बुधवार, 18 सितंबर 2013

स्किन फ्रेंडली गार्डन हर्ब्स

हर किसी की खुबसूरत स्किन पाने की चाहत होती है। मगर स्किन प्रोडक्ट्स में केमिकल के बढ़ते प्रयोग ने इन प्रोडक्ट्स को प्रकृति से दूर कर दिया है। आज हम उन हर्ब्स के बारें में चर्चा करेंगे जोकि स्किन को स्वस्थ बनाने में सहायक होती है।  

क्या बहुत से पैसे खर्च कर भी इस बात से परेशान है कि  आपकी स्किन पर चमक क्यों  नहीं आई है? अगर हाँ तो रेडीमेड प्रोडक्ट्स को कहें बाय और सीधे अपने गार्डन से उन् हर्ब्स को चुन लायें जो आपकी स्किन को एक अलग ही निखार देने में मदद करेंगे।

गुलाब की पत्तियां :

गुलाब की पत्तियां स्किन को स्वस्थ बनाने में बहुत ही प्रभावशाली ढंग से काम करती है। जैसे इसकी पत्तियों का अरक या गुलाब जल को स्किन पर लगाने से स्किन की खोई नमी वापस आती है और स्किन में एक ताजगी भरा लुक दिखाई देता है। इसके अलावा यह आँखों के पास की सेंसटिव स्किन पर भी प्रभावी ढंग से काम करता है। आप किसी भी फेस पैक को बनाने में इसका प्रयोग कर सकती है।  साथ ही रात में सटे समय इसका प्रयोग स्किन करने से स्किन का निखार बढ़ता है।


कालेनजुला :

इस फूल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि  यह क्षतिग्रस्त स्किन पर बहुत प्रभावी रूप से कार्य करती है। सूरज की तेज़ किरणों से होने वाले स्किन डैमेज को यह दूर करता है।  साथ ही स्किन पर लगे किसी प्रकार के कट आदि पर भी कार्य करता है।  यह एंटी इन्फ्लामेट्री और एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टी से युक्त है जिस कारण यह स्किन पर प्रभावी होता है।

एलो वेरा :

एलो वेरा के स्किन प्रभाव को तो सा जानते ही है।  सबसे ज्यादा स्किन प्रोडक्ट्स में इसी का प्रयोग किया जाता रहा है। एलो वेरा विटामिन सी और ई  का बेहतरीन स्रोत है जिस कारण  यह स्किन पर इतने अच्छे से काम करते है।  आप एलो वेरा को कट कर इसके रस को स्किन पर सीधे लगा सकते है।  मगर हाँ, इसका प्रयोग सबकी स्किन पर एक सा निखार लाये यह जरुरी नहीं है।

पुदीना :

पुदीने के ताजगी भरे अहसास के साथ-साथ इसके टोनर के गुण इसे स्किन फ्रेंडली हर्ब्स की श्रेणी में लाते है।  इसके एंटी प्यूरिटी प्रोपर्टी इसे स्किन की अशुद्धियों को दूर कर स्किन को साफ़ करने में मदद करती है।  आप इसका पेस्ट बनाकर या फिर इसे पिस कर महीन कपडे में इसे छानकर इसके रस को स्किन पर लगा सकते है।

नीम :

हालाँकि जगह के अभाव  के कारण नीम का पेड़ अब शहरों के घरों में मिलना मुश्किल हो गया है मगर आज भी पार्क या गार्डन में यह आपको आसानी से मिल जाते है।  नीम स्किन और शरीर को भीतर से साफ़ करने में मदद करता है।

उम्मीद है कि  आप इन सब हर्ब्स का प्रयोग कर न सिर्फ प्रकृति से सीधे जुड़ेंगे बल्कि आप अपनी स्किन को भी प्रकृति का साथ देंगे।  

गुरुवार, 12 सितंबर 2013

डेंटल केयर और बच्चे

हम सभी को ऐसा लगता है कि  बच्चे कितनी भी टोफ्फी या चॉकलेट खा सकते है। और अगर इसे खाने की वजह से उनके दांत सड़ भी जाये तो घबराने की कोई आवश्यकता नही है क्यों कि उनके ख़राब हुए दांत टूट कर नए आएंगे ही। पर क्या वाकई में हमारी ये सोच ठीक है? शायद नहीं। दांत चाहे दूध के हो या परमानेंट हो, उसकी देखरेख और केयर करना बेहद जरुरी है। आइये जानते है क्यों :

हम सभी जानते है कि हम मनुष्यों के दो बार दांत आते है। एक दूध के और दूसरे परमानेंट। जहाँ दूध के दांत टूटने के बाद नए दांत आ सकते है वहीँ दूसरी यदि परमानेंट दांत टूट जाएँ तो उसके दुबारा आने की सम्भावना बिलकुल भी नहीं होती है। अक्सर माता -पिता परमानेंट दांत आने की सम्भावना के कारण ही बच्चो को मीठा, तला खाना खाने की छूट दे देते है। कई अभिभावक तो बच्चों को जबरदस्ती मीठा खिलाते है। उनके अनुसार, अगर बचपन में मीठा नहीं खायेंगे तो फिर कब खायेंगे ? पर ख़राब दूध के दांतों के टूटने के बाद बच्चे के परमानेंट दांत स्वस्थ आयेंगे इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है।

