीते है जिसके परिणामस्वरूप वे आसानी से डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाते है।
  • कई बार कम पानी पीने का कारण आलस भी होता है। जाकर पानी पीने के अलास के कारण भी इस समस्या का जन्म होता है। 

क्या करें :

  • सबसे पहले पानी को पास रखे। अपने प्रिय माता -पिता के पास ऐसी वाटर बोतल रखे जिसके कारन वे पानी पिने का आलस न करें। 
  • पानी के आलावा एनी विकल्पों का चुनाव करें। पानी के अलावा जूस, या सामान्य निम्बू पानी जैसे विकल्प भी रखे ताकि तरल पदार्थों का सेवन करने के साथ साथ वे स्वाद भी पा सकें। 
  • फल जैसे सेब, केला, तरबूज आदि दे। जिसमे पानी की मात्र अधिक होती है. 
  • यदि रात के समय बार बार यूरिन त्यागने के डर से पानी कम पी रहें है तो दिन के समय ज्यादा पानी या तरल पदार्थ का सेवन न करें और रात के समय कम।
  • एक साथ ढेर सारा पानी न पियें बल्कि थोडा थोडा पियें। 
  • गर्मी से बचे।

मंगलवार, 7 मई 2013

मदर्स डे : गिफ्ट करें बेहतर स्वास्थ्य

मदर्स डे, साल का वो दिन जो की हर माँ के लिए स्पेशल है। इस स्पेशल दिन को और स्पेशल बनाये और अपनी माँ को कुछ ऐसा गिफ्ट दे जोकि उन्हें और स्वस्थ बनाने में मदद करें। इसका यह मतलब नहीं की आप अपनी माँ के लिए कोई ट्रेड मिल या फिर कोई और फिटनेस सम्बन्धी उपकरण ख़रीदे। बल्कि आप कुछ ऐसा कर सकते है जोकी उन्हें अन्दर से ख़ुशी देगा और वे स्वस्थ महसूस करेंगी। आइये जानते है कैसे :

अपना समय दे :

आप हर बार समय का अभाव की बात कह अपने परिवार को टाइम नही देते है। मगर इस मदर्स डे अपनी माँ को अपना टाइम गिफ्ट करें। अगर संभव हो तो एक-दो दिन की छुट्टी ले कर अपने परिवार से साथ कहीं बाहर घूमने जाएँ। इससे आपकी माँ और आपके परिवार को एक साथ होने के अहसास होगा और आपकी माँ ख़ुशी महसूस करेंगी। जोकि उनके स्ट्रेस को कम करने में मदद करेगी।

मेडिकल हेल्थ चेकअप प्लान :

अक्सर हम सभी की माताएं अपने स्वास्थ्य के प्रति बहुत लापरवाह होती है। इस मदर्स डे आप अपनी माँ को एक हेल्थ चेकअप प्लान गिफ्ट करें। उनके साथ अस्पताल जाएँ और उनके हेल्थ चेकअप में उनके साथ रहें। यह हेल्थ चेकअप आपकी माँ को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाने के मदद करेंगे।

किचन से दे छुट्टी: 

आप चाहे तो मदर्स डे के दिन अपनी माँ को किचन से छुट्टी देकर उनके लिए कुछ ख़ास बनाए। इससे आपकी माँ को भी आराम मिलेगा और वो रिलैक्स फील कर पाएंगी। आप चाहे तो आप इस मदर्स डे से सप्ताह के एक दिन अपनी माँ को आराम दे सकते है। आपका यह गिफ्ट आपकी माँ को ख़ुशी और शरीर को आराम देगा।

स्पा गिफ्ट :

अपनी माँ को किसी अच्छे स्पा का गिफ्ट दे। स्पा के मसाज और अरोमा न सिर्फ उनकी बाहरी सुन्दरता को बढ़ाएगा बल्कि यह उन्हें भीतर से भी शांत करेगा। पार्लर या स्पा में बिताया दिन आपकी माँ को स्पेशल होने का अहसास देगा।

गिफ्ट करें उनकी ख़ुशी:

