बुधवार, 31 जुलाई 2013

स्तनपान सम्बन्धी मिथक

किसी भी नवजात शिशु के लिए उसकी मां के दूध से बेहतर कोई भी भोजन नहीं होता है. मां  के दूध में वो सभी पोषक तत्व होते है जोकि शिशु के विकास के लिए जरुरी है. यहीं कारण  है कि डॉक्टर्स भी शिशु के जन्म के बाद 6 महीने तक केवल मां  का दूध देने की सलाह देते है. स्तनपान का विषय जितना महत्वपूर्ण है उतने ही इस विषय से जुड़े मिथक भी हैं. आइए, आज हम इसी विषय से जुड़े कुछ मिथकों पर चर्चा करते है.

 मिथक: शिशु के जन्म के तुरंत मां के स्तन से आने वाला पीले रंग का गढ़ा दूध विषाक्त होता है.

गलत. शिशु के जन्म के बाद निकलने वाले पीले दूध में सबसे ज्यादा पोषक तत्व होते है ज़ोकि बच्चे की इम्युनिटी को बढ़ने में मदद करती है.

मिथक : स्तनपान करने में दर्द होता है.

गलत. स्तनपान कराने में किसी प्रकार का दर्द या परेशानी नहीं होती है. यदि मां को स्तनपान करने में दर्द की शिकायत है तो इसका अर्थ यह हुआ कि मां बच्चे को ठीक से पकड नहीं पा रही है या दूध पिलाते समय मां गलत ढंग से शिशु को पकड़ रही है. यदि आपके साथ ऐसी ही तकलीफ हो तो अपने डॉक्टर से बात करें। आप लैकटेशन एक्सपर्ट की भी मदद ले सकती है.

मिथक : हर बार स्तनपान करने से पहले मां  को उन्हें गिले कपडे इ साफ़ करना होता है.

गलत. मां  के दूध में किसी प्रकार के संक्रमण की आशंका नहीं रहती है इसलिए उपरोक्त कहीं गयी बात गलत है. मगर हाँ, मान को हर बार दूध पिलाने से पहले अपने हाथो को साफ़ करना जरुरी है. 

मिथक : मां को हर बार शिशु को दोनों तरफ से दूध पिलाना चाहिए।

गलत. बड़े बुजुर्गों का यह मानना है कि  यदि मां  बच्चे को दोनों स्तनों से दूध पिलायें तो बच्चे का पेट ठीक से भरता है. जबकि वास्तविकता यह है की यदि बच्चा एक तरफ से 15 से 20 मिनट तक दूध पिता है तो उसे दूसरी तरफ से दूध पिने की कोई आवश्यकता ही नहीं पड़ती है. 

मिथक : अगर मां  को सर्दी जुकाम है तो उसे बच्चे को दूध नहीं पिलाना चाहिए। 

गलत. मां को यदि सर्दी है तब भी मां अपने बच्चे को दूध पिला सकती है. बस जब भी दूध पिलाये आचे से हाथ साफ़ कर ले. साथ ही सफाई के नियमों का पालन करना न भूले।

मिथक : हाथ से दबाकर यह देखा जा सकता है की मां को कितना दूध हो रहा है.

गलत. हाँ ये सही है की हाथ से दबाकर दूध देखने से इस बार की जानकारी तो मिलती है की मान को दूध हो रहा है या नहीं मगर इस बात की कोई जानकारी नहीं मिलती है की कितना दूध हो रहा है.

मिथक: फार्मूला दूध मां के दूध से ज्यादा पौष्टिक होता है.

गलत. मां  के दूध में अभी पोषक तत्व होते है जोकि किसी भी फार्मूला दूध से प्राप्त नहीं किये जा सकते है.

याद रहें की मां का दूध शिशु के सर्वोत्तम विकास के लिए जरुरी है. 