महत्त्व को समझे :

इस मूल मन्त्र को जान ले कि यदि बच्चे के दूध के दांत सड़ जाएँ तो उसके परमानेंट दांत भी इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते है। इसलिए आज से ही अपने बच्चे को मीठा और तैलीय भोजन खिलाना बंद करें।

कैसे करें केयर :

बेसिक ब्रशिंग

जिस तरह एक एडल्ट को दिन में दो बार ब्रश करना जरुरी है ठीक उसी तरह अपने बच्चे को दिन में कम से कम दो बार ब्रश करवाएं। जब तक आपका बच्चा खुद से दांत साफ़ करना नहीं सीखता है तब तक आप उसे स्वयं ब्रश कराएँ। इसके लिए आपको हर रोज अपने बच्चे को ब्रशिंग तकनीक सिखानी होगी।

मीठे से करें परहेज़

अक्सर बच्चो को मीठा पसंद होता है. मगर यह जरुरी है कि  आप अपने बच्चे को मीठे (चॉकलेट, टोफ्फी, आइस-क्रीम, कोल्ड ड्रिंक, आदि) खाद्य पदार्थ न दे। यदि आपका बच्चा इसे खाता है तो उसके दांतों को तुरंत साफ़ करना न भूले।

टूथपेस्ट का प्रयोग

अक्सर अभिभावक बच्चो को टूथब्रश तो दे देते है मगर उस पर टूथपेस्ट का प्रयोग नहीं करते है। मगर हमेशा बच्चे को टूथपेस्ट लगा कर ही ब्रश कराएँ। आप बच्चो को सामान्य टूथपेस्ट देने की बजाय बाज़ार में मिलने वाले बच्चो के टूथपेस्ट का ही प्रयोग करें। यह टूथपेस्ट बिना शुगर के होते है। और यदि बच्चा ब्रश करते समय इस टूथपेस्ट को खा भी जाएँ तो घबराने को कोई आवश्यकता नहीं होती है। 

 नियमित जांच कराएँ:

बच्चे के दांतों की नियमित जांच कराएँ। आपके बच्चे के दांत बचपन में जितने स्वस्थ रहेंगे उन्हें बड़े होने पर दांतों की उतनी ही कम परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। 

अपने बच्चे की मुस्कराहट में चार चाँद लगाये और उसे डेंटल केयर के बारें में विस्तार से समझाएं।  

सोमवार, 2 सितंबर 2013

मुलैठी : पाएं खांसी से छुटकारा

अगर आप अपनी न जाने वाली खांसी से परेशान है तो मुलैठी आपकी बहुत मदद कर सकती है।  मुलैठी एक ऐसा हर्ब है जिसे आप आसानी से प्राप्त भी कर सकते है और  आपको किसी प्रकार के ताम झाम या काढ़ा आदि बनाने की जरुरत नहीं है। आइयें जानते है :

मुलैठी एक सूखी  लकड़ी की तरह दिखती है। असल में मुलठी के पौधे के तने का प्रयोग औषधि के रुप में किया जाता है।

कैसे करे प्रयोग :

  • जब भी आपको खांसी हो बस इसके एक टुकड़े को अपने मुंह में डाल  ले और दांतों से हलके से इसे दबाते हुए इसके रस को चूसे।  इससे आपकी खांसी की समस्या में बहुत आराम मिलेगा। 
  • अगर आपकी खांसी सूखी  है तो इसका सेवन शहद के साथ करे।  
  • इसके अलावा आप इसे गर्म पानी के एक कप में भिगो दे। कुछ देर भिगोने के बाद मुलैठी को पानी से बाहर निकाल ले और कप के पानी को दुबारा गर्म कर उसे धीरे धीरे पिएं। 
  • आप इसे चाय में दाल कर भी कर सकते है। 
  • आप इसे अदरक, तुलसी के रस और शहद के साथ पीस के बने पेस्ट का भी सेवन कर सकते है। 
अन्य  लाभ :

मुलैठी केवल खांसी में ही नही बल्कि पेट की समस्याओं को भी ठीक करने में सहायक होती है। यह पेट दर्द, एसिडिटी, कब्ज जैसी समस्याओं को भो दूर करती है।  

कैसे प्राप्त करें :

मुलैठी की खासियत है कि  इसे ढूंढने के लिए आपको किसी हर्बल स्टोर को खोजने की कोई आवश्यकता नहीं है. आप इसे आसानी से किराने की दुकान  से भी प्राप्त केर सकते है। साथ ही अब बाज़ार में मुलैठी पाउडर भी मिलते है। 

अब आप कफ कैंडी को खरीदने में अपने पैसे बर्बाद न करें, प्रकृति से जुड़े और इस हर्ब के गुणों का लाभ उठायें।