हर एक व्यक्ति की अपनी पसंद होती है। इस मदर्स डे अपनी माँ को वो गिफ्ट करें जो उन्हें पसंद है। यानि यदि आपकी माँ को पूजा करने का शौक है तो उन्हें पूजा पाठ से सम्बन्धी कोई गिफ्ट दे। और यदि आपकी माँ को किचन में काम करना पसंद है तो आप उन्हें कोई किचन का उपकरण दे सकते है। जब आप भीतर से खुश होते है तो आपनी आधी बीमारी तो वैसे ही दूर हो जाती है। इसलिए कुछ ऐसा करें जो उन्हें दिल से खुश कर जाएँ।

हम सभी की माँ स्पेशल है बस हमें इसे किसी विशेष दिन से नहीं बल्कि हमेशा याद रखना चाहिए।

सोमवार, 29 अप्रैल 2013

कैसे पाएं बढ़ती उम्र में भी हैल्दी स्किन

क्या आपको लगता है की बढती उम्र में अब आपको अपनी स्किन की केयर करने की कोई जरुरत नहीं है। क्यूंकि आप चाहे कितनी भी कोशिश क्यूँ न कर ले आप अपने आपको पहले जैसा नहीं बना सकती है।  यह सच है . मगर इसका यह अर्थ नहीं है की आप अपनी स्किन की केयर करना भूल जाएँ। आज हम कुछ ऐसी बेसिक बातों पर नज़र डालेंगे जोकि बढ़ती  उम्र में भी आपकी स्किन को हैल्दी और दमकती हुई बनाने में आपकी मदद करेगी। 

तेज़ धूप से बचें :

हम सभी जानते है की तेज़ धूप स्किन को कितना नुकसान  पहुंचती है। ऐसे में जब आपकी उम्र बढ़ रही है तो धूप  से स्किन का बचाव करना और भी जरुरी हो जाता है। 

क्या करें -
  • सनस्क्रीन का प्रयोग करें। 
  • दिन के समय बाहर जाने से बचे।
  • पूरी बाह वाले कपडे पहने। 
  • सन ग्लास्सिस का प्रयोग करे। 
अपनी स्किन को पैम्पर करें :

उम्र के बढ़ने के साथ साथ आपकी स्किन बहुत डिमांडिंग हो जाती है। इसलिए स्किन को आप जितना संभव हो सके पैम्पर करें। 

क्या करें -
  • स्किन को बहुत तेज़ या जोर से न रगड़े। 
  • बहुत देर तक न नहाए। इससे स्किन की नमी खो सकती है। 
  • हार्ड साबुन या बॉडी वाश और शैम्पू का प्रयोग न करें।
  • स्किन को मौशचराइज करना न भूले। 
हैल्दी खाना खाए :

स्किन की खूबसूरती केवल बाहरी नहीं होती है. आपकी बॉडी भीतर से जितनी हैल्दी होगी आपकी स्किन उतनी ही बाहर से। इसलिए पौष्टिक भोजन खाएं। 

क्या करे - 
  • कम मसालेदार और सदा खाना खाए। 
  • आप बाहर कस खाना भी खा सकते है बस केवल ऐसे विकल्पों का चुनाव करे जोकि हैल्दी हो। 
  • खूब पानी पिए या जितना संभव हो तरल पदार्थो का सेवन करें। 
तनाव और अन्य  स्वास्थ्य समस्याओं पर पायें नियंत्रण : 

अपने पर तनाव को हावी न होने दे. इसके लिए आप योग की मदद ले सकते है। साथ ही यदि आप किसी स्वास्थ्य समस्या के शिकार है तो उसका पूरा इलाज कराये और डॉक्टर द्वारा दी गयी दवाइयों का सही समय पर सेवन करें। 

क्या करें -
  • योग या फिर जिस चीज़ में भी आपकी रूचि है उसे जीने का प्रयास करें। 
  • खुश रहें। आप भीतर की शुशी आपकी स्किन पर साफ़ देखि जा सकती है। 
  • अपनी स्वास्थ्य समस्याओं को हलके में न ले और उनका पूरा इलाज कराएँ।