गुरुवार, 25 जुलाई 2013

सप्लीमेंट्स जो बनाएं लिवर को हैल्दी

हम में से बहुत ही कम लोग ऐसे होंगे जोकि अपने लिवर के स्वास्थ्य के बारें में सोचते होंगे। जबकि लिवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है. लिवर का काम कुछ-कुछ हमारी स्किन की तरह है. जिस तरह हमारी स्किन त्वचा की सतह के माध्यम (पसीना) से शरीर के गंदे पदार्थो को बाहर निकलती है ठीक उसी तरह हमारा लिवर भी शरीर से टोक्सिन या विषैले पदार्थो को बाहर करने का काम करता है. सरल शब्दों में कहें तो लिवर शरीर में खाने को पचाने में मदद करता है. कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है, खून से गंदगी को दूर करता है, आदि. यानी शरीर के सभी जरुरी कामों में लिवर हमेशा आगे रहता है. आप चाहे तो आप अपने लिवर को स्वस्थ बनाएं रखने के लिए डाइट्री सप्लीमेंट्स की मदद ले सकते है. आइये जानते है: 

मिल्क थिसल :

मिल्क थिसल लिवर के स्वास्थ्य को बनाये रखने में मदद करता है. बहुत से अध्ययन इस बात का प्रमाण देते है की मिल्क थिसल लिवर  के स्वास्थ्य को बेहतर करता है. मिल्क थिसल एक प्रकार का हर्ब है. आज कल के खान पान और बढ़ते एल्कोहल के सेवन का सबसे ज्यादा असर लिवर  पर पड़ता है. मिल्क थिसल एल्कोहल से होने वाले नुकसान  को दूर करने में मदद करता है. इसके अलावा यह ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करता है. मिल्क थिसल क्षतिग्रस्त लिवर को दुरुस्त करने के सहायक है. 


लिवर सप्पोर्ट फार्मूला :

यह लिवर को स्वस्थ बनाने में मदद करता है. इसमें मिल्क थिसल, गोल्डनसील, रेड क्लोवर जैसे हेर्ब्स मौजूद है जोकि लिवर को दुरुस्त करते है. इस सप्लीमेंट का सेवन करने से पहले डॉटर की सलाह अवश्य ले ले. 


लिवर  फार्मूला:

यह लिवर ले कार्य को ठीक से करने में सहायक है. आप जीएनसी के लिवर  फार्मूला का सेवन कर सकते है. मगर डॉक्टर की सलाह लेना न भूले। 

इन सबके अलावा भी बाजार में बहुत से डाइट्री सप्लीमेंट मौजूद है. यह सप्लीमेंट्स आपके लिवर के लिए जीवनदायनी साबित हो सकते है. 

गुरुवार, 18 जुलाई 2013

स्किन सेफ मानसून ट्रिप

सामान्य तौर पर हम सभी मानसून के मौसम में बाहर जाना पसंद नहीं करते है। हमें बारिश और उसे होने वाली स्किन परेशानियों से बचने का यहीं तरीका ठीक भी लगता है। पर बारिश के कारन बाहर न जाना किसी भी समस्या का कोई समाधान नहीं है। आइये हम सभी यह जानने का प्रयास करते है की कैसे हम अपने मानसून के ट्रिप को मजेदार और स्किन सेफ बना सकते है।

छतरी  और रेनकोट को बनाएं साथी  :

प्रदूषण के कारण अब बारिश का पानी साफ़ नहीं रह गया है। और ऐसे प्रदूषित पानी में भीगना आपकी स्किन और बाल दोनों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते है। इसलिए यदि आप मानसून में कहीं घूमने जा रहे है तो अपने साथ छतरी या रेनकोट को ले जाना न भूलें। यह आपको स्किन सम्बन्धी समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मदद करेगी।

एंटीसेप्टिक को रखें साथ:

जब भी बारिश के मौसन में घूमने जाएँ, अपने साथ एंटीसेप्टिक सलूशन और फंगल इन्फेक्शन के लिए मेडिसिन ले जाना न भूले। अक्सर बारिश के पानी में भीगने से स्किन संबधी समस्याएँ हो जाती है और इन समस्याओं का तुरंत उपचार जरुरी है। साथ ही यदि आप किसी कारण वश बारिश में भीग जाते है या फिर बारिश का लुत्फ़ उठाने के चक्कर में भीगते है तो तुरन साफ़ पानी में एंटीसेप्टिक दाल कर नहाना न भूले।

स्किन को रखे ड्राई :

अक्सर बारिश में उमस रहने के कारण पसीना बहुत आता है। पसीने से बचने के लिए हम बार-बार नहाते है। दिन में दो बार नहाना ठीक है मगर जहा तक संभव हो आप अपनी स्किन को ड्राई रखने का प्रयास करें। गीली स्किन में इन्फेक्शन हों की आशंकाएं अधिक रहती है।

सहीं कपड़ों का चुनाव :

ट्रेवल करते समय ऐसे कपडे पहने जोकि आरामदेह हो। साथ ही यदि आपके कपडे थोड़े बहुत नम हो तो तुरंत सूख भी जाएँ। एक बात का ध्यान दे कि गिले कपडे बिलकुल न पहने। यह स्किन रशेस या अन्य इन्फेक्शन को जन्म देते है।

हवादार सैंडल को अपनाएं: 

जब भी घूमने निकले हमेशा हवादार और आरामदायक सैंडल का चुनाव करें। इसे आपके पैरों को आराम मिलेगा और यदि आपके पैर भीगते है तो हवा में जल्दी सूखेंगे भी। अगर आप ऐसी जगह पर जा रहें है जहा पानी बहुत जयादा है तो गमबूट्स का प्रयोग करें। जयादा देर अपनी में रहने या भीगे रहने के कारण  फंगल इन्फेक्शन हो सकते है।

वेट टिसू का करें प्रयोग: 

ट्रेवल करते समय अपनी स्किन की चिपचिपाहट दूर अकरने के लिए वेट टिसू  का प्रयोग करें साथ ही हर बार नहाने के बाद एंटीसेप्टिक पाउडर का भी प्रयोग करें।

अन्य बातें:

  • अपने बालों को नियमित रूप से शैम्पू से धोएं। 
  • जहा तक संभव हो ट्रेवल के दौरान अपनी स्किन पर मेकअप न करें। यदि जरुरी हो तो वाटर प्रूफ मेकअप को ही अपनाएं। 
  • पैरों की सफाई पर विशेष ध्यान दे। 
  • अपनी स्किन को बारिश के पानी के अलावा धूप  स बचने के लिए सनस्क्रीन का भी प्रयोग करना न भूले। 
हमें उम्मीद है की आप बारिश के इस मौसम में भी अपनी स्किन को सुरक्षित करने में सफल रहेंगे। 



गुरुवार, 11 जुलाई 2013

खेलना भी है जरुरी

कहते है कि  " पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे- कूदोगे तो बनोगे ख़राब". यह सही है की पढने-लिखने से आपका ज्ञान वर्धन होता है मगर खेलने से कोई खराब नहीं बनता है। खेलना सभी के लिए जरुरी है। आइयें आज हम यह जानते है की खेलना बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए कितना महत्वपूर्ण है।

जिस तरह से बच्चे के विकास के लिए पौष्टिक भोजन का जितना महत्त्व है उतना ही महत्वपूर्ण उसका खेलना भी है। खेलने से न सिर्फ आपके बच्चे का मनोरंजन होता है बल्कि इससे उसे अन्य  महत्वपूर्ण लाभ भी मिलते है।

क्यों  है जरुरी :

  • सबसे पहले यह  आपके बच्चे को ख़ुशी देता है औरउमे जोश का नया संचार करती है। आप कह सकते है की खेलने से आपके बच्चे की कार्यक्षमता बढती है। 
  • खेलने से बच्चे के आत्मविश्वास भी बढ़ता है। बच्चे खेलते समय अपने निर्णय खुद लेते है जिसकी वजह से उसके निर्णय लेने के गुण का भी विकास होता है और साथ ही उसके आत्मविश्वास में भी बढ़ावा होता है। 
  • जब आपका बच्चा किसी टीम का सदस्य बनकर खेलता है तो उसके भीतर दूसरों के साथ तारतम्य बना कर खेलने के गुण का निर्माण होता है। 
  • साथ ही खेल के नियम का पालन करते हुए आपका बच्चा नियमों का महत्त्व और उनका पालन करने की कला को भी सीखता है।
  • इन सबके अलावा आपका बच्चा प्रतिस्पर्धा या कहें स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के महत्त्व को भी पहचान पाता है।
अन्य  लाभ :
  • खेलने से आपका बच्चा शारीरिक रूप से एक्टिव होता है जिस कारण  वह फिजिकली फिट रहता है। 
  • इससे उसके स्टैमिना भी बढ़ता है। 
  • मानसिक रूप से भी आपका बच्चा फिट रहता है। 
  • इसके अलावा खेल आपके बच्चे में कलात्मकता का भी विकास करता है। 
  • उसे सामाजिक बने में मदद करता है। और यह गुण उसे जीवन भर आगे बढ़ने में मदद करता है। 
  • खेलने से तनाव कम होता है और बच्चा मानसिक रूप से फ्रेश हो जाता है जोकि उसकी पढाई में उसकी मदद करता है। 
खेलना केवल मनोरंजन या समय बर्बाद करने का एक जरिया नहीं है। खेलना जरुरी है क्योंकि यह आपके बच्चे के सम्पूर्ण विकास में उसकी मदद करता है। इसलिए अगली बार यदि आपका बच्चा बाहर जाकर खेलने की जिद्द करें तोह उसे डांटे नहीं बल्कि उसे खेलने दे। मगर हाँ, खेलने का समय निर्धारित करना न भूले। 

गुरुवार, 4 जुलाई 2013

समझें ट्रांसफैट्स के खतरे को

जब भी फैट्स की बात आती है तो ट्रांसफैट्स की चर्चा अवश्य होती है। हम सभी ने कहीं न कहीं ये अवश्य पढ़ा है कि  ट्रांसफैट्स का सेवन करने से दिल की बहुत सी परेशानियां जन्म ले सकती है। मगर यह ट्रांसफैट्स है क्या और यह कैसे हमारे दिल को कमजोर कर सकती है, आइयें इसे जानते है : 

क्या है ट्रांसफैट्स:

जब वेजिटेबल आयल में हाइड्रोजन को मिलाया जाता है तब हाइड्रोजन आयल का निर्माण होता है यहीं आयल ट्रांसफैट्स है। ऐसा करने से आयल सॉलिड हो जाते है। जिस कारण इस आयल से बने खाद्य पदार्थ का निर्माण करने में इसकी कम मात्रा लगती है। साथ ही, इससे बने उत्पाद ताजा, ज्यादा क्रिस्पी और लम्बे समय तक ख़राब नहीं होते है। 
इसे पारशिअल हाइड्रोजनेटेड ऑयल्स भी कहा जाता है। अगर आप ध्यान से किसी पैक्ड प्रोडक्ट में प्रयोग की गयी सामग्री को पढ़े तो आप उसमें पारशिअल हाइड्रोजनेटेड ऑयल्स को लिखा देख सकते है। यह पारशिअल हाइड्रोजनेटेड ऑयल्स ही ट्रांस फैट्स है। 

क्या है खतरा: 

ट्रांसफैट्स का सेवन करने से शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम हो जाता है और ख़राब कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है। जिसके परिणामस्वरुप हृदय सम्बन्धी समस्याओं का जन्म होने लगता है। इसके अलावा टाइप 2 की डायबिटीज के होने की भी आशंकाएं बढ़ने लगती है। 

किन खाद्य पदार्थों में होता है ट्रांसफैट्स:

बाजार में मिलने पीला डिब्बा बंद या पैक्ड खाद्य पदार्थों में ट्रांसफैट्स होता है। जैसे - चिप्स, बेक्ड प्रोडक्ट्स, बिस्कुट्स, डोनट, क्रैकर्स आदि। मीट  और डेरी उत्पादों में भी थोड़ी थोड़ी मात्रा में ट्रांसफैट्स होता है। जोकि प्राकृतिक है। 

कैसे बचे इससे : 

हमेशा फ़ूड लेबल को पढ़ें। यदि प्रोडक्ट की सामग्री में पारशिअल हाइड्रोजनेटेड वेजिटेबल ऑयल्स लिखा है तो इसका अर्थ हुआ की उसमे ट्रांसफैट्स का प्रयोग किया गया है। और यदि लेबल पर हाइड्रोजनेटेड वेजिटेबल ऑयल्स लिखा है तो इसका अर्थ है की प्रोडक्ट के निर्माण में प्रयोग किये गए आयल में थोड़ी मात्रा में ट्रांसफैट्स है। इसलिए फ़ूड लेबल पढ़े ताकि आप इसका सेवन करने से बच सकें। 

इसके अलावा यदि आप किसी रेस्तरा में पिज़्ज़ा खाने जा रहे है तोह यह अवश्य पूछे की वे किस आयल का प्रयोग करेंगे।

महत्वपूर्ण बात : 

आप अपने भोजन में बिना फैट्स के नहीं जी सकते है। मगर आप ट्रांसफैट्स की जगह पर मोनोसैचुरेटेड फैट या फिर सैचुरेटेड फैट का प्रयोग कर सकते है। सैचुरेटेड फैट जैसे कोकोनट आयल या फिर पाम आयल सेवन कुछ मात्रा में कर सकते है। 

अगर आप स्वास्थ्यकारी फैट का सेवन करना चाहते है तो मोनोसैचुरेटेड फैट का सेवन करें। ओलिव आयल, पीनट आयल इस श्रेणी में आते है। यह दिल को स्वस्थ बनाते है। इनके अलावा आप इसे बादाम या मचली आदि से भी प्राप्त कर सकते